शिक्षा का मतलब रट्टा लगाकर पढ़ाई करना नहीं, बल्कि समझकर सीखना हो : प्रकाश जावडेकर

शिक्षा का मतलब रट्टा लगाकर पढ़ाई करना नहीं, बल्कि समझकर सीखना हो : प्रकाश जावडेकर
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नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद केंद्र अब इसके लिए प्रतिबद्ध है कि शिक्षा का मतलब रट्टा लगाकर पढ़ाई करना नहीं, बल्कि समझकर सीखना हो।

उन्होंने कहा कि विश्व बैंक समर्थित स्टार्स कार्यक्रम उस प्रयास का हिस्सा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह हमारी शिक्षा प्रणाली में एक क्रांति की शुरूआत करने के लिए पहले कदम का मार्ग प्रशस्त करेगा।

जावडेकर ने कहा कि केंद्र तीन से आठ वर्ष की आयु के बच्चों में मौलिक साक्षरता और समझ बढ़ाने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

जावडेकर ने कहा कि स्टार्स कार्यक्रम छात्रों को उनकी क्षमता के आधार पर मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन का प्रस्ताव करता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस फैसले से राज्यों के बीच सहयोग बढ़ेगा, शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण मिलेगा और परीक्षा में सुधार के साथ अंतराष्र्ट्ीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत तैयारी के साथ भाग ले सकेगा।

जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में स्वतंत्र मूल्यांकन के लिए एजेंसियां बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि स्टार्स योजना को ठीक से लागू करने के लिए अलग से एक बोर्ड या संस्थान का गठन किया जाएगा।

मंत्री ने दावा किया कि परियोजना के पीछे मुख्य विचार 'लनिर्ंग आउटकम' का है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राज्यों में स्कूल शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए नई शिक्षा नीति के तहत स्टार्स योजना को मंजूरी दी गई।

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकरी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में स्टार्स प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए विश्व बैंक की तरफ से 50 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस परियोजना को केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से लागू किया जाएगा। यह परियोजना फिलहाल हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा में लागू की जाएगी।

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