Budget 2024 से पहले पेश किया गया Economic Survey, जानिए क्या रहेगी भारत की GDP Growth
Economic Survey 2023-2024
Economic Survey 2023-2024 : बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-2024 (Economic Survey) पेश कर दी है। मंगलवार को सदन में बजट पेश किया जाएगा। यह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के मार्गदर्शन में इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में पिछले वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की परफॉरर्मेंस की समीक्षा की गई है।
यह आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सरकार के आर्थिक प्रदर्शन, प्रमुख विकास कार्यक्रमों और नीतिगत पहलों की एक समरी प्रस्तुत करती है। इकोनॉमिक सर्वे में आने वाले वित्तीय वर्ष में भारत कैसा परफॉर्म करेगा और किस क्षेत्र में भारत का फोकस रहेगा यह भी बताया गया है। इकोनॉमिक सर्वे अर्थव्यवस्था में नीतिगत निर्णय लेने में सरकार का मार्गदर्शन भी करता है।
इकॉनिमिक सर्वे को दो भागों में विभाजित किया गया है। पार्ट A में देश के आर्थिक विकास और चुनौतियों की समीक्षा गई है। जो अर्थव्यवस्था का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है। वहीं पार्ट B में सामाजिक सुरक्षा, गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, मानव विकास और जलवायु मुद्दों जैसे विशिष्ट विषयों पर चर्चा की गई है। यह प्रभाग उद्योग, कृषि, रोजगार, कीमतों और निर्यात सहित विभिन्न क्षेत्रों का विस्तृत विश्लेषण करने में मदद करता है।
2025 में भारत की GDP :
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में साल 2025 में भारत की जीडीपी का भी पूर्वानुमान किया गया है। इसमें बताया गया है कि, साल 2025 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 से 7 फीसद रहने का अनुमान है। इसके साथ ही सरकार का विशेष फोकस पब्लिक - प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) पर रहेगा। इसके अलावा साल 2024 में भी मजबूत घरेलू मांग के साथ जीडीपी वृद्धि मजबूत करने का भी अनुमान है।
महंगाई पर क्या कहता है आर्थिक सर्वेक्षण :
रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य मानसून और कोई बाहरी या नीतिगत झटके न आने की स्थिति में, RBI द्वारा अनुमान लगाया गया है कि, वित्त वर्ष 2025 में हेडलाइन इन्फ्लेशन 4.5 परसेंट और वित्त वर्ष 2026 में 4.1 परसेंट रहेगी। बता दें कि, IMF ने भारत के लिए 2024 में 4.6 प्रतिशत और 2025 में 4.2 प्रतिशत इन्फ्लेशन का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 24 में उद्योगों को प्रमुख इनपुट सामग्रियों की बेहतर आपूर्ति के कारण मूल उपभोक्ता वस्तु मुद्रास्फीति में गिरावट आई। वित्त वर्ष 20 और वित्त वर्ष 23 के बीच उपभोक्ता वस्तु मुद्रास्फीति में प्रगतिशील वृद्धि के बाद यह एक स्वागत योग्य बदलाव था।
रोजगार पर इकोनॉमिक सर्वे :
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि, बैड लोन और कोविड महामारी के कारण यह कहना मुश्किल है कि, भारत की अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन करने की क्षमता घटी है। इसके बावजूद इस क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है।
इकॉनिमिक सर्वे के अन्य हाईलाइट :
वित्त वर्ष 2024 में वैश्विक ऊर्जा मूल्य सूचकांक में तीव्र गिरावट देखी गई। दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की घोषणा की। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 24 में खुदरा ईंधन मुद्रास्फीति कम रही।
अगस्त 2023 में, भारत के सभी बाज़ारों में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में ₹200 प्रति सिलेंडर की कमी की गई। तब से, एलपीजी मुद्रास्फीति सितंबर 2023 से अपस्फीति क्षेत्र में रही है।
इसी तरह, मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की। नतीजतन, वाहनों में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल और डीज़ल की खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च 2024 में अपस्फीति क्षेत्र में चली गई।
भारत की नीति ने चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना किया तथा वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की।