Black Box: अंग्रेजों के जमाने के ब्लैक बॉक्स बंद, लोको पायलेट के बैग का बढ़ा वजन, रेलवे ने क्यों लिया यह फैसला
अंग्रेजों के जमाने के ब्लैक बॉक्स बंद
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे अंग्रेजों के जमाने के ब्लैक बॉक्स को बंद कर रही है. इस ब्लैक बॉक्स का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी भारत में रेलवे की हिस्ट्री। भारत में रेलवे की शुरुआत अंग्रेजों ने ही की थी और ब्लैक बॉक्स जिसे लाइन बॉक्स भी कहा जाता है। ब्लैक बॉक्स को लोको पायलेट (Loco Pilot) के लिए काफी जरुरी माना जाता है। अब इस ब्लैक बॉक्स की जगह ट्रॉली ले रही है। ब्लैक बॉक्स को बंद किए जाने से लोको पायलेट के बैग का वजन तो बढ़ेगा ही साथ ही कई लोग बेरोजगार भी हो जाएंगे। आखिर क्या है यह ब्लैक बॉक्स और इसे रेलवे ने इसे क्यों बंद कर दिया है...यह जानने के लिए अंत तक पढ़ें।
रेलवे द्वारा आदेश जारी कर कहा गया है कि, 29 सितंबर को ब्लैक बॉक्स बंद किया जाना है। इसके लिए LPM, LPP, LGP और TM को सूचित किया जाता है कि, जल्द से जल्द ट्रॉली बैग खरीदकर प्रतिपूर्ति के लिए ऑफिस में दावा पेश करें। ट्रॉली बैग खरीदकर लाइन बॉक्स (ब्लैक बॉक्स) का सामान जमा करें और रेलवे कार्यालय के पत्र के अनुसार आवश्यक टूल प्राप्त करें।
रेलवे के इस आदेश से स्पष्ट है कि, सभी लोको पायलेट और रेलवे गार्ड को ब्लैक बॉक्स का सामान जमा कर एक ट्रॉली खरीदनी होगी। रेलवे के एक अन्य लेटर में लिखा है कि, लोको पायलेट और ट्रेन मैनेजर को लाइन बॉक्स (Black Box) की जगह ट्रॉली दी जानी है। इसके लिए हर तीन साल में रेलवे लोको पायलेट और ट्रेन मैनेजर को 5 हजार रुपए का भुगतान करेगा। 30 सितंबर से लाइन बॉक्स को उतरने चढाने का काम समाप्त कर दिया जाएगा। लोको पायलेट को ये बॉक्स खुद ही रखने होंगे।
इस निर्णय के संभावित परिणाम और कर्मचारियों में फैले असंतोष के बारे में जानने से पहले समझिए क्या है ये ब्लैक बॉक्स और क्यों है जरुरी ?
क्या है लाइन बॉक्स या ब्लैक बॉक्स :
आसान भाषा में समझें तो यह एक टूल बॉक्स है। इसमें वे जरुरी औजार और नियमों की किताब होती है जिसकी जरुरत लोको पायलेट को ट्रेन को ऑपरेट करते समय होती है। लोको पायलेट और रेलवे गार्ड की जरुरत के हिसाब से इस लाइन बॉक्स में अलग - अलग टूल होते हैं। बड़े से काले बक्से में ताला डालकर इन टूल्स को रखा जाता है।
लाइन बॉक्स में क्या - क्या होता है :
लाइन बॉक्स में किसी भी आपातकालीन स्थिति और जरूरत के लिए जरूरी महत्वपूर्ण टूल होते हैं। इनमें एक वॉकी-टॉकी के साथ एक अतिरिक्त बैटरी, लाल और हरे झंडे, एक ब्लॉक वर्किंग मैनुअल, एक सामान्य नियम पुस्तिका, एक कार्य समय सारणी, एक दुर्घटना मैनुअल, एक प्रदर्शन पुस्तिका, एक एलएचबी कोच रीसेटिंग कुंजी और अन्य वस्तुओं के अलावा दस डेटोनेटर शामिल हैं।
लाइन बॉक्स में डेटोनेटर क्यों :
दरअसल, ट्रेन के किसी भी दुर्घटना या टूटने की स्थिति में 1,200 मीटर की दूरी के बाद ट्रेन के दोनों छोर से एक डेटोनेटर को सेट करना पड़ता है। यह मार्ग के अन्य ड्राइवरों को सचेत करने के लिए है कि ट्रेन पटरियों पर फंस गई है। लाइन बॉक्स या काले बॉक्स में यह बेहद जरुरी माना जाता है।
कौन इन बड़े - बड़े भारी बक्सों को चढ़ाता - उतारता था ?
स्टेशन पर रखे इन भारी लाइन बॉक्स को गार्ड ब्रेक वैन और लोकोमोटिव ड्राइविंग कैब में रखा जाता है। इन्हें उतारने और चढाने की जिम्मेदारी बॉक्स बॉय की होती थी। इन्हें रेलवे द्वारा ठेके पर रखा जाता है। ट्रेन के प्लैटफॉर्म पर पहुंचने पर बॉक्स बॉय निर्धारित शेड्यूल के अनुसार, उस लोको पायलेट और गार्ड का लाइन बॉक्स उतार देते थे जिसकी ड्यूटी ख़त्म हुई है। शेड्यूल देखकर ही वे अगले लोको पायलेट और गार्ड का लाइन बॉक्स गार्ड ब्रेक वैन और लोकोमोटिव ड्राइविंग कैब में रख भी देते हैं।
अब समझिए ब्लैक बॉक्स को हटाया जाना क्यों गलत फैसला माना जा रहा है :
लाखों लोगों से छिन गया रोजगार :
एक रेलवे स्टेशन पर कई बॉक्स बॉय दिन भर में कई बार इस भारी से लाइन बॉक्स को उतारते और चढ़ाते थे। एक बॉक्स को इधर से उधर करने के लिए बॉक्स बॉय को दस रुपए मिलते थे। एक बॉक्स बॉय दिन भर में कई बॉक्स चढ़ाते और उतारते थे। अब लाइन बॉक्स की जगह ट्रॉली ने ले ली है और इसे उतारने चढाने के काम से भी रेलवे प्रशासन ने हाथ खींच लिए हैं। इस तरह अब बॉक्स बॉय भी काले बक्से की तरह इतिहास हो गए हैं और इनका रोजगार ख़त्म हो गया है।
लोको पायलेट का बोझ बढ़ा :
15 से 20 किलो वजनी इस लाइन बॉक्स का सामान अब ट्रॉली में शिफ्ट हो गया है। इस ट्रॉली को लाने और ले जाने की जिम्मेदारी भी अब लोको पायलेट के कन्धों पर ही है। लोको पायलेट और गार्ड को इस ट्रॉली के अलावा अन्य सामान भी ले जाना होता है। इस तरह रेलवे द्वारा लोको पायलेट और रेलवे गार्ड का बोझ बढ़ा दिया गया है। इसके लिए उन्हें तीन साल में पांच हजार रुपए का भुगतान कर दिया जाएगा।
रेलवे ने क्यों लिया यह निर्णय :
रेलवे के इस निर्णय के पीछे बड़ा कारण बजट बताया जा रहा है। रेलवे ब्लैक बॉक्स का सिस्टम ख़त्म पर ठेके पर रखे जाने वाले लोगों का खर्चा बचाना चाहती है। हालांकि रेलवे के इस निर्णय से कितनी बचत होगी इस बात के आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं लेकिन लाखों लोगों का रोजगार इस निर्णय के बाद समाप्त कर दिया गया है।
बता दें कि, इससे पहले 28 नवंबर, 2022 को एक याचिका के माध्यम से ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल ने उच्च न्यायालय में ब्लैक बॉक्स बंद किए जाने का विरोध किया था। न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार चलने का फैसला किया। न्यायाधिकरण ने इस संबंध में केंद्र को कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया था। जिससे रेलवे को अपना निर्णय लेने की अनुमति मिल गई। रेलवे के इस निर्णय से ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल अब खफा है।