कांग्रेस "तलाशेगी" भाजपा की "लोकप्रियता" का "पैमाना"

कांग्रेस तलाशेगी भाजपा की लोकप्रियता का पैमाना
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दो दिन के मंथन में हुआ फैसला पलायन रोकें, संगठन को मजबूत करें, गुटबाजी को भूल जाएं

भोपाल। मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों के संभावित उपचुनाव में उम्मीदवार चयन को लेकर सोमवार को दोबारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास पर आयोजित मंथन बैठक में मौजूद पार्टी नेता उस समय हतप्रभ रह गए, जब यह बताया गया कि कांग्रेस ने अपना सर्वे करा लिया है और अब कांग्रेस यह पता करेगी कि प्रदेश की जिन 24 सीटों पर उप चुनाव होना है वहां भाजपा की लोकप्रियता का पैमाना क्या है। कांग्रेस के बड़े नेताओं के इस विचार को सुन बैठक में मौजूद उपचुनाव वाले क्षेत्रों के प्रभारी जिलाध्यक्ष, पूर्व विधायक और पदाधिकारी एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। हालांकि बड़े नेताओं की उपस्थिति के कारण किसी ने सवाल-जबाव नही कियाए लेकिन बैठक समाप्ति के बात बाहर निकलने पर उनकी जो प्रतिक्रियाएं सुनने को मिली वह कांग्रेस संगठन के नेताओं केफैसले पर सवाल खड़े कर रही है।

लिया उनके क्षेत्र का अभिमत

बैठक में विधान सभावार कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अभिमत लिया गया। इसके अलावा पार्टी नेताओं का पलायन रोकने, संगठन को मजबूत करने, कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने, स्थानीय, जातीय, क्षेत्रीय समीकरणों, संभावित उम्मीदवारों और चुनावी मुद्दों पर चर्चा की गई। इससे पहले रविवार को भी एक मंथन बैठक आहूत की गइ्र थीए जिसमें कमलनाथ सरकार के पूव्र मंत्रियों और विधायकों को आलाकमान का संदेश दिया गया था। कांग्रेस की इस मंथन बैठक में "स्वदेश" में सोमवार को प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित "सुधर जाओ वर्ना हालात हाथ से निकल जाएंगे!" खबर को लेकर भी चर्चा रही। जिसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक ने नेताओं से मीडिया को पार्टी के अन्दर की चर्चाओं को लेकर जानकारी देने से बचने की सलाह दी।

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने सभी मौजूद जिला अध्यक्षों और पूर्व विधायकों से कहा पार्टी के लिए यह संक्रमण का समय है, इस समय आपसी मतभेद भुलाकर केवल और केवल पार्टी के लिए संगठित होने की जरुरत है। भूल जाएं कि आप किस गुट या नेता के साथ हैं। इस समय केवल कांग्रेस है और पार्टी जिस उम्मीदवार को भी चुनावी रण में उतारे उसके साथ खड़े होकर कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करना है। उपचुनाव वाले जिलों के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ मंथन में उपचुनाव के मद्देनजर संगठन को मजबूत करने और जो संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने पर जोर दिया गया। साथ ही उप चुनाव वाले क्षेत्रों में नियुक्त किए गए प्रभारियों को प्रशिक्षित करने के काम में तेजी लाने की बात कही गई।

कमलनाथ ने पार्टी जिला अध्यक्षों और पूर्व विधायकों से कहा कि पिछले 3 महीने से हम उपचुनाव वाले इलाकों में कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों के जरिए अभिमत ले रहे हैं और माहौल का पता लगा रहे हैं। जितनी महत्वपूर्ण जानकारी की जरूरत होती है और जो सबसे बेहतर सर्वे होता है, वो पार्टी कार्यकर्ताओं का ही होता है। उन्होंने कहा कि 22 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार लगभग तय हैं। जिन्होंने कांग्रेस के साथ गद्दारी करके हमारी सरकार गिराई है। भाजपा उन्हें आश्वासन दे चुकी है कि उन्हें उम्मीदवार बनाएगी, ज्यादातर उन्हीं लोगों को मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया है।

भाजपा की स्थिति का जायजा लेने कांग्रेस कराएगी सर्वे

मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ उपचुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। उपचुनाव में कांग्रेस और कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों की स्थिति का जायजा लेने हेतु कराए गए सर्वे में कांग्रेस की हालत खराब होने की रिपोर्ट के बाद प्रदेश कांग्रेस मुखिया कमलनाथ का जोर ग्वालियर-चम्बल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव को कम करने और भाजपा के नाराज नेताओं को कांग्रेस में लाने पर है। इसके इसकी रणनीति बनाने के लिए कांग्रेस एक अजीबो-गरीब सर्वे कराने जा रही है। जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि किन-किन क्षेत्रों में भाजपा कांग्रेस की तुलना में ज्यादा मजबूत है। कहां कांग्रेस और भाजपा में कम अंतर है और कहां कांटे का मुकाबला हो सकता है। इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही कांग्रेस अपनी रणनीति बदलेगी।

कांग्रेस के नये सर्वे में और क्या?

इस सर्वे में कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल किए गए हैं। भाजपा तय कर चुकी है कि वो 22 सीटों पर कांग्रेस से बगावत करने वाले उम्मीदवारों को ही टिकट देगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के सामने तस्वीर भी साफ है। भाजपा के उम्मीदवार की स्थिति के साथ कांग्रेस सर्वे के जरिए भाजपा में उपजे असंतोष का भी पता लगा रही है। पहली बार ऐसी परिस्थितियों में हो रहे चुनाव, भाजपा को लेकर आम मतदाता का रुख क्या है, कांग्रेस ये भी पता लगा रही है। इसके साथ भाजपा में उपज रहे असंतोष का फायदा चुनाव में कैसे लिया जा सकता है। ये पता लगाने की कोशिश कर रही है।

सर्वे तो सामान्य प्रक्रिया है

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्रीएवं प्रशासन प्रभारी कांग्रेस राजीव सिंह ने कहा कि सर्वे चुनाव के समय पर ये जानकारी के लिए कराए जाते हैं कि चुनाव कैसे लड़ा जाए। वहां उम्मीदवार कौन होगा, वहां के स्थानीय मुद्दे क्या हैं, मतदाताओं के बीच क्या मुद्दे लेकर पार्टी चुनावी मैदान मंर उतरेगी। जहां तक कांग्रेस के सर्वे की बात है, तो उन लोगों की स्थिति सबको पता है। तो उनको जनता कड़ा सबक सिखाएगी।

चर्चा में रही "स्वदेश" की खबर

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की सोमवार को आयोजित मंथन बैठक में "स्वदेश" में प्रकाशित खबर "सुधर जाओ वर्ना हालात हाथ से निकल जाएंगे!" की खास चर्चा रही। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और मध्यप्रदेश के प्रभारी मुकुल वासनिक ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी बातें जो बाहर नही आना चाहिए, मीडिया के जरिए सार्वजनिक हो जाती हैं। पार्टी नेताओं को हमारी आपसी चर्चा को मीडिया से साझा करने से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हम एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रतिस्पर्धा में यह भूल जाते हैं कि हम एक राजनीतिक संगठन के लिए काम कर रहे हैं और हमारे लिए संगठन ही सर्वोपरि है। इसलिए भविष्य में इस तरह की गतिविधियों से बचना चाहिए। उल्लेखनीय है कि "स्वदेश" ने सोमवार के अंक में प्रकाशित खबर में उन बातों का खुलासा किया था, जिनके कारण कांग्रेस में चल रही गुटबाजी उजागर हुई है।

इनकी अपनी बात

कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है। जिसमें कम से कम भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता तो बैठने का विचार नही करेगा। रही बात कांग्रेस द्वारा कराए जा रहे सर्वे की, तो हर पार्टी को अपनी राजनीतिक हैसियत पता करने का अधिकार है। कमलनाथ जी को मुंगेरी लाल के सपने दिखाकर दिग्विजय सिंह भ्रमित करते रहे हैं और कर रहे हैं। भाजपा प्रदेश की सभी 24 विधानसभा सीटों पर बड़े बहुमत से जीत दर्ज करेगी।

लालसिंह आर्य, पूर्व मंत्री

आम आदमी परेशान हैं, हर व्यक्ति की यही पुकार है कि कमलनाथ को पूरे 5 साल मिलना चाहिए। कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए सरकार को गिराया है। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि उपचुनाव जब होंगे कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलेगा और हम फिर सरकार बनायेंगे और कमलनाथ मुख्यमंत्री बनेंगे।

जयवर्धन सिंह, पूर्व मंत्री

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