महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ही रहेंगे मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - बागी विधायकों पर स्पीकर करें फैसला
मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले एक साल से चले आ रहे राजनीतिक संकट का आज समाधान हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने आज उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट कि ओर से दायर विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुनाया। जिसके बाद एकनाथ शिंदे ही महाराष्ट्र के सीएम रहेंगे। ये स्पष्ट हो गया। कोर्ट ने कहा शिवसेना विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ किसी नतीजें पर नहीं पहुंच पाई है। इसीलिए केस को बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया। अब सात जजों की बेंच फैसला करेगी।
कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए कहा की उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था। ऐसे में कोर्ट इस्तीफा को रद्द तो नहीं कर सकता है। हम पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सदन के स्पीकर द्वारा शिंदे गुट की ओर से प्रस्तावित स्पीकर गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त करना अवैध फैसला था। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को सिर्फ राजनीतिक दल की ओर से नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी।
राज्यपाल की भूमिका पर सवाल -
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई तथ्य नहीं था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया था। इसलिए उनके पास फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने का कोई कारण नहीं था, जिसे आंतरिक रूप से हल करने की आवश्यकता नहीं है। राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए और पार्टी के भीतर या अंतर-पार्टी के विवादों का फैसला नहीं करना चाहिए।कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने शिंदे गुट के पत्र पर भरोसा करके गलती की कि उसे ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में कोई विश्वास नहीं है। शिंदे गुट के विधायकों को सुरक्षा की कमी का इस बात पर कोई असर नहीं है कि ठाकरे सरकार के पास बहुमत है या नहीं, कोर्ट ने इस तथ्य को फ्लोर टेस्ट बुलाने के फैसले के लिए बाहरी करार दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी कि ठाकरे सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है और कहा कि यह असंवैधानिक फैसला है।
उद्धव सरकार बहाल नहीं कर सकते -
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ठाकरे सरकार को वापस नहीं रख सकता, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था। हम उनके इस्तीफे को रद्द नहीं कर सकते हैं और इसलिए ठाकरे को सरकार की सीट पर वापस नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, इसलिए सरकार बनाने के लिए शिंदे के नेतृत्व वाले गठबंधन को आमंत्रित करने के लिए राज्यपाल सही थे। कोर्ट ने कहा कि सत्तारूढ़ ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के लिए ऑपरेशन सफल, रोगी मृत का एक उत्कृष्ट मामला है।
उद्धव ठाकरे गुट अस्थायी नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है -
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने 16 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के चुनाव चिह्न के मामले में निर्वाचन आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उद्धव ठाकरे गुट अस्थायी नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल जारी रख सकता है। कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि शिंदे गुट अभी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं।
निर्वाचन आयोग ने 17 फरवरी को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया और धनुष बाण चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया। आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। निर्वाचन आयोग ने कहा था कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को निर्वाचन आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। पार्टी की ऐसी संरचना भरोसा जगाने में नाकाम रहती है।