Orchha Chaturbhuj Temple: रानी की प्रतिज्ञा से बना था ओरछा का ये भव्य मंदिर, जानिए इसकी खासियत

Orchha Chaturbhuj Temple: रानी की प्रतिज्ञा से बना था ओरछा का ये भव्य मंदिर, जानिए इसकी खासियत
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मध्य प्रदेश के ओरछा में चतुर्भुज मंदिर स्थित है जहां राजा राम की पूजा होती है। जिसके पीछे एक कहानी प्रचलित है जो 16 वीं सदी से जुड़ी है।

Orchha Chaturbhuj Temple: भारत देश संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं वाला देश है जिसके हर हिस्से में अलग ही झलक देखने के मिलती है। वहीं पर भारत में अनगिनत भारतीय मंदिर( Indian Temple) देखने के लिए मिलते हैं तो इनके निर्माण की कहानी भी दिलचस्प है। हम सभी ने अयोध्या में भगवान श्री राम (Lord Rama) भव्य मंदिर के बारे में तो जान ही लिया है लेकिन क्या आपको पता है मध्य प्रदेश के ओरछा में भी भगवान श्री राम का भव्य मंदिर है जिसका नाम है चतुर्भुज मंदिर (Orchha Chaturbhuj Temple) ।

जानिए क्या है ओरछा के इस मंदिर की कहानी

मध्य प्रदेश के ओरछा में राजा राम की पूजा होती है। जिसके पीछे एक कहानी प्रचलित है जो 16 वीं सदी से जुड़ी है। उस दौरान ओरछा के बुंदेला शासक मधुकर शाह का शासन था। राजा कृष्ण भक्त थे वहीं उनकी महारानी कुंवरी गणेश राम भक्त थी। राजा चाहते थे कि हम एक प्राण ही एक भक्ति करें, लेकिन रानी ने कहा कि मैं रामभक्त हूं और रामभक्ति नहीं छोड़ पाऊंगी। जिसके बाद राजा ने गुस्से से कह दिया कि अगर सच्ची रामभक्त हो तो राम को अयोध्या से लेकर आओ।

रानी की प्रतिज्ञा से बना मंदिर

रानी ने राजा की बात को मान लिया और फिर प्रतिज्ञा करती हैं कि अगर सच्ची रामभक्त हूं तो राम को लेकर आऊंगी, नहीं तो सरजू मैय्या में अपने प्राण त्याग दूंगी, लेकिन आपके नगर में वापस नहीं आऊंगी। इसके बाद जब रानी अयोध्या पहुंची और सरजू के किनारे तपस्या करने लगी। फिर तपस्या करते-करते काफी समय बीत गया और भगवान नहीं मिले तो रानी सरजू नदी में प्राण त्यागने के लिए कूदी तो भगवान बालरूप में उनकी गोद में आए। रानी की निष्ठा पर खुश हुए और रानी की बात सुनने के बाद तीन शर्तो में आने के लिए तैयार हुए।

रानी की भक्ति पर हारे राजा

मंदिर नहीं बनने पर रानी ने रसोई में ही भगवान की पूजा की, जहां पर रानी की भक्ति पर राजा को भी हार माननी पड़ी। जिसके बाद राजा मधुकर शाह ने चतुर्भुज मंदिर को 1558 ई. से 1573 ई. के बीच बनवाया था। ऐसे में कुछ समय बाद कृष्ण भक्त राजा ने रानी के साथ मिलकर भगवान विष्णु की स्थापना करवाई। इसके बाद से वहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

जानिए मंदिर की खासियत

यहां पर इस चतुर्भुज मंदिर की ऊंचाई 344 फीट है तो वहीं चतुर्भुज मंदिर में देवदार के शंकु के आकार के ऊँचे शिखर हैं जो 4.5 मीटर देखने के लिए मिलते है। इस मंदिर को खासकर भगवान विष्णु की चारों भुजाओं को दर्शाने के लिए बनाया गया है। यह मंदिर बहुमंजिला किले की तरह दिखाई देता है जिसकी सुन्दरता देखते ही बनती हैं।मंदिर की छत, जहाँ से ओरछा नगर, घुमावदार बेतवा नदी, सावन भादों, रामराजा मन्दिर और कुछ दूरी पर भव्य लक्ष्मी नारायण मंदिर बेहद सुंदर नजर आते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर

चतुर्भुज मंदिर पहुंचने के लिए ओरछा तक ग्वालियर हवाई अड्डे से हवाई मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है जो 119 किलोमीटर (74 किलोमीटर दूर है। इसके लिए दिल्ली और भोपाल से ग्वालियर के लिए नियमित उड़ानें संचालित होती हैं। सड़क मार्ग से यहाँ झाँसी-खजुराहो राजमार्ग से (एक मोड़ लेकर) पहुँचा जा सकता है। यहां पर पास में झाँसी रेलवे स्टेशन है जो 16 किलोमीटर (9.9 किलोमीटर) दूर है।

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