Asha Bhosle Story: आशा भोसले के जन्मदिन पर विशेष, जितने सुरीले गीत उतनी रोचक उनकी कहानी

आशा भोसले के जन्मदिन पर विशेष, जितने सुरीले गीत उतनी रोचक उनकी कहानी

Asha Bhosle Birthday

Asha Bhosle Birthday Special Story : पिया तू अब तो आ जा, इशारों - इशारों में, दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए, बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए, इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं...इन गीतों को सुनने के बाद वो दौर याद आता है जब रेडियो से लेकर दूरदर्शन के विशेष कार्यक्रम तक हर कोई इन सांग्स को सुनने के लिए काम रोककर बैठ जाया करता था। आज इन गीतों को गाने वालीं आशा भोसले 91 साल की हो गईं हैं। जितने सुरीले उनके गाए गीत हैं उतनी ही रोचक उनकी कहानी। कम उम्र में पारिवारिक जिम्मेदारी उठाने से लेकर बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने वालीं आशा भोसले के संघर्ष की पूरी कहानी पढ़िए स्वदेश की इस स्टोरी में..।

आशा भोसले का जन्म 8 सितम्बर 1933 में महाराष्ट्र के सांगली में गोअर के छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मराठी सिंगर और एक्टर थे। आशा की माँ शेवंती भी संगीतज्ञों के परिवार से थीं। आशा भोसले समेत उनके भाई - हृदयनाथ मंगेशकर, बहने लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर और मीना खादिकर के जीवन में नया मोड़ तब आया जब उनके पिता का निधन हो गया। आशा भोसले उस समय मात्र 9 साल की थीं। पिता की मृत्यु के बाद घर के बच्चों को ही अब अपनी जिम्मेदारी निभानी थीं।

लता, उषा और आशा को संगीत की कला विरासत में मिली थी। पिता की मौत के बाद इसी कला को इस परिवार ने गुजर - बसर करने के लिए उपयोग किया। कम उम्र में ही आशा भोसले ने मराठी फिल्म में गाना और अभिनय करना शुरू कर दिया था। उनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने भी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। इसके बाद आशा भोसले का परिवार पुणे से कोल्हापुर और फिर मुंबई आकर बस गया।

आशा भोसले का पहला मराठी गीत :

आशा भोसले मात्र 10 साल की थीं जब उन्होंने मराठी फिल्म "माझा बाल" (1943) में "चला चला नव बाला" गाया। उन्होंने हंसराज बहल की चुनरिया (1948) के लिए "सावन आया" गीत गाकर हिंदी फिल्म में डेब्यू किया। उनका पहला सोलो हिंदी फिल्म गीत फिल्म "रात की रानी" (1949) के लिए था।

आसान नहीं था आशा भोसले का सफर :

60 के दशक में आशा भोसले स्ट्रगल कर रहीं थीं। संगीत की दुनिया में उनकी बहन लता मंगेशकर, गीता दत्त और शमशाद बेगम छायी हुईं थीं। आशा भोसले को अक्सर ऐसे गीत गाने का मौका मिलता था जिन्हें गाने के लिए कोई बड़ा गायक तैयार नहीं होता था। इसके बावजूद आशा भोसले ने उम्मीद नहीं छोड़ी। 1952 में 'संगदिल' से उन्हें पहचान मिली। इसे लिखा था सज्जाद हुसैन ने।

राज कपूर की फिल्म में गाने का मौका :

आशा भोसले के करियर में अच्छे दिन तब आएं जब उन्हें राज कपूर की फिल्म 'बूट पॉलिश' में मोहम्मद रफ़ी के साथ "नन्हें मुन्हें बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है" गाने का मौका मिला। ये गाना खूब फेमस हुआ। आज तक लोगों की जुबान पर यह गाना है।

इसके बाद ओपी नायर ने आशा को सीआईडी (1956) में मौका दिया। सीआईडी के बाद आशा भोसले को और ऑफर आने लगे। उन्होंने मोहम्मद रफी के साथ "मांग के साथ तुम्हारा", "साथी हाथ बढ़ाना" जैसे गीत गाए। साहिर लुधियानवी द्वारा लिखे गए "उड़ें जब जब जुल्फें तेरी" ने उन्हें असली पहचान दिलाई। "उड़ें जब जब जुल्फें तेरी" वो पहला गीत था जिसे आशा भोसले ने लीड एक्ट्रेस के लिए गाया था।

16 की उम्र में घर से भागकर की शादी :

एक तरफ आशा भोसले धीरे - धीरे अपने करियर में आगे बढ़ रहीं थीं लेकिन दूसरी ओर उनकी निजी जिंदगी में उथल - पुथल का दौर था। 1949 में जब वे 16 साल की थीं तो बड़ी बहन लता मंगेशकर के सेकेट्री 31 वर्षीय गणपतराव भोसले के साथ घर छोड़ कर स चली गईं थीं। दोनों ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध जाकर एक - दूसरे से शादी कर ली। इसके बाद लता मंगेशकर समेत उनके परिवार ने आशा से रिश्ता तोड़ लिया। आशा भोसले ने जब अपने बेटे को जन्म दिया तो परिवार का गुस्सा शांत हो गया। लता मंगेशकर समेत उनके परिवार ने आशा और उनके पति के रिश्ते को स्वीकार कर लिया। 1949 में ही उन्हों अपना पहला हिंदी सोलो गीत गया था। इसके बाद उनके करियर ने रफ़्तार पकड़ ली थी।

आशा भोसले की जिंदगी अभी पटरी पर आई ही थी कि, परेशानियों की शुरुआत हो गई। आशा भोसले दो बच्चों की मां हो चुकी थीं। वे तीसरे बच्चे को जन्म देने वालीं थी तभी उनके पति ने उन्हें घर से निकाल दिया। जल्द ही दोनों का तलाक भी हो गया। आशा अपने दोनों बच्चों के साथ अपने मायके आ गईं। उनके सिर पर अब दो बच्चों की जिम्मेदारी थी और तीसरा बच्चा दुनिया में आने वाला था।

कविता छब्बर के साथ एक इंटरव्यू में, आशा भोसले ने एक बार खुलासा किया था कि "उनके पूर्व पति का परिवार रूढ़िवादी था, और उनके सफल गायन करियर को पचा नहीं पा रहा था।"

निजी जीवन की कठिनाइयों के बावजूद आशा भोसले अपने संगीत के करियर में अच्छा प्रदर्शन कर रहीं थीं। आशा और एसडी बर्मन ने काला पानी, काला बाज़ार, इंसान जाग उठा, लाजवंती, सुजाता और तीन देवियाँ जैसी फ़िल्मों के लिए कई हिट साउंडट्रैक बनाए। आशा भोसले, मोहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार द्वारा एकसाथ गाए गए गाने सबसे ज्यादा मशहूर हुए।

आशा बन गईं हेलन की आवाज :

अपने करियर के पीक में आशा उस दौर की सबसे खूबसूरत डांसर हेलेन की आवाज़ बन गईं। हेलेन अपने रिकॉर्डिंग के दौरान आशा से मिलने जाती थीं ताकि गाने की भावना को समझ सकें और उसके अनुसार अपने स्टेप्स को कोरियोग्राफ कर सकें। हेलेन के साथ उनके हिट गाने में 'तीसरी मंजिल' (1966) का ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’, फिल्म 'कारवां' (1971) का ‘पिया तू अब तो आजा’ और डॉन (1978) का ‘ये मेरा दिल’ गाना शामिल है। फिल्म 'तीसरी मंजिल' में उनके गाए गाने के बाद लोग उन्हें पहचानने लगे थे। अब आशा भोसले एक बड़ा नाम हो गया था।


'दम मारो दम' गाने से सबको चौंकाया :

आशा भोसले को फिल्म 'जवानी दीवानी' (1972) का ‘जाने जा’ गीत गाने का ऑफर मिला। इस गीत के साथ बड़ी दिक्कत ये थे कि, इसे एक साथ हाई पिच से लो पिच पर स्विच करना था। जो बिलकुल आसान नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने यह करके दिखाया। इस गीत के लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। इसके बाद फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' के गाने 'दम मारो दम' गाकर उन्होंने अपनी प्रतिभा का बिल्कुल नया पहलू दुनिया को दिखाया। यही नहीं फिल्म 'यादों की बारात' का रोमांटिक गाना 'चुरा लिया है तुमने' आज भी लोग गुनगुनाया करते हैं और इसे इस सदी के सबसे रोमांटिक गानों में से एक माना जाता है। इन सभी गानों के बाद माना जाने लगा कि, वे रोमांटिक और बिल्कुल नए तरह के गाने गाने के लिए परफेक्ट हैं।

उमराव जान की गजलें...

आशा ने 1981 में फिल्म उमराव जान के लिए खूबसूरत गजलें गाईं। उन्होंने साबित कर दिया कि वे अन्य शैलियों की तरह ही शास्त्रीय संगीत भी उतनी ही खूबसूरती से गा सकती हैं। महान संगीतकार खय्याम ने आशा को सामान्य से दो नोट कम गाने के लिए कहा। इसके बाद आशा भोसले ने इन गजलों को कैसे गया ये सभी जानते हैं। 90 के दशक में, उन्होंने जोशीले गानों के साथ प्रयोग किया और ए.आर. रहमान, अनु मलिक और संदीप चौटा जैसे बहुत कम उम्र के संगीत निर्देशकों के साथ 'तन्हा तन्हा', 'यायर', 'कम्बक्त इश्क', 'चोरी पे चोरी' जैसे हिट गाने बनाए।

आशा भोसले और पंचम :

आशा भोसले के जीवन के बारे में बात हो और उनके पंचम का जिक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। आशा पंचम से 1956 में मिलीं थीं। ये वही समय था जब आशा अपने पति से अलग हो चुकी थीं और अपने तीसरे बच्चे को जन्म देने वालीं थीं। यहां बता दें कि, जिस पंचम का हम जिक्र कर रहे हैं वे कोई और नहीं बल्कि संगीत की दुनिया में जाना माना नाम आरडी बर्मन थे। आशा उन्हें पंचम कहा करती थीं। बर्मन ने फिल्म 'तीसरी मंजिल' के लिए आशा भोसले से संपर्क किया था।

आरडी बर्मन का उनकी पहली पत्नी रीता पटेल से तलाक हो गया था। दूसरी तरफ आशा भोसले भी अपने पहले पति गणपतराव भोसले से अलग हो चुकी थीं। आरडी बर्मन और आशा भोसले ने साथ में खूब काम किया। इसी दौरान दोनों एक - दूसरे को पसंद भी करने लगे। 1980 में दोनों ने शादी कर ली। एक इंटरव्यू में आशा भोसले ने बताया था कि, कैसे आरडी बर्मन ने उन्हें प्रपोज किया था और उन्होंने हां क्यों कहा था। उन्होंने कहा था कि, "ये मेरे पीछे पड़े थे, आशा तुम्हारा सुर बहुत अच्छा है, मैं तुम्हारी आवाज़ पर फ़िदा हूँ। आख़िरकार, क्या करती? ओके, कर दिया।"

आशा भोसले और आरडी बर्मन एक दूसरे का खूब सम्मान किया करते थे। कुछ साल साथ रहने के बाद आशा और बर्मन भी अलग हो गए लेकिन समय - समय पर दोनों एक दूसरे का हाल चाल पूछा करते थे।

आशा भोसले 8 सितंबर 2024 को 91 साल की हो चुकी हैं। उनके गाए गाने आज भी लोग गुनगुनाया करते हैं। दादा साहेब फाल्के और पद्म विभूषण से उनका सम्मान किया जा चुका है। अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने संघर्ष जारी रखा। उनकी जिंदगी सच में किसी फिल्म की कहानी जैसी है।

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