देश की दो बड़ी सुरक्षा के लिए तैनात होंगे एंटी ड्रोन सिस्टम, जानिए
नई दिल्ली। भारत अब अपने हर क्षेत्र को मजबूत कर रहा है। जिसमें रक्षा क्षेत्र को मजबूत करना अहम हो गया हैं। ऐसे में डीआरडीओ ने भारतीय सेनाओं के लिए बेहद जरूरी एंटी ड्रोन्स सिस्टम्स के विकास और उत्पादन की जिम्मेदारी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को दी है। इसी क्रम में अब प्रधानमंत्री आवास के अलावा कारों के काफिलों को भी ऐंटी-ड्रोन सिस्टम से सुसज्जित किया जाना है। आवास के अलावा पोर्टेबल 'ड्रोन किलर' उनके काफिले में भी मौजूद रहेंगे। 2020 की शुरुआत से ही ड्रोन खतरे को देखते हुए इसे आवश्यक बना दिया गया है।
पाकिस्तानी आतंकवादी एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर के पार जम्मू-कश्मीर में हथियार भेजने के लिए चाइनीज निर्मित कॉमर्शल ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। डीआरडीओ ने पैसिव और एक्टिव एंट्री ड्रोन टेक्नॉलजी विकसित की है जिससे दुश्मन के ड्रोन्स को निष्क्रिय किया जा सकता है या फिर ध्वस्त किया जा सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, डीआरडीओ चीफ सतीश रेड्डी जल्द ही देसी एंटी ड्रोन्स सिस्टम के उत्पादन को लेकर सेनाओं को सूचित करेंगे। इस साल गणतंत्रता दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर तैनात किए गए एंटी ड्रोन सिस्टम्स का रेंज 2-3 किलोमीटर तक का है। इसका रडार ड्रोन को ढूंढने के साथ फ्रीक्वेंसी सिग्नल के जरिए यूएवी को जैम कर देता है। दूसरा विकसित विकल्प ड्रोन को स्पॉट करने के बाद लेजर बीम से टारगेट करने का है।
2019 के बाद से पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों ने पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कई बार ड्रोन उड़ाकर ड्रग और हथियार पहुंचाने की कोशिश की है ताकि राज्य में आतंक को दोबारा जिंदा कर सके। यही तरीका जम्मू-कश्मीर में भी एलओसी और आईबी पर अपनाया जा रहा है। बाजार में उपलब्ध चाइनीज ड्रोन्स 10 किलोग्राम तक हथियार या ड्रग्स ले जा सकते हैं। एक तरफ डीआरडीओ ने सिस्टम डिवेलप कर लिया है तो प्राइवेट सेक्टर ने भी सिक्यॉरिटी एजेंसियों के साथ एंटी ड्रोन सिस्टम डिवेलप किया है। सिस्टम को एलओसी पर परखा गया है और यह दुश्मन के हवाई खतरे को नाकाम करने में सफल रहा है।