दो तस्वीर... दो नेता... दो राहे पर कांग्रेस
भोपाल /वेब डेस्क। मध्यप्रदेश में जारी कड़ाके की ठंड में आज दो तस्वीरों ने जबरदस्त राजनीतिक गर्माहट पैदा कर दी। राजधानी भोपाल में घटित घटनाक्रम की एक तस्वीर में दिग्विजय सिंह सीएम से मुलाकात नहीं होने के कारण जमीन पर बैठे धरना दे रहे थे। दूसरी तस्वीर आई, जिसमें कमलनाथ आधे घंटे तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बातचीत कर रहे हैं। बातचीत भी पूरे परिहास के अंदाज में।सीन यहीं खत्म नही हुआ क्योंकि कमलनाथ का एक रोल अभी बांकी था और उन्होंने दिग्विजयसिंह के साथ जो कुछ मीडिया से कहा उसने बता दिया कि आपसी खींचतान से सरकार गंवाए बैठे कमलनाथ और दिग्विजयसिंह के मध्य रिश्ते संवाद और समन्वय दोनों स्तरों पर बहुत ही गड़बड़ है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपनी व्यस्तता के कारण अचानक दिग्विजयसिंह को पूर्व आबंटित समय निरस्त कर दिया।लेकिन ठीक उसी अवधि में कमलनाथ के साथ वह आधा घण्टा हास परिहास करते नजर आए। दिग्विजयसिंह इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री आवास के सामने धरना दे रहे थे।यह सामान्य संयोग नही है इसे प्रमाणित करने का काम खुद कमलनाथ ने अपने बयान से यह कहते हुए किया कि ",उन्हें इस बात की जानकारी ही नही कि दिग्विजयसिंह शिवराजसिंह से मिलने के लिए डेढ़ महीने से समय मांग रहे है और उन्हें मिलने का समय नही दिया जा रहा है"
राजनीतिक हलकों में इसके निहितार्थ यही कहते है कि दिग्विजयसिंह जिस पुनर्वास और विस्थापन के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है उसे लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता विपक्ष कमलनाथ को भरोसे में लिया ही नही गया है।हालाकि कमलनाथ दिग्विजयसिंह द्वारा मुख्यमंत्री आवास पर जारी धरने में शामिल तो हुए लेकिन उनका दिग्विजयसिंह की मौजूदगी में यह कहना कि "उन्हें स्टेट हैंगर पर ही शिवराजसिंह जी ने बताया कि दिग्विजयसिंह धरने पर बैठे है।मैं उनसे मुलाकात के लिए वक्त दूंगा,क्यों धरना दे रहे है?इस पर कमलनाथ ने कहा कि मैं दिग्विजयसिंह से पूछुंगा कि क्यों धरना दे रहे हैं"। अभी मुझे पता चला कि डेढ़ माह से दिग्विजयसिंह मुलाकात के लिए समय मांग रहे हैं।
कमलनाथ के इस बयान से स्पष्ट है कि दोनों नेताओं के बीच सांगठनिक स्तर पर कोई संवाद और समन्वय है ही नही जैसा कि तत्काल कृषि मंत्री कमल पटेल ने तंज कसते हुए कहा कि कमलनाथ को पता ही नही था कि दिग्विजयसिंह कोई धरना दे रहे हैं यह कांग्रेस की अंतर्कथा को उजागर करता है।असल में आज का यह घटनाक्रम मप्र कांग्रेस की उस अमरबेल गुटबाजी को फिर सामने ले आया जिसके चलते 2019 में कमलनाथ को सरकार गंवानी पड़ी थी।राजनीतिक जानकर यही मानते है कि कमलनाथ सरकार के पतन का अहम कारण दिग्विजयसिंह का प्रो एक्टिव होकर सरकार में सक्रिय रहना भी था।सिंधिया का इस तरह अप्रत्याशित दल बदल की पृष्ठभूमि में भी कमलनाथ को दिग्विजयसिंह ही नजर आते है।अपनी सरकार के असमय पतन के बाद मप्र की कमान अभी भी कमलनाथ अपने पास ही रखना चाहते है इसीलिए नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी अध्यक्ष दोनों पदों पर कमलनाथ खुद बने हुए है।कांग्रेस के बैनर तले मप्र सरकार के विरुद्ध किसी भी आयोजन को दिग्विजयसिंह का नेतृत्व शायद सौंपना नही चाहते है और आज धरना स्थल पर जिस तरह उन्होंने राजगढ़ जिले के विस्थापन और मुआवजे से अनभिज्ञता जाहिर की है वह सही मायनों में इन दोनों नेताओं के भारी अंतर्विरोधों को ही उजागर करने वाला रहा है। यह भी सर्वविदित तथ्य है कि दिग्विजयसिंह मप्र की राजनीति से अपना मोह छोड़ नही पाते है और वे अक्सर खुद को पुनरस्थापित करने के लिए ऐसे राजनीतिक प्रपंच खड़े करते रहे हैं।आमतौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सौजन्यता एवं शिष्टाचार में सबसे अग्रणी रहते है और यह असामान्य लगता है कि वे दिग्विजयसिंह को डेढ़ महीने तक मिलने के लिए समय न दें।
क्या है घटनाक्रम और प्रकरण:
दरअसल, शुक्रवार सुबह दिग्विजय सिंह कांग्रेस नेताओं के साथ सीएम हाउस के बाहर धरना देने निकले। हालांकि, रास्ते में उनके काफिले को रोक दिया गया। इसके बाद वे पैदल ही चल दिए। कार्यकर्ताओं को जगह-जगह रोका जा रहा है। पुलिस ने सीएम हाउस के बाहर बैरिकेड भी लगा दिए हैं। बता दें कि दिग्विजय सिंह ने शिवराज से मिलने का समय मांगा था। दिग्विजय ने आरोप लगाया कि पहले टाल-मटोली की गई, फिर 21 जनवरी को मिलने का समय दिया गया था।
दिग्विजय के काफिले को पुलिस ने रास्ते में रोका:
दिग्विजय का कहना था कि मैं पूर्व सीएम हूं और राज्यसभा का सदस्य हूं। मैं सीएम चौहान से मिलने का वक्त मांग रहा हूं, वो मिलना नहीं चाहते हैं। मैं डूब प्रभावितों की समस्याओं को सीएम के सामने रखना चाहता हूं। लेकिन, अब जब उन्होंने अचानक कार्यक्रम रद्द कर दिया है तो मैं आज सीएम हाउस के बाहर धरना दूंगा। जब तक सीएम चौहान मिलने नहीं आएंगे, तब तक दरवाजे पर बैठकर अनशन करूंगा।
भोपाल में स्टेट हैंगर पर मिले शिवराज और कमलनाथ:
इधर, दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री शिवराजसिंह से मिलने के नाम पर धरना दे रहे थे।शिवराज सिंह चौहान की पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से देवास जाते समय मुलाकात हो गई। भोपाल में स्टेट हैंगर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुलाकात हुई और आधा घंटे से ज्यादा वक्त तक दोनों नेताओं के बीच बातचीत होती रही।
दिग्विजय ने कहा था- सीएम से बिना मिले नहीं लौटूंगा...
दिग्विजय ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा था कि शिवराजजी अहंकार में डूब गए हैं। मैं कल 11.15 बजे उनके निवास पर पहुंचूंगा। और इंतजार करूंगा। जब मुख्यमंत्री जी को फुरसत मिलेगी, मैं उनसे मिल लूँगा। बिना मिले मैं घर नहीं लौटूंगा। मुझे गिरफ्तार करना है तो कर लीजिए, लेकिन यह बर्ताव भारी पड़ेगा।
23 को होगी शिवराज से मुलाकात:
दरअसल, राजगढ़ की सुठालिया, भोपाल और विदिशा जिले की सीमा टेम सिंचाई परियोजना से डूब में आने वाले गांव और विस्थापितों के मुआवजा को लेकर विवाद चल रहा है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने टेम और सुठालिया बांध के मसले पर बात करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था और मिलने का समय मांगा था। दिग्विजयसिंह ने दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से उन्हें मुलाकात के लिए 21 जनवरी को सवा 11 बजे का समय निर्धारित किए जाने की सूचना दी गई थी। अब मुख्यमंत्री शिवराज ने दिग्विजय को 23 जनवरी दोपहर 12 बजे मुलाकात का समय दिया है।
मुआवज कम बताकर विरोध कर रहे किसान:
बता दें कि दोनों परियोजना से 5 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि डूब में आ रही है। डेढ़ हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित होंगे। सरकार इन्हें कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा दे रही है। प्रभावित इसे कम बताकर विरोध कर रहे हैं। इसी मसले को लेकर दिग्विजय सिंह ने सरकार से बात करने की अपील की है।