शिवराज सिंह ने ओवैसी के गढ़ में समझाया भारत का अर्थ, कहा - हिंदुत्व ही राष्ट्रीत्व

शिवराज सिंह ने ओवैसी के गढ़ में समझाया भारत का अर्थ, कहा - हिंदुत्व ही राष्ट्रीत्व
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हैदराबाद। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान आज यहां सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ रामानुजाचार्य सहस्त्राब्दी समारोह में शामिल हुए। उन्होंने स्वामी रामानुजाचार्य की याद में बनाए गए स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी के दर्शन किए। मुख्यमंत्री चौहान की पत्नी साधना सिंह भी इस दौरान उनके साथ थीं।

मुख्यमंत्री ने ओवैसी के गढ़ हैदराबाद में भारत का मतलब समझाया। उन्होंने कहा की हिंदुत्व ही राष्ट्रीत्व है। इसमें दो मत नहीं है, इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं है।उन्होंने संत श्री रामानुजाचार्य को याद करते हुए कहा की उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया।भक्ति की कई अन्य विचारधाराएं भी उनकी प्रेरणा से पनपी। उन्होंने समाज से वर्ग विभेद दूर कर समानता पर जोर दिया। इसलिए एक हजार साल बाद भी उनके विचार प्रासंगिक हैं।

मुख्यमंत्री चौहान ने इस अवसर पर वैदिक दार्शनिक, समाज सुधारक रामानुजाचार्य जी का स्मरण करते हुए कहा कि तमिलनाडु के श्री पेरम्बदूर में जन्मे रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया। उनकी शिक्षाओं से अन्य भक्ति विचारधाराएं भी पनपीं। अन्ना आचार्य, भक्त रामदास, कबीर, मीराबाई जैसे संतों, कवियों को भी प्रेरणा मिली। एक हजार वर्ष बाद आज भी उनके संदेश प्रासंगिक हैं। उनका सम्पूर्ण दर्शन अपने आप में एक विराट संसार है जो समता, समानता और बंधुत्व की मजबूत नींव पर स्थापित है। उन्होंने समाज में वर्ग विभेद को समाप्त कर समानता के सेतु बनाने का प्रबल आग्रह किया। वे सिर्फ धर्म प्रचारक या संत ही नहीं थे, बल्कि स्वयं शेषावतार थे, जिन्होंने अपनी शिक्षाओं और कार्यों से भारतीय परम्परा के शाश्वत मूल्यों को उद्घाटित किया था। विभिन्न भारतीय संस्कृतियों को जोड़कर वैदिक अद्वैत सिद्धांत को यथावत रखा। उनकी भक्ति भावना का प्रसार दक्षिण ही नहीं उत्तर भारत में भी हुआ। इस तरह वे भारतीय संत परम्परा के मुकुटमणि बने।

ओंकारेश्वर का होगा अंतरराष्ट्रीय महत्व -

मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊंची विशाल बहु धातु प्रतिमा, शंकर संग्रहालय और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान के निर्माण को मध्यप्रदेश सरकार ने मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में गत माह देश के प्रमुख साधु संत भी आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी मंडल की बैठक में भोपाल आये थे, तब ओंकारेश्वर में प्रारंभ प्रकल्प के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा हुई थी। आचार्य शंकर के सम्पूर्ण जीवन दर्शन से परिचित कराने, उनके अद्वैत वेदांत की अभिव्यक्ति, नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण, पर्यावरण संरक्षण, विश्व कल्याण और 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भाव के साथ ओंकारेश्वर को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्थल के रूप में विकसित करने के लिए में बजट प्रावधान के साथ ही विभिन्न कार्यों के लिए एजेंसियों का निर्धारण कर लिया गया है।

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