कृषि मंत्री कमल पटेल से "स्वदेश" की बातचीत, पढ़िए पूरा इंटरव्यू
किसान कमलनाथ के खिलाफ मामला दर्ज कराएं
भोपाल/विशेष संवाददाता। मध्य प्रदेश के किसानों को तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने कर्जमाफी की भूल भुलैया में भटकाकर गुमराह किया। शिवराज सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कटिबद्ध है और इस दिशा में तेजी के साथ आगे बढ रही है। यह बात मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कमल पटेल ने मध्य 'स्वदेश' के साथ खास बातचीत में कही। उन्होंने कई अहम मुद्दों पर भी अपनी राय व्यक्त की। इस दौरान उन्होंने कृषि से लेकर कोरोना और उपचुनाव के साथ कई राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। आइए जानते हैं, इस चर्चा के प्रमुख अंश
सवाल- क्या आपको लगता है, कि प्रदेश में भाजपा ने चुनौतीपूर्ण हालात में सत्ता में वापसी की ?
जबाव - हालात भले ही चुनौतीपूर्ण रहे हों, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने आपदा में अवसर तलाशने की बात कही है, और हम लगातार इन हालात को काबू करने की कोशिश कर रहे है। आप देख सकते हैं, कि किस तरह विपरीत हालात में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अकेले मोर्चा संभाले रहे। बाद में कैबिनेट गठन के बाद उनके हम सब उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं। आज मध्यप्रदेश में कोरोना के कारण मृत्यु दर सबसे कम है। यह हमारी कोशिशों का ही नतीजा है।
सवाल- लेकिन विपक्ष का कहना है, कि भाजपा द्वारा सरकार को अस्थिर करने से प्रदेश में हालात बिगड़े?
जबाव - यह बात तो कांग्रेस को खुद सोचना चाहिए, जब मध्यप्रदेश में कोरोना ने दस्तक दी थी, उस वक्त कमलनाथ सरकार के रवैये पर जरा प्रकाश डालिए। कमलनाथ जी से जब पत्रकारों ने सवाल किया, तो उनका कहना था, कि कोरोना से बाद में निपटेंगे, पहले इस राजनीतिक कोरोना से निपट लें। इसके अलावा प्रदेश में आईफा आयोजन कराने की तैयारी कर ली थी। अगर प्रदेश में सत्ता पलट नहीं होता, तो प्रदेश में कोरोना को काबू करना नामुमकिन हो जाता।
सवाल- कोरोना के संकटकाल में कृषि विभाग किस योजना के साथ काम कर रहा है, यह जानना चाहेंगे?
जबाव - कोरोना के इस संकटकाल में मध्यप्रदेश के कृषि विभाग ने अद्भुत कार्य किया है, और प्रदेश के अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ किसानों और मजदूरों को संबल देने की हर संभव कोशिश की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह किसानों को लेकर हमेशा से ही संवेदनशील रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदेश की जरूरत को समझकर उसकी हर संभव मदद की है। इसकी वजह से हमने इस साल गेहूं उपार्जन में पंजाब का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने जो खास कदम उठाया, वह मूंग की बुवाई को लेकर प्रदेश के किसानों को प्रेरित करना था। मैं एक किसान होने के नाते किसानों की समस्या को बखूबी समझता हूं। जो हमारी सरकार ने मूंग के उत्पादन को लेकर एक खाका तैयार किया, जो दो महीने में ही तैयार हो जाती है। इससे किसानों को संबल मिलने के साथ मजदूरों को भी काम मिला।
सवाल- जो प्रवासी मजदूर बाहर से आए हैं, उनके रोजगार को लेकर क्या कुछ कार्ययोजना है ?
जबाव- देखिए, प्रवासी मजदूरों को लेकर अब तक मध्यप्रदेश सरकार ने जो भी कदम उठाया है, वह अद्भुत है। उन्हें प्रदेश में लाने की व्यवस्था, कोरोना जांच की व्यवस्था और बाद में उन्हें राशन प्रदान करना। लगभग हर मोर्चे पर शिवराज सरकार ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है। अब उन प्रवासी मजदूरों को काम मिले, इसके लिए भी सरकार विशेष कार्ययोजना तैयार की जा रही है और जिला स्तर पर इसका क्रियान्वयन किया जाएगा। केंद्र की मदद से मनरेगा के बजट और दायरे को बढ़ाया जाएगा इसके अलावा हम कृषि को भी रोजगार बड़े साधन के तौर पर विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। जिससे कई और मजदूरों को काम मिल सके।
सवाल- एक अहम सवाल इस समय कर्जमाफी योजना को लेकर है, क्या शिवराज सरकार उसे जारी रखेगी ?
जबाव - मैं यहां पहले यह बात साफ करना चाहूंगा, कि कमलनाथ और कांग्रेस सरकार ने कर्जमाफी जैसा कुछ किया ही नहीं था, वह सिर्फ एक धोखा था। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के भोले भाले किसानों को कर्ज माफी की भूल भुलैया में भटकाकर गुमराह किया। दस दिन में कर्जमाफी की बात थी, 15 महीने में वह पूरी क्यों नहीं हो सकी। मेरा प्रदेश के किसानों से निवेदन है, कि वह कमलनाथ और राहुल गांधी के खिलाफ धारा 120-बी के तहत मामला दर्ज करवाएं, जिन्होंने झूठ बोलकर किसानों के वोट हथियाए, दरअसल कांग्रेस को पता था, कि उसकी सरकार नहीं बननी, इसलिए उसने ऐसा वादा किया। मैं यहां यह बात साफ करना चाहूंगा, कि भाजपा कांग्रेस सरकार के किसी भी वादे को पूरा नहीं करेगी, वो भी ऐसा वादा, जो सिर्फ जनता की भावनाओं से खिलवाड़ के लिए किया गया था।
सवाल- उपचुनाव को लेकर कितने आश्वस्त हैं आप, क्या दल बदलने वाले नेताओं की छवि आपके लिए चुनौती हैं ?
जबाव - इस उपचुनाव में भाजपा के सामने किसी तरह की चुनौती नहीं है। हालांकि विपक्षी दल द्वारा दल बदलने वाले नेताओं के प्रति जनाक्रोश का राग अलापा जा रहा है, लेकिन मैं यहां आपको बता दूं, कि उन नेताओं ने किसी को धोखा नहीं दिया, बल्कि प्रदेश की भलाई के हित में त्याग किया है। वह यह समझ गए थे, कि कमलनाथ जी सिर्फ प्रदेश के नहीं बल्कि छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे हैं और कांग्रेस के राज में प्रदेश का विकास असंभव है, इसलिए उन विधायकों ने अपना पद और दल छोड़कर भाजपा का दामन थामा, आज के जमाने में कौन इतना त्याग करता है।
सवाल- क्या लॉकडाउन ने भाजपा की चुनौती तैयारियों का प्रभावित किया है ?
जबाव- बिल्कुल नहीं, दरअसल भाजपा की चुनावी तैयारियों का हिस्सा उसका प्रचार नहीं है। बल्कि उसका काम है। कोरोना से जुड़ी इन विपरीत परिस्थितियों में हमने किसान और मजदूर वर्ग के लिए इतना कुछ किया है, जितना किसी भी सरकार ने नहीं किया। इस तीन महीने की सरकार में ही सरकार के प्रति आम जनता का विश्वास फिर से जाग गया है, जिसका फायदा हमें चुनाव में मिलेगा। इसके अलावा हमारे नेता शिवराज सिंह चौहान हमेशा से ही प्रदेश की जनता की पहली पसंद रहे हैं, उन्होंने तीन तीन बार कांग्रेस को धूल चटाई है। इस उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाना उनके लिए कौन सी बड़ी बात है। यह बात में दावे के साथ कह सकता है, कि इस उपचुनाव में कांग्रेस की भ्रम की राजनीति नहीं चलेगी, और भाजपा बड़ी जीत हासिल करके खुद की सरकार को और मजबूती देगी।