Bhojshala ASI Survey Report : भोजशाला मंदिर या मस्जिद विवाद में हिन्दू पक्ष का पलड़ा भारी, जानिए कैसे

Bhojshala ASI Survey Report : भोजशाला मंदिर या मस्जिद विवाद में हिन्दू पक्ष का पलड़ा भारी, जानिए कैसे

Bhojshala ASI Survey Report : भोजशाला मंदिर या मस्जिद विवाद में हिन्दू पक्ष का पलड़ा भारी, जानिए कैसे

Bhojshala ASI Survey Report : मस्जिद में मानव और पशु आकृतियों की अनुमति नहीं होती है।

Bhojshala ASI Survey Report : मध्‍यप्रदेश। धार में हुए भोजशाला के एएसआई रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी गई है। हर किसी को अब 22 जुलाई का इंतजार है जब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच मामले की सुनवाई करेगी। ASI सर्वे के बाद हिन्दू पक्षकार काफी कॉंफिडेंट हैं। उनका मानना है कि, फैसला उनके पक्ष में ही आएगा। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस को ले जाने का मन बना लिया है। आखिर ASI ने अपनी रिपोर्ट में ऐसा क्या लिखा है जिससे हिन्दू पक्ष का पलड़ा भारी हो गया है।

सोमवार को हाई कोर्ट (MP High Court) की इंदौर बेंच के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट में एएसआई ने कहा, "सजाए गए स्तंभों (Decorated Pillars) और भित्तिस्तंभों (Pilasters) की कला और वास्तुकला से यह कहा जा सकता है कि, वे पहले के मंदिरों का हिस्सा थे और बेसाल्ट के ऊंचे चबूतरे पर मस्जिद के स्तंभों को बनाते समय उनका पुनः उपयोग किया गया था। चारों दिशाओं में आलों से सजाए गए एक स्तंभ पर देवी - देवताओं की विकृत छवियां अंकित हैं। स्तंभ के दूसरे आधार पर भी एक आले में देवता की छवि अंकित है। दो स्तंभों पर खड़ी प्रतिमाएं कटी हुई हैं और पहचान में नहीं आ रही हैं।"

मस्जिद में मानव और पशु की आकृति वर्जित :

भोजशाला की ASI रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, क्योंकि मस्जिद में मानव और पशु आकृतियों की अनुमति नहीं है, इसलिए ऐसी प्रतिमाओं को "विकृत" कर दिया गया है। इस तरह के प्रयास पश्चिमी और पूर्वी कॉलोनेड, दक्षिण-पूर्वी सेल के प्रवेश द्वार आदि में स्तंभ और पिलस्टर पर देखे जा सकते हैं।

मंदिर के हिस्सों से बनाई गई मस्‍जिद :

एएसआई ने निष्कर्ष में कहा है कि, "वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और पुरातात्विक उत्खनन, प्राप्त खोजों के अध्ययन और विश्लेषण, पुरातात्विक अवशेषों, मूर्तियों और शिलालेखों, कला और शास्त्रों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों से बनाई गई थी।"

रिपोर्ट में बताया गया है कि, 'संरचना को 106 स्तंभों और 82 भित्तिचित्रों से सजाया गया है। स्तंभों की कला और वास्तुकला से पता चलता है कि वे मूल रूप से मंदिरों का हिस्सा थे। जानकारी के अनुसार ASI ने कुल 94 मूर्तियों, मूर्तिकला के टुकड़ों और मूर्तिकला चित्रण वाले वास्तुशिल्पों की स्‍टडी की गई है। इन पर उकेरी गई छवियों में गणेश, ब्रह्मा अपनी पत्नियों के साथ, नरसिंह, भैरव, देवी-देवता, मानव और पशु आकृतियाँ शामिल थीं। इसके अलावा जानवरों की छवियों में शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बंदर, साँप, कछुआ, हंस और पक्षी शामिल हैं।'

क्या है भोजशाला का विवाद :

भोजशाला पर हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार दोनों ने ही दावा किया है। मुस्लिम यहां नमाज पढ़ते हैं तो हिन्दू देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में याचिका लगाकर इसे राजाभोज द्वारा स्थापित वाग्देवी का प्राचीन मंदिर बताया था। मुस्लिम पक्षकार इसे कलाम मौला मस्जिद मानते हैं। भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है यह जानने के लिए कोर्ट ने ASI सर्वे का आदेश दिया था। अब सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट तय करेगा कि, भोजशाला राजा भोज द्वारा स्थापित वाग्देवी (देवी सरस्वती) का प्राचीन मंदिर है या कलाम मौला मस्जिद।

भोजशाला का क्या है इतिहास :

परमारवंश के महान शासक राजा भोज द्वारा भोजशाला का निर्माण कराया गया था। 1034 ईस्वी में भोजशाला एक महाविद्यालय था। यहां छात्र अध्ययन किया करते थे। राजा भोज द्वारा यहां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। लंबे समय तक यह शिक्षा का एक महान केंद्र रहा। मुगलकाल में यहां सबसे पहले आक्रमण किया अलाउद्दीन खिलजी ने। 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने शिक्षा के केंद्र और वाग्देवी के मंदिर भोजशाला को पूरी तरह तबाह कर दिया।

भोजशाला में किसने बनवाई मस्जिद :

मंदिर को ध्वस्त करने के बाद यह स्थान सालों तक वीरान रहा। 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला में मस्जिद का निर्माण किया। 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने मस्जिद के दूसरे हिस्से का निर्माण किया। इस तरह राजा भोज द्वारा स्थापित प्राचीन भोजशाला में मस्जिद बना दी गई।

वाग्देवी की मूर्ती कहां हैं ?

जानकारी के अनुसार 1875 में भोजशाल की खुदाई की गई। कहा जाता है कि, इस खुदाई में वाग्देवी की वह मूर्ती मिली जिसकी स्थापना परमार वंश के शासक राजा भोज द्वारा कराया गया था। इस मूर्ती को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज इंग्लैंड ले गया। लंदन के एक संग्रहालय में वाग्देवी की यह मूर्ती सुरक्षित है। इसे वापस लाए जाने के लिए भी कोर्ट में याचिका लगाई गई है।

धार रियासत ने साल 1935 में भोजशाला में मुस्लिमों को शुक्रवार की नमाज पढ़ने की अनुमति दी थी। समय - समय पर यहाँ लोगों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध भी लगाया गया। इसके बाद तय हुआ कि, शुक्रवार को मुस्लिम यहां नमाज पढ़ेंगे और हिन्दू मंगलवार और बसंत पंचमी को देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।

हाई कोर्ट पहुंचे हिन्दू पक्षकार :

अब न्याय पाने के लिए हिन्दुओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के समक्ष याचिका लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने 11 मार्च को भोजशाला का एएसआई सर्वे कराए जाने का आदेश दिया था। एएसआई ने 22 मार्च से भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू किया था। कोर्ट ने 6 हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था लेकिन समय - समय पर कोर्ट ने डेडलाइन बढ़ा दी थी। अब ASI ने दो हजार पन्नो की रिपोर्ट पेश की है। इसके आधार पर MP हाई कोर्ट बताएगा कि, भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है।

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