केंद्र सरकार ने समाप्त किया RSS पर लगा सालों पुराना बैन, सरकारी कर्मचारियों से था कनेक्शन्स, जानिए कैसे?
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आरएसएस पर लगा सालों पुराना प्रतिबन्ध हटा लिया है। इसके बाद अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की गतिविधि में हिस्सा ले सकेंगे। आरएसएस पर लगा यह बैन सरकारी कर्मचारियों से जुड़ा हुआ था। कांग्रेस ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। आइए जानते हैं इस खबर के बारे में विस्तार से।
दरअसल, फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह एक आधिकारिक आदेश था। 9 जुलाई 2024 को, केंद्र सरकार ने आरएसएस पर लगा 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया है।
केंद्र द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि, 'उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है। समीक्षा के बाद 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उल्लेख हटा दिया गया है।'
कांग्रेस ने उठाए सवाल :
केंद्र के इस निर्णय की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, 'RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था - और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। 4 जून 2024 के बाद, प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।'
आरएसएस ने भी दी प्रतिक्रया :
सरकारी कर्मचारी अब आरएसएस की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे, इस पर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा , "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 99 वर्षों से लगातार राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में लगा हुआ है। राजनीतिक स्वार्थों के कारण तत्कालीन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर संघ के कार्यों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो पूरी तरह से निराधार था और इसका कोई आधार नहीं था लेकिन अब वर्तमान सरकार द्वारा इस प्रतिबंध को हटाने का निर्णय उचित है और इससे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी।"
"अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।" - श्री सुनील आंबेकर pic.twitter.com/uWYVyZtJLY
— Swadesh स्वदेश (@DainikSwadesh) July 22, 2024