जम्मू में फिर दिखा ड्रोन, एनआईए ने शुरू की जांच
श्रीनगर। जम्मू शहर के बाहरी इलाके रत्नचूक्क में सोमवार देर रात एकबार फिर ड्रोन देखा गया है। हालांकि आधिकारिक रूप से रत्नूचक्क में संदिग्ध ड्रोन देखे जाने की अभीतक पुष्टि नहीं की गयी है।
जानकारी के अनुसार रत्नूचक्क इलाके में सोमवार देर रात लगातार दूसरे दिन ड्रोन देखा गया है। इससे पहले रविवार देर रात सेना की ब्रिगेड हेडक्वार्टर के नजदीक दो ड्रोन को उड़ते हुए देखा गया था। यह ड्रोन करीब 75 मीटर के ऊंचाई पर उड़ रहे थे जिसके चलते सेना के जवानों ने तुरन्त हरकत में आते हुए गोलीबारी की। जवानों द्वारा गोलीबारी करने पर दोनों ड्रोन गायब हो गए थे। जम्मू में लगातार तीसरे दिन अंति संवेदनशील इलाकों में ड्रोन देखे जा चुके हैं। ऐसे में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को और भी चौकस कर दिया है। जम्मू के अंति संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती भी बढ़ा दी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी को जांच सौंप दी -
वहीं जम्मू में वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन हमले का सीमा पार से आतंकी कनेक्शन पुख्ता होने पर इस मामले की जांच गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है। इस हमले के बाद से जम्मू के सैन्य क्षेत्रों में लगातार ड्रोन देखे जा रहे हैं। हमले के अगले ही दिन सोमवार तड़के करीब तीन बजे जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन के पास दो ड्रोन दिखे। हाई अलर्ट पर सुरक्षा बलों ने करीब 25 राउंड फायरिंग करके खदेड़ा।इसी तरह बीती रात कुंजवानी, सुंजवां और रत्नूचक इलाके में संदिग्ध ड्रोन देखे गए। सैनिकों के फायरिंग करने पर यह ड्रोन भी आसमान में गायब हो गए।
लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका -
इस मामले की शुरू से ही आतंकी एंगल से जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों को भी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की भूमिका होने का संदेह है। प्रारम्भिक जांच में पता चला है कि देश में पहली बार 'ड्रोन अटैक' को अंजाम देने के लिए जम्मू हवाई अड्डे से मात्र 14.5 किलोमीटर दूर सीमा पार से दो ड्रोन ने उड़ान भरी और पेलोड गिराकर वापस लौट गए। ड्रोन के 1.2 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ने का संदेह है जो लंबी दूरी की बैटरी से संचालित किये गए थे। खुफिया और जांच एजेंसियों की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई कश्मीर घाटी में ऐसे छोटे ड्रोन को लाने की कोशिश में जुटी हुई है जिनका इस्तेमाल लश्कर और हिज्बुल के आतंकी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आईईडी हमले के लिए कर सकते हैं।
कालूचक मिलिट्री स्टेशन -
यही वजह है कि बीते 48 घंटे में जम्मू के सैन्य क्षेत्रों के आसपास ड्रोन की गतिविधियां बढ़ती दिख रही हैं। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर रविवार की रात हुए ड्रोन हमले के अगले ही दिन सोमवार तड़के करीब तीन बजे जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन के पास दो ड्रोन दिखे। हाई अलर्ट पर सुरक्षा बलों ने करीब 25 राउंड फायरिंग की, जिसके बाद दोनों ड्रोन रात के अंधेरे में गायब हो गए। अब बीती रात फिर तीन जगहों कुंजवानी, सुंजवां और रत्नूचक इलाके में संदिग्ध ड्रोन देखे गए। सुंजवां और रत्नूचक इलाके में रात 1.08 बजे, कुंजवानी सैन्य इलाके में सुबह तीन से साढ़े चार बजे के बीच संदिग्ध ड्रोन देखा गया। सैनिकों की फायरिंग के बाद यह ड्रोन वापस लौट गए लेकिन लगातार ड्रोन गतिविधियां बढ़ने पर जम्मू ही नहीं बल्कि देश के सभी सैन्य स्टेशनों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
आईईडी' का उपयोग -
जम्मू-कश्मीर में वायु सेना स्टेशन, मिलिट्री स्टेशन और अन्य सैन्य क्षेत्रों के आसपास एनएसजी कमांडो को एंटी-ड्रोन तोपों से लैस किया गया है। जांच एजेंसियों को इन धमाकों में 'इम्पैक्ट आईईडी' का इस्तेमाल किये जाने की आशंका है।इम्पैक्ट आईईडी ऐसा विस्फोटक होता है जो जमीन या सतह पर आते ही फट जाता है। हालांकि घटनास्थल पर मिले अवशेषों की अभी फोरेंसिक लैब में जांच की जा रही है, जिसकी रिपोर्ट आने में 48 घंटे तक का वक्त लग सकता है।उसके बाद ही इस बात की पुष्टि हो सकेगी कि धमाकों के लिए आतंकियों ने किस विस्फोटक का इस्तेमाल किया था।
आतंकी कनेक्शन होने के सबूत -
इस मामले की शुरू से ही आतंकी एंगल से जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम को सीमा पार से आतंकी कनेक्शन होने के सबूत हाथ लगे हैं, इसीलिए अब गृह मंत्रालय ने एनआईए को जांच सौंप दी है। स्थानीय टीम की सहायता के लिए एनआईए की एक टीम शीघ्र ही जम्मू पहुंचेगी। वायुसेना की स्पेशल टीम और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीम भी अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है।