रेलवे का आधुनिकीकरण जारी, कवच के बाद मिलेगी C-Dot की ये..तकनीक, सुधरेगी संचार सुविधा
वेबडेस्क। भारतीय रेलवे जल्द ही एक ऐसी टेक्नोलॉजी को देश में ही विकसित करने जा रहा है।जिसके बाद हमारी जर्मनी पर निर्भरता कम हो जाएगी। रेलवे ने दूरसंचार और परिचालन से जुड़ी तकनीकों के आधुनिकीकरण के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) के साथ के साथ समझौता किया है। मंत्रालय ने गुरूवार को इसकी जानकारी दी।
इस समझौता ज्ञापन के साथ, सी-डॉट और रेल मंत्रालय विश्व मानकों, मेक इन इंडिया (एमआईआई) नीति के अनुरूप भारतीय रेलवे में 5जी उपयोग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) / मशीन टू मशीन (एम2एम) एप्लीकेशन, यूनिफाइड नेटवर्क मैनेजमेंट सिस्टम, ओएफसी मॉनिटरिंग / नेटवर्क मैनेजमेंट सिस्टम (एनएमएस), वीडियो कॉन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर (वीसी डॉट), चैटिंग एप्लिकेशन, राउटर, स्विचेस के होने पर एलटीई-आर का उपयोग कर सार्वजनिक सुरक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए भारतीय रेलवे में दूरसंचार के आधुनिकीकरण के लिए मिलकर काम करेंगे।
मिलेंगी ये सुविधा -
- ट्रेनों के अंदर, ट्रेन से जमीन तक और ट्रेन से ट्रेन तक हाई-स्पीड वायरलेस वॉयस और डेटा संचार की सुविधा
- लोको पायलट और स्टेशन मास्टर के बीच तेज और स्पष्ट संदेशों का संचार
- मेक इन इंडिया' नीति को मजबूत करेगा
- सुरक्षा से जुड़े जोखिम कम होंगे
- विदेशी निर्भरता घटेगी
कवच तकनीक -
रेलवे के जारी आधुनिकीकरण की इस कड़ी में इससे पहले कवच तकनीक को लांच किया गया था। जोकि ऐसी स्वदेशीएंटी-कोलिजन डिवाइस है, जिससे ट्रेनों के एक्सीडेंट को रोक जा सकता है। रेलवे का उद्देश्य इस तकनीक के उपयोग से रेल हादसों की संख्या को शून्य करना है। इस तकनीक के तहत जब दो ट्रेनें एक ही ट्रेक पर आमने-सामने आ जाए तो 380 मीटर की दूरी से कवच इंजन को तुरंत रोक देता है। इसके अलावा लूप लाइन पर चलते समय ये तकनीक ट्रेन की स्पीड को ऑटोमेटिक कम कर देती है। इसके लिए 2022 के बजट में 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को 'कवच' के तहत लाने की योजना के बारे में ऐलान किया गया था।