रक्षामंत्री ने बिना नाम लिए चीन को दिया संदेश, कहा - हमें किसी का ​आंख दिखाना नामं​जूर

रक्षामंत्री ने बिना नाम लिए चीन को दिया संदेश, कहा - हमें किसी का ​आंख दिखाना नामं​जूर
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नईदिल्ली। रक्षा मंत्री ​राजनाथ सिंह ने कहा कि ​​पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए। मंशा सा​फ होनी चाहिए​​। हम न तो किसी को ​आंख दिखाना चाहते हैं​ और न ​​किसी का ​आंख दिखाना मं​जूर है। हमारी सेना में हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है​​​​।​ उन्होंने कहा कि हम विश्वशांति के पुजारी हैं। ​​हम शस्त्र भी धारण करते हैं तो शांति की स्थापना के लिए। भारत ने आज तक किसी भी देश पर न तो आक्रमण किया है न ही किसी भी देश की एक इंच ​ज​मीन पर हमने ​कब्जा किया है​​​​।​​​​​​​​​​​​

रक्षा मंत्री राजनाथ​ ​सिंह​ सोमवार को ​लद्दाख ​में ​सीमा सड़क संगठन (​​बीआरओ) ​की 63 बुनियादी परियोजनाओं का उद्घाटन ​करने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।​ उन्होंने सबसे पहले उन सभी जवानों की स्मृतियों को नमन ​किया जिन्होंने जून​,​ 2020 में 'गलवान घाटी' में देश के लिए अपने ​प्राणों का बलिदान दिया​​ क्योंकि यह देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेगा​​।​ सेना की ​​14​वीं ​कोर के ​तीसरे डिविजन की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के दरमियान हुई थी। स्थापना के कुछ वर्षों में ही 1965 ​के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ​इस ​​डिविजन ​ने ​निर्णायक भूमिका निभाई। कारगिल युद्ध में भी आप​की वीरता ​की कहानियों ने देशवासियों का सिर ऊंचा किया​ है​।​​ ​​​​​​​​​​​​

त्रिशूल डिविजन के नाम से अलंकित

​राजनाथ सिंह ने​ सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए ​कहा कि आप​के वीरतापूर्ण कारनामों की वजह से ही आपको 'त्रिशूल' डिविजन के नाम से अलंकित किया गया है। आज आप भगवान शंकर के त्रि​शूल के समान प्रचंड होकर देश की उत्तरी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं​​। मुझे पूरा विश्वास है कि सीमा पर किसी भी परिस्थिति का सामना करने में आप सक्षम ​हैं​।​ ​रक्षा मंत्री ने कहा कि दो साल पहले सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय ​लेकर ​​जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ​को ​केंद्र शासित प्रदेश ​बना दिया​​। ​आज ​जब मैं लद्दाख के लोगों और हमारे सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल से बात करता हूं तो मुझे फर्क नजर आता है​​।​ उनका कहना है कि लद्दाख के लोग खुश हैं​​।​

आतंकवाद और सामाजिक-आर्थिक विकास-

​रक्षा मंत्री​ ने कहा कि आखिर ​जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ​को ​केंद्र शासित प्रदेश बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?​ सिर्फ आतंकवाद और सामाजिक-आर्थिक विकास की कमी के कारण​ क्योंकि लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित थे। मुझे नहीं लगता कि कोई संवेदनशील सरकार इसे बर्दाश्त करेगी​​। केंद्र शासित प्रदेश के गठन के बाद आतंकवाद की गतिविधियां कम हुईं​ हैं​। ​दोनों सरकारें ​सराहनीय कार्य कर रही ​हैं​।​ रक्षा मंत्री ​​राजनाथ सिंह के साथ यात्रा के दौरान थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे भी हैं।​ उन्होंने यात्रा के पहले दिन रविवार की शाम को लद्दाख स्वायत्त विकास पहाड़ी काउंसिल लेह और कारगिल के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर विकास परियोजनाओं पर चर्चा की​ थी​।

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