कांग्रेस में कौन देगा शशि थरूर को चुनौती ? राहुल या गहलोत उठ रहे सवाल, क्या गांधी परिवार खो देगा कमान ?
नईदिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की अधिसूचना जारी होने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है पार्टी के अंदर गहमागहमी लगातार तेज होती जा रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़े नेताओं की 10 जनपथ में हाजिरी लग रही है। कल शशि थरूर के बाद आज केसी वेणुगोपाल सोनिया गाँधी से मिलें पहुंचे है। सूत्रों की माने तो शशि थरूर को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए गांधी परिवार की मुखिया की सहमति मिल गई है।
शशि थरूर ने कल 10 जनपथ पर पहुंचकर सोनिया गांधी से अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी थी। जिस पर उन्होंने सहमति जाता दी है। बताया जा रहा है की सोनिया गांधी ने थरूर को भरोसा दिया कि वह 'निष्पक्ष' रहेंगी।सोनिया ने ऐसा कहकर इशारा किया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार, आगामी चुनावों में किसी उम्मीदवार के साथ खड़ा नहीं होगा। किसी तरह के आधिकारिक नामांकन से भी साफ इनकार किया गया। वहीं अब तक थरूर के अलावा किसी और ने अध्यक्ष पद पर दावा नहीं किया है, मगर यह सिचुएशन बड़ी तेजी से बदल सकती है।
क्या गांधी परिवार खोएगा कमान -
ऐसे में सवाल उठ रहे है कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर की दावेदारी को चुनौती कौन देगा? क्या भारत जोड़ो यात्रा को समाप्त कर राहुल गांधी दोबारा इस पद के लिए आगे आएंगे या गांधी परिवार अपने विश्वसनीय अशोक गहलोत या किसी और को आगे बढ़ाएगा ? क्या गांधी परिवार इतनी आसानी से पार्टी पर नियंत्रण हाथ से जाने देगा और कैडर इस बात को आसानी से स्वीकार कर लेगा? ये सवाल इसलिए उठ रहे है क्योंकि शशि थरूर कांग्रेस के आंतरिक गुट रहे जी-23 समूह के नेता है। जोकि गाँधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाने के साथ पार्टी में आमूलचूल बदलाव की मांग करता रहा है। ऐसे में यदि थरूर राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पहुंच गए तो उन्हें अपने हिसाब से चलाना गांधी परिवार के लिए बेहद मुश्किल होगा।
निष्पक्षता की बात बेमानी -
राजनीतिक जानकारों का कहना है की हाईकमान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस पद के लिए आगे आने के लिए मना सकता है। इससे पहले सोनिया गांधी भी गहलोत से अध्यक्ष बनने का आग्रह कर चुकी है। एकऔर सोनिया द्वारा पहले गहलोत को मनाना अब थरूर से निष्पक्ष रहने की बात करना बेमानी सा लगता है। हालांकि उनकी क्या भूमिका रहती है ये चुनावों में स्पष्ट हो जाएगा। फिलहाल के हालातों को देखें तो अध्यक्ष पद का चुनाव थरूर बनाम गहलोत हो सकता है।
क्या थरूर बनाम गहलोत -
बता दें की गहलोत का नाम आगे आने पर वह राजस्थान में ही रहने की बात कह चुके है। उनका कहना है की वह और कांग्रेस के अन्य नेता राहुल गांधी को मनाने की कोशिश कर रहे है। अब राहुल अगर नहीं मानते तो गहलोत गांधी परिवार की आज्ञा मानकर थरूर को चुनौती दे सकते है। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस के पिछले 22 साल में ये पहला मौका होगा जब कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों के माध्यम से चुना जाएगा। आखिरी बार साल 2000 में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था। उस समय जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चुनौती दी थी। हालांकि वह ये चुनाव हार गए थे।
गांधी परिवार की भूमिका -
कांग्रेस के आंतरिक सूत्रों का कहना है की गांधी परिवार चुनाव के जरिए अपने विश्वसनीय को इस कुर्सी पर पहुंचना चाहता है। इसके जरिए एक तीर से दो निशाने साधने में कामयाब हो जाएगा। पहली पार्टी की कमान अपने हाथ में रहेगी दूसरी पार्टी पर लग रहे परिवारवाद के आरोप से मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही देश के सामने लोकतान्त्रिक पार्टी होने का दावा कर सकते है।