भारत-अमेरिका के बीच सबसे बड़ी डिफेंस डील मंजूर, अब देश में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के लिए GE इंजन, Predator Drone करेगा निगरानी
नईदिल्ली/वेबडेस्क। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरे को लेकर जबर्दस्त उत्साह के बीच पहली बड़ी घोषणा हुई है। पता चला है कि भारत और अमेरिका के बीच सशस्त्र ड्रोन खरीद पर बड़ा सौदा किया गया है इसके साथ ही अमेरिका की GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच फाइटर प्लेन के इंजन बनाने का समझौता हो गया है। इसके तहत अब भारतीय लड़ाकू विमानों के इंजन भारत में ही बनेंगे।। व्हाइट हाउस ने इस सौदे को 'मेगा डील' करार दिया है।
जोरदार स्वागत के बीच वाशिंगटन पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच व्यक्तिगत व उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ताएं होनी हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के रिश्तों पर कई घोषणाएं भी की जानी हैं। इसके लिए मोदी और बाइडन संयुक्त रूप से पत्रकारों को संबोधित भी करेंगे। औपचारिक ऐलान की प्रतीक्षा के बीच मोदी के इस दौरे की पहली बड़ी घोषणा हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन गुरुवार को भारत द्वारा खरीदे गए जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर एक मेगा सौदे की घोषणा करेंगे।
29 हजार करोड़ रुपये का सौदा
एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे। इनमें से 14 नौसेना और आठ-आठ वायुसेना और थल सेना को मिलेंगे।
जवाबी कार्रवाई करने में भी सक्षम
जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर ड्रोन दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है। यह मानव रहित हवाई वाहन 27 घंटे से अधिक समय तक 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। कैमरों, सेंसर और रडार से लैस यह खुफिया जानकारी एकत्र कर सकता है। इसकी खास बता यह है कि खतरों का पता लगाकर सतह से हवा में मार करने वाले हथियारों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
HAL और GE के बीच समझौता -
अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने आज घोषणा की कि उसने भारतीय वायु सेना के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के बीच दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने में बड़ा मील का पत्थर है। आज का समझौता लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-2 कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारतीय वायु सेना के लिए 99 इंजन बनाने की जीई एयरोस्पेस की पिछली प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगा।
दरअसल, अभी तक दुनिया के सिर्फ चार देश अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस फाइटर जेट के इंजन बनाते हैं, यानी दुनिया भर में उड़ रहे फाइटर जेट्स में इन्हीं देशों में बने इंजन लगे हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के बीच अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने अपना प्लांट भारत में लगाने की डील पर मुहर लगा दी है, जिससे भारत भी फाइटर जेट के इंजन बनाने वाले देशों में शामिल हो जाएगा। साथ ही भारत में बनने वाले इंजन स्वदेशी फाइटर जेट्स के लिए बेहद फायदेमंद होंगे, क्योंकि हमें इंजन खरीदने के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना होगा।