चुनाव आयोग रेवड़ी कल्चर पर हुआ सख्त, राजनीतिक दलों को लिखी चिट्ठी, कहा- जनता को देनी फंड जुटाने की जानकारी

चुनाव आयोग रेवड़ी कल्चर पर हुआ सख्त, राजनीतिक दलों को लिखी चिट्ठी, कहा- जनता को देनी फंड जुटाने की जानकारी
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नईदिल्ली। चुनाव आयोग रेवड़ी कल्चर पर सख्त हो गया है। आयोग ने चुनावी वादों को ज्यादा तार्किक और व्यवहारिक बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखी है। इसमें आयोग ने कहा राजनीतिक पार्टियां अपने घोषणापत्र में वोटर्स को चुनावी वादों के बारे में सटीक जानकारी दें। साथ ही यह भी बताएं कि वे जो वादे कर रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन हैं भी या नहीं? आसान शब्दों में कहें तो आयोग ने राजनीतिक दलों से जनता को यह बताने के लिए कहा है कि वे अपनी घोषणाओं के लिए फंड कैसे जुटाएंगे।

आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की अगुवाई में हुई बैठक में ये तय किया गया है कि घोषणा पत्र ज्यादा वास्तविक और व्यवहारिक हो न कि हवा हवाई। आयोग ने आदर्श चुनाव आचार संहिता में कई जगह बदलाव किए हैं। इसमें आयोग की धारा-3 के प्रावधान तीन और धारा-8 M में बदलाव शामिल है। इसके अनुसार राजनीतिक पार्टियों को घोषणा पत्र में अपनी योजनाओं के बारे में बताने के साथ ही ये भी बताना होगा कि योजनाओं के सफल और व्यवहारिक संचालन के लिए राजस्व यानी धन कैसे आएगा?

इस चिठ्ठी में आयोग ने स्पष्ट कर कहा की पॉलिटिकल पार्टीज को एक तय फॉर्मेट में वोटर्स को बताना चाहिए कि जो वादे किए जा रहे हैं, वे कितने सही हैं? इसके अलावा, वोटर्स को यह भी बताएं कि इन्हें पूरा करने के लिए राज्य या केंद्र सरकार के पास क्या वित्तीय संसाधन हैं।आयोग के मुताबिक जनता और राजनीतिक दलों के बीच इस कवायद से पारदर्शिता बढ़ेगी। राजनीतिक दल इस दिशा में गंभीरता से सोचें, तो आम वोटर को अपना मन बनाने में आसानी होगा।

आंखें बंद नहीं कर सकते -

आयोग ने आगे का की हम इस मामले में आँखें बंदकर नहीं रह सकते। यदि राजनीतिक दल खोखले खोखले वादे कर रहे हैं, तो इसके दूरगामी असर होंगे। आयोग ने अपनी चिट्ठी में सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर 19 अक्टूबर तक अपना सुझाव देने को कहा है।

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