Lateral Entry: नौकरशाही में लेटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए केंद्र ने UPSC चेयरमैन को लिखा पत्र
नई दिल्ली। लेटरल एंट्री विज्ञापन को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखा है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार लेटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द करने के लिए यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
केंद्र सरकार का यह आदेश विज्ञापन जारी करने के तीन दिन बाद आया है। UPSC ने विज्ञापन निकालकर केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव सहित 45 पदों पर "लेटरल एंट्री" के लिए प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों" के लिए आवेदन मांगे गए थे।
इनमें 10 संयुक्त सचिवों की कुल रिक्तियों में वित्त मंत्रालय में डिजिटल अर्थव्यवस्था, फिनटेक, साइबर सुरक्षा और निवेश में संयुक्त सचिव और गृह मंत्रालय के तहत एनडीएमए में संयुक्त सचिव (नीति और योजना) शामिल थे।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह डॉ. जितेंद्र सिंह ने लेटर में लिखा है कि, "हाल ही में, यूपीएससी ने केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर कई लेटरल एंट्री पदों से संबंधित एक विज्ञापन जारी किया।
यह सर्वविदित है कि सिद्धांत रूप में लेटरल एंट्री को द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) द्वारा समर्थन दिया गया था, जिसका गठन 2005 में वीरप्पा मौली की अध्यक्षता में किया गया था। 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी निर्देश में थीं। हालांकि, इससे पहले और बाद में भी लेटरल एंट्री के कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि, पिछली सरकारों के तहत, विभिन्न मंत्रालयों में सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद, यूआईडीएआई के कैडरशिप आदि को आरक्षण की किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बिना लेटरल एंट्री के भरा गया। इसके अलावा, यह सर्वविदित है कि कुख्यात राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य एक सुपर-नौकरशाही चलाते थे जो प्रधानमंत्री कार्यालय को नियंत्रित करती थी। जबकि 2014 से पहले अधिकांश प्रमुख लेटरल एंट्री तदर्थ तरीके से की गई थीं, जिसमें कथित पक्षपात के मामले भी शामिल हैं।
हमारी सरकार का प्रयास प्रक्रिया को अंतिम रूप से संचालित, पारदर्शी और खुला बनाने का रहा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है, आरक्षण के प्रावधानों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए।"
विपक्ष ने बनाया था मुद्दा :
बता दें कि, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत एनडीए के कुछ साथी दलों ने यूपीएएसी में लेटरल एंट्री को लेकर कई सवाल खड़े किये थे। राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री में आरक्षण का मुद्दा उठाया था। इसके बाद सरकार ने अब लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं।