अमित शाह ने गुजरात दंगों का बताया सच, कहा- आरोप लगाने वालों को प्रधानमंत्री से माफी मांगना चाहिए
नईदिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात दंगों पर बीस साल बाद बात की। उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में दंगों से जुड़े कई बड़े खुलासे किए। अमित शाह ने कहा मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है।
उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है और आरोप क्यों लगाए गए, इसके विषय में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। एक प्रकार से ये आरोप राजनीति से प्रेरित है, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने ये भी सिद्ध कर दिया है।भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ ideology के लिए राजनीति में आये हुए पत्रकार और कुछ NGOs ने मिलकर इन आरोपों को इतना प्रचारित किया और इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे धीरे झूठ को ही सब सच मानने लगे।
उन्होंने कहा हमारी सरकार का कभी भी मीडिया के काम में दखल नहीं रहा है, न उस वक्त किया था और न आज कर रहे हैं।परंतु उस वक्त जो इकोसिस्टम बना था, उसने झूठ के पुलिंदे को इतना बड़ा हौव्वा बनाकर खड़ा कर दिया कि सभी इसके प्रभाव में आ गए।मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था। मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ। जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था।गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है।लेकिन दिल्ली में सेना का मुख्यालय है, जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ। कितनी SIT बनी? हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी। ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई UPA की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है।