CM Yogi Birthday: बार सांसद तो 2 बार से UP की कमान संभालने वाले योगी आदित्यनाथ का सियासी सफर काफी है दिलचस्प, जानिए
यूं तो सियासत में कई सुरमा हैं जिनका व्यक्तित्व और बोलने का अंदाज सबसे अलग माना जाता है। उन्हीं चुनिंदा नेताओं में से एक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता योगी आदित्यनाथ भी हैं। जिन्होंने अपने हिंदूवादी छवि की वजह से देशभर में एक अलग ही पहचान बनाई है।
आज उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। साल 2022 में योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार यूपी के मुखिया के तौर पर शपथ ली थी। इससे पहले वो कई पदों पर रह चुके हैं। साथ ही गोरखपुर संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं।
तो आइए देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक योगी आदित्यनाथ की सियासी सफर के बारे में बताते हैं।
योगी आदित्यनाथ का परिचय
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित पंचुर गांव में हुआ था। ये गढ़वाली क्षत्रिय परिवार से आते हैं। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो एक फॉरेस्ट रेंजर थे। वहीं इनकी मां का नाम सावित्री देवी है। बता दें कि, 20 अप्रैल 2020 को उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट की मृत्यु हो गई थी। अपनी माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें नंबर के थे और इनसे और दो छोटे भाई भी हैं।
योगी आदित्यनाथ साल 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल से अपनी पढ़ाई शुरू की थी और 1987 में यहां से दसवीं की परीक्षा भी पास की। साल 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। साल 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से योगी आदित्यनाथ ने गणित में बीएससी की डिग्री हासिल की।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोटद्वार में रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ के कमरे से सामान चोरी हो गया। जिसमें इनके सनत प्रमाण पत्र भी थे। जिसकी वजह से उनका गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर करने का सपना पूरा न हो सका। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने ऋषिकेश में दुबारा विज्ञान स्नातकोत्तर में एडमिशन लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया। साल 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखुपर पहुंचे। जहां पर इनके चाचा महंत अवैद्यनाथ भी रहते थे।
वहीं साल 1994 में योगी आदित्यनाथ पूर्ण रूप से संन्यासी बन गए, जिसके बाद ही इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। भगवा वस्त्र धारण करने से पहले इनका नाम अजय सिंह बिष्ट था।
योगी आदित्यनाथ का सियासी सफर
योगी बनने के बाद धीरे-धीरे राजनीति में सक्रिय होने लगे। पहले से ही वो राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे थे। योगी आदित्यनाथ ने साल 1998 में भाजपा के टिकट पर गोरखपुर से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें जीत मिली। जब उन्होंने ये जीत हासिल की तब उनकी उम्र महज 26 वर्ष की थी। वो 12वीं लोकसभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। वहीं साल 1999 में 13वीं लोकसभा का चुनाव हुआ। जिसमें पार्टी ने एक बार फिर से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा। पिछली बार से कहीं ज्यादा मतों से गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से जीत कर सदन पहुंचे।
योगी आदित्यनाथ सांसद रहते हुए साल 2002 में हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया। इसके दो साल बाद एक बार फिर से साल 2004 में तीसरी बार लोकसभा चुनाव में उतरे। इस बार का भी परिणाम पिछली बार की तरह ही रहा। इसी तरह साल 2009 और 2014 के आम चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। ये अपने राजनीति कार्यकाल में पांच बार गोरखपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
साल 2014 के जनरल इलेक्शन में भाजपा ने बहुमत हासिल कर केंद्र में सरकार बना ली थी। इसके तीन साल बाद यानी साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव हुआ। जिसमें पार्टी की ओर से योगी आदित्यनाथ ने खूब प्रचार-प्रसार किया। हिंदूवादी चेहरा होने की वजह से पार्टी को इसका फायदा भी हुआ। चुनाव प्रचार के लिए बकायदा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें एक हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया था। इस चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिली और 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई जिसमें योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने यूपी के नए सीएम के तौर पर शपथ ली। तब से अब तक वो प्रदेश के मुखिया हैं।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की गोरखपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस सीट से उन्होंने पहली बार साल 2022 में चुनाव लड़ा था। वहीं योगी आदित्यनाथ साल 2017 से 2022 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।