देवास प्रसाशन ने एक साथ 16 पटवारियों को नौकरी से निकाला, जानिए क्या है पूरा मामला...
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इंदौर: देवास जिला प्रशासन ने सोमवार को किसानों को उनकी फसल के नुकसान के मुआवजे के रूप में वितरित किए जाने वाले लगभग 1.5 करोड़ रुपये के गबन में आरोपित 16 पटवारियों को एक साथ सस्पेंड कर दिया गया है।
सस्पेंड होने वाले नामोंं में प्यारसिंह सोलंकी, बंशीलाल डाबर, दिनेश सिसोदिया, अमित कुशवाह, दिलीप यादव, महेन्द्र मण्डलोई, भैयालाल नरगावे, नंद किशोर शर्मा, अनिल धुर्वे, अनिरूद्ध यादव, रायसिंह देवड़ा, नवीन धीमान, अर्जुन वर्मा, विकास सरोठिया, रामोतार जोनवाल, अजय चौधरी आदि नाम शामिल हैं।
इसके अलावा वित्तीय अनियमितता के चलते पहले भी पटवारी अनिल मालवीय तहसील टोंकखुर्द, पटवारी समरथलाल जांगडे तहसील टोंकखुर्द एवं सहायक ग्रेड 3 तहसील कार्यालय कन्नौद राहुल कर्मा, सहायक ग्रेड 3 तहसील कार्यालय सोनकच्छ राहुल माली को भी सस्पेंड किया गया है।
क्या है पूरा मामला
कलेक्टर ऋषव गुप्ता के मुताबिक, फसल क्षति मुआवजा राशि में अनियमित पाई जाने के चलते कार्यवाही की गई की और जांच में 18 पटवारी व 2 लिपिक सहायक को दोषी पाया गया जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।
यह कार्रवाई करीब एक साल पहले सामने आई पटवारियों और लिपिकों की सरासर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर की गई है।
ऋषव गुप्ता ने कहा, "कुल 18 पटवारियों और दो क्लर्कों के खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की गई थी, जो हाल ही में पूरी हुई है और पता चला है कि आरोपियों ने फसल के नुकसान का सामना करने वाले किसानों के लिए मुआवजे के लगभग 1.5 करोड़ रुपये का गबन किया था।"
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि इससे पहले दो पटवारियों और इतने ही क्लर्कों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं जबकि आज 16 पटवारियों के खिलाफ भी ऐसी ही कार्रवाई की गई है।
“ये सभी पटवारी और क्लर्क कन्नौद, खातेगांव, सोनकच्छ और टोंक खुर्द तहसील में तैनात थे। उन्होंने पैसे का घपला करने के लिए अपने, रिश्तेदारों और दोस्तों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया था, जो कि विभागीय जांच में साबित हो चुका है।
कलेक्टर ने कहा कि आरोपियों से गबन की गई रकम बरामद करने के प्रयास जारी हैं।