भारत को अर्जेंटीना में मिला बड़ा खजाना, लीथियम की 5 खदानों के अधिग्रहण करने की तैयारी में केंद्र सरकार
Lithium Block (Image Credit - Indian Tech & Infra )
नईदिल्ली/वेब डेस्क। भारत और अर्जेंटीना के बीच एक बड़ा करार होने जा रहा है जोकि भारत के लिये एक बहुत बड़े खज़ाने से कम नहीं है। दरअसल भारत और अर्जेंटीना के बीच एक समझौता होने जा रहा है जिसके तहत भारत अर्जेंटीना में लीथियम के उत्पादन के लिये वहाँ की 5 खदानों का अधिग्रहण करने जा रहा है और यह समझौता भारत के खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) व अर्जेंटीना के CAMYEN के बीच होने जा रहा है।
लीथियम क्या है ?
लीथियम हल्का सफ़ेद धात्विक पदार्थ है जिसका उपयोग कई प्रकार की बैटरियाँ बनाने में किया जाता है। आज के इस टेक्नोलॉजी के जमाने में बिना बैटरी के कोई भी उपकरण कार्य नहीं कर सकता चाहें वह मोबाइल फ़ोन हो या लैपटॉप या फिर इलेक्ट्रिक व्हीकल क्यूँ न हो। ऊर्जा के कई संसाधनों के ख़त्म हो जाने पर लीथियम के द्वारा ही ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है। लीथियम को 'व्हाइट गोल्ड' कहा जाता है।
आज के समय हमारी ज़रुरत का 95%लीथियम हमें चीन और हांगकांग से आयात करना पड़ता है। चीन से हमारे रिश्ते ज़्यादा अच्छे नहीं हैं और चीन से लीथियम खरीदना हमें बहुत महंगा भी पड़ता है और चीन हमारी इस स्थिति का फायदा हमारे खिलाफ ही उठा सकता।इसीलिये हमें लीथियम का कोई दूसरा माध्यम ढूँढना पड़ेगा और भारत में भी हाल ही में जम्मू और कश्मीर के रियासी ज़िले में लीथियम के भंडार खोजे गये हैं जोकि उपयोग में लाने में हमें काफी समय लग सकता है, इस वजह से हमने अर्जेंटीना के साथ यह समझौता किया है।
गौरतलब है की अर्जेंटीना में विश्व के कुल लीथियम भण्डारण का 21% भण्डारण है जोकि विश्व का दूसरा सबसे बड़ा भण्डारण है। अर्जेंटीना लीथियम के ABC ट्रायंगल में आने वाला एक देश है। अर्जेंटीना में विश्व के कुल 98 मिलियन टन में से 20 मिलियन टन लीथियम पाया जाता है परन्तु लीथियम के उत्पादन में अर्जेंटीना का स्थान विश्व में चौथा है। वहां की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिये व भारत की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये यह समझौता दोनों देशों के लिये एक महत्वपूर्ण कदम है। ख़ास बात यह भी है कि अर्जेंटीना में पाया जाने वाला लीथियम नमक के सफ़ेद मैदानों में पाया जाता है जोकि तुलनातमक रूप से खनन के हिसाब से सस्ता है जबकि आमतौर पर लीथियम कठोर पत्थरों में पाया जाता है। खनन करने में भी काफी खर्चा आता है इसीलिये अर्जेंटीना से यह करार हमारी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महतवपूर्ण कदम है।