26/11 मुंबई हमले को लेकर पूर्व कैबिनेट सचिव ने किया खुलासा, कहा- यूपीए सरकार को नहीं पता था अब क्या करना है ?

26/11 मुंबई हमले को लेकर पूर्व कैबिनेट सचिव ने किया खुलासा, कहा- यूपीए सरकार को नहीं पता था अब क्या करना है ?
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केएम चंद्रशेखर ने ममोहन सरकार की आलोचना करते हुए अपनी किताब 'As good as my word' में कई बड़े खुलासे किए है

नईदिल्ली। वर्ष 2008 में 26 नवंबर का वो दिन जब शांत रहने वाले मुम्बई शहर को पाकिस्तान से आए कुछ आतंकियों ने आतंक और दहशत से कंपा दिया था। उस हमले के समय तत्कालीन यूपीए सरकार और उसके मुखिया पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या कर रहे थे। हमले से निपटने के लिए क्या योजना बना रहे थे। इसका खुलासा तत्कालीन सरकार में कैबिनेट सचिव रहे केएम चंद्रशेखर ने किया है।केएम चंद्रशेखर ने ममोहन सरकार की आलोचना करते हुए अपनी किताब 'As good as my word' में कई बड़े खुलासे किए है। उन्होंने लिखा की हमले के समय केंद्र सरकार को पता ही नहीं था कि केंद्रीय स्तर पर क्या कदम उठाने हैं।हमले के बाद कोई वास्तविक स्पष्टता नहीं थी कि केंद्रीय स्तर पर कौन क्या करेगा।

किसकी क्या भूमिका तय नहीं -

पूर्व कैबिनेट सचिव चंद्रशेखर ने अपनी किताब में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद के सृजन की तारीफ़ की लेकिन जिम्मेदारियों का सही बंटवारा ना होने की आलोचना की। उन्होंने अपनी किताब में लिखा - " , सरकार ने NSA और कैबिनेट सचिव के बीच जिम्मेदारियों और शक्तियों का बंटवारा कर दिया। इससे यह भ्रम उत्पन्न हो गया कि सुरक्षा संबंधित मामलों में एनएसए और कैबिनेट सचिव की भूमिका और अधिकार क्या हैं।

कमजोरी हुई उजागर -

उन्होंने कहा, 26/11 के हमलों ने एक गंभीर आपात स्थिति में निर्णय लेने में क्षमता पर कमजोरी को भी उजागर किया। आम तौर पर खुफिया एजेंसियां किसी इलाके से मिली जानकारियों को गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय या सशस्त्र बलों के साथ साझा करती हैं। वह कैबिनेट सचिव को इसकी जानकारी नहीं देती हैं। ऐसे में कैबिनेट सचिव को उस क्षेत्र की जमीनी हकीकत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे में पर्याप्त जानकारी के बिना कैबिनेट सचिव कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। चाहे वह आतंकवादी हमला हो उग्रवादी हमला।

26/11 हमले के समय क्या कर रही थी सरकार -

केएम चंद्रशेखर ने अपनी किताब में लिखा जब मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ तो तो केंद्रीय स्तर पर कौन क्या करेगा, इस बारे में कोई स्पष्टता ही नहीं थी। कानून और व्यवस्था भारतीय संविधान के तहत एक राज्य का विषय है और केंद्रीय हस्तक्षेप केवल संबंधित राज्य सरकार के अनुरोध पर ही हो सकता है। ऐसे में इस अधिनियम से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने लिखा, मैं इस संकट से तत्काल खत्म करना चाहता था, लेकिन मेरे पास न तो कोई खुफिया जानकारी थी और न ही जमीनी हकीकत का पता था कि कि देर रात तक मुंबई में वास्तव में क्या हो रहा था।

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