मप्र हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं ले सकते निजी स्कूल
जबलपुर/भोपाल/वेब डेस्क। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के बाद से ही सभी निजी एवं सरकारी स्कूल बंद हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस वसूलने के निर्देश दिये थे, जिसके खिलाफ निजी स्कूल हाईकोर्ट पहुंचे थे। इस मामले में मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य बैंच ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि जब तक नियमित स्कूल नहीं खुलते, तब तक राज्य के निजी स्कूल कोरोना काल में ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य तरह की फीस की वसूली नहीं कर सकते। राज्य शासन का निर्णय इस सिलसिले में मान्य होगा। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि कोरोना काल में मनमानी फीस के जरिये किसी भी छात्र को परेशान करना उचित नहीं होगा।
अन्य जगहों से स्थानांतरित जनहित याचिकाएं एक साथ सुनी गईं
राज्य सरकार के ट्यूशन फीस वसूलने के निर्णय के खिलाफ निजी स्कूलों द्वारा हाईकोर्ट में लगाई गई याचिकाओं पर गुरुवार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान जबलपुर सहित अन्य जगहों से स्थानांतरित जनहित याचिकाएं एक साथ सुनी गईं। सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे तथा जबलपुर के समाजसेवी रजत भार्गव की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा।
उन्होंने कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने पर जोर देते हुए बताया कि निजी स्कूल ऑनलाइन माध्यम से संचालित हो रहे हैं और भारी-भरकम फीस वसूल रहे हैं। आनलाइन क्लास और फीस नियमित, यह रवैया अनुचित है, जबकि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने आदेश जारी किए कर निजी स्कूलों को मात्र ट्यूशन फीस लेने का अधिकार दिया था। अन्य मदों की फीस एवं शुल्क लेने की छूट प्राप्त नहीं थी, लेकिन कुछ को छोड़ शेष कई निजी स्कूल कोरोना काल में भी मनमानी फीस वसूल रहे हैं। वे ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य मदों का शुल्क अदा करने अभिभावकों व छात्रों को परेशान कर रहे हैं।
पक्षकार बोले - निजी स्कूलों का खर्च चलना मुश्किल
निजी स्कूलों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने अदालत में अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने फीस वसूली के लिए स्वतंत्र करने की मांग की। अदालत ने पूरे मामले को सुनने के बाद छात्र और अभिभावकों के हित में निर्देश जारी किया। साफ किया गया कि कोरोना काल में सिर्फ टयूशन फीस लेना ही व्यवहारिक है। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि जब तक निजी स्कूल नियमित रूप से नहीं खुलते, तब तक वे पूर्व निर्धारित ट्यूशन फीस ही वसूल सकते हैं।