मप्र की धरती से उठी श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति की मांग, देवकीनंदन ठाकुर ने कहा - राम मंदिर झांकी है मथुरा-काशी बाकी है

मप्र की धरती से उठी श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति की मांग, देवकीनंदन ठाकुर ने कहा - राम मंदिर झांकी है मथुरा-काशी बाकी है
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भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल इन दिनों भगवान कृष्ण की भक्ति के रंग में रंगी हुई है। टीटी नगर दशहरा मैदान में कथावाचक पंडित देवकीनंदन ठाकुर की श्रीमद् भागवत कथा का पाठ कर रहे है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के आज यहां पहुंचने के बाद माहौल भक्तिमय से भगवामय हो गया। इस दौरान दोनों संतों ने श्रीरामजन्म भूमि की तरह मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि की आजादी का आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया।

भागवत कथा की समाप्ति के अवसर पर कथाबाचक देवकी नंदन ठाकुर ने कहा कि जिस तरह राम जन्म भूमि को मुक्त कराया गया है, अब काशी के साथ मथुरा के श्री कृष्ण जन्म भूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन चलाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा देश कितने साल सेक्युलर रहेगा, कथा सालों-साल होती रहेंगी। क्या कोई इसकी गारंटी ले सकता है ? उन्होंने कहा जब तक हम बहुसंख्यक है तभी तक सुरक्षित है। उन्होंने कहा अयोध्या सज गए लेकिन अभी काशी और मथुरा बाकी है। जनसंख्या नियंत्रण कानून बाकी है। हम इतने में संतुष्ट कैसे हो जाएं क्योंकि अभी तो हिंदू राष्ट्र बनाना बाकी है।

श्री कृष्ण जन्म भूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन चलाएंगे


देवकीनंदन ठाकुर ने आगे कहा कि जिस तरह राम जन्म भूमि को मुक्त कराया गया है, अब काशी के साथ मथुरा के श्री कृष्ण जन्म भूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन चलाएंगे।उन्होंने लोगों से साथ देने की अपील की। उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक यात्राओं को संवेदनशील क्षेत्र में रोकने पर कहा की ये दुर्भाग्य की बात है कि हम शोभा यात्रा भी नहीं निकाल सकते। उन्होंने कहा कि हमें क्यों यात्रा निकालने से रोकते हो। जिनकी वजह से नहीं निकाल सकते, उन्हें जेल में डालो।

जो नहीं उनकी ठठरी

इस अवसर पर मौजूद बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि पहले राम आए और अब घनश्याम चाहिए। अब यह मान लो कि हनुमान जी की पूंछ में आग लग गई है और अब काशी मथुरा को पाने के लिए धुआं उठना शुरू हो गया है। इस आंदोलन में हम अपने बड़े भाई देवकी नंदन ठाकुर के साथ खड़े हैं। जो नहीं उनकी ठठरी।इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए।

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