पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव बंट गयी जाट खापें

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव बंट गयी जाट खापें
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सर्जना शर्मा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा सभा चुनाव के पहले चरण में इस बार सबसे ज्यादा खबरों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना संसदीय क्षेत्र की दो सीटें कैराना और थानाभवन हैं । भाजपा और समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन ने यहां न केवल चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रखा है बल्कि बड़े नेताओं के बीच तीखी जुबानी जंग भी चल रही है । एक से एक तीखे बयान योगी आदित्यनाथ कहते हैं दो लड़कों की जोड़ी फिर दंगे करवाने आयी है । कैराना मुजफ्फरनगर की ये सारी गर्मी मैं उतार दूंगा मई जून में शिमला बना दूंगा तो जयंत चौधरी कहते हैं चर्बी उतार दूंगा खाल में भूसा भरवा दूंगा । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कैराना से ही यूपी चुनाव की शुरूआत की अमित शाह गौतमबुद्ध नगर से लेकर सहारनपुर तक धुंआधार प्रचार कर रहे हैं । योगी आदित्यनाथ भी । देश की गन्ना पट्टी और जाट लैंड कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर और कैराना आखिर क्यों बना हुआ है इतना महत्वपूर्ण क्यों है भाजपा सपा रालोद गठबंधन के लिए नाक का सवाल ये जानने के लिए सन्मार्ग टीम ने बागपत ,बड़ौत, कांधला , कैराना, शामली, थाना भवन में मतदाताओं नेताओं, किसानों महिलाओं , युवाओं और उद्योगपतियों व्यापारियों का मन ट

देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्व की तरफ से जब आप उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ते हैं तो बागपत जिले में प्रवेश कर जाते हैं । ये वो इलाका है जिसे गन्ना बैल्ट कहा जाता है । सर्दियों के मौसम में आपको सड़क के दोनों तरफ गन्ने की फसल लहलहाती मिलेगी । आजकल भी गन्ना पूरी तरह पका हुआ खेतों में खड़ा है कहीं कोल्हू में गन्ने की पिराई हो रही है सरसों पर पीले फूल और गेंहूं की फसल लगभग दो फुट ऊंचाई पकड़ चुकी है । लेकिन चुनावी मौसम में न यहां गन्ने जैसी मिठास है और न ही सरसों के पीले फूलों की महक है । यहां चुनावी गर्मी है सड़क बाज़ार चौपाल सब जगह चुनावी चर्चा है । ये इलाका जय जवान जय किसान का पूरा पूरा प्रतिनिधित्व करता है । खेत में हल और देश की रक्षा के लिए हथियार थामने का अनुभव यहां के ज्यादातर लोगों को है । मार्शल कौम के रूप में जानी जाने वाले जाट समुदाय के लोग यहां से भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट की शान बनते आए हैं । ये इलाका देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री और अति लोकप्रिय रहे चौधरी चरण सिंह का इलाका है । यहां उनका गांव है छपरौली और यहीं से वे चुनाव लड़ते रहे हैं लगभग एक साल चले किसान आंदोलन के कारण गन्ना बैल्ट फिर से चर्चा में है । बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत का गांव सिसौली भी यहीं है ।अब उनके बेटे राकेश टिकैत और नरेश टिकैत किसानों की राजनीति कर रहे हैं । पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण में चुनाव दस फरवरी को है और इस बार यहां सारा चुनाव सिमट कर किसान आंदोलन और 2013 के दंगों के आस पास घूम रहा है सपा रालोद गठबंधन केंद्र की भाजपा सरकार को किसान विरोधी बता कर किसानों से अनुरोध कर रहा है कि भाजपा को कतई वोट न दें किसान नेता चौघरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी को वोट दें । सड़कों के किनारे आपको कंबल, लोई लपेटे उम्रदराज जाट किसानों की टोलियां मिलेंगी जो जयंत चौधरी की हिमायत औरभाजपा का विरोध करते हैं । यहां गोत्रों के अनुसार किसानों की बड़ी बड़ी खापें हैं ।मलिक जाटों की सबसे बड़ी 84 गांवों की देशखाप का मुख्यालय बागपत जिले के बड़ौत कस्बे में है । देशखाप से जुड़े जाट समवेत स्वर में कहते हैं भाजपा को वोट नहीं देंगें जयंत को चौधरी कोदेंगें । खाप का आम सदस्य कुछ भी कहे लेकिन देश खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सिंह कहते हैं बात केवल जाटों की नहीं है बात किसानों की है किसानों में सभी जातियां सभी धर्म के लोग हैं । यानि सबसे बड़ी खाप के प्रधान ही नकार रहे हैं किसान को केवल जाट के रूप में न देखा जाए । किसान परेशान है आवारा पशुओं से जो उनकी फसलों को भारी नुकसान कर रहे हैं । डीज़ल पैट्रोल के बढ़ते दाम , दो साल से रूकी हुई गन्ने की पेमेंट , न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून न बनना ये सभी किसानों के गंभीर मुद्दे हैं । ये कहना गलत है कि केवल जाट गठबंधन का साथ दे रहा है बल्कि सबी किसान गठबंधन के साथ है । किसानों को जात में बांट कर न देखा जाए ।

ज्यादातर खाप पुराने समय से ही राष्ट्रीय लोकदल से जुड़ी हैं लेकिन 2013 के दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाता ने जाट गुजर ब्राह्मण बनिए के रूप मे नहीं सोचा बल्कि हिंदु के रूप में वोट दिया इसीलिए भाजपा 2014 , 2017 , 2019 में यहां से भारी बहुमत से जीती । किसान आंदोलन के बाद उसी तरह का मतदान पैटर्न रहेगा ये कहना मुश्किल है । जाट खापों में एकजुटता नहीं है ये भी भाजपा और गठबंधन मे बंटे हुए हैं । देश खाप में साढे सात गांव की तोमर खाप के प्रधान श्री भगवान तोमर कहते हैं सारे जाट या सारे किसान भाजपा से नाराज़ हैं ये कहना गलत है । लेकिन साथ ही वो मानते हैं कि इस बार जाट 60 और 40 में बंटेंगा । चालीस फीसदी भाजपा को और साठ फीसदी गठबंधन को वोट देगा । श्री भगवान तोमर भारतीय सेना की जाट रजिमेंट से रिटायर फौजी हैं जाट खापो और भाजपा में सक्रिय हैं । उनका दावा है किसान आंदोलन का चुनाव पर असर न के बराबर होगा । सपा लोकदल गठबंधन के साथ खुल कर कर खड़े जाटों का दावा है जाट वोट 30 फीसदी भाजपा को और 70 फीसदी जयंत चौधरी को मिलेगा । यहां ये जानना दिलचस्प है कि पश्चिमी यूपी का मतदाता न तो अखिलेश यादव का नाम ले रहा है न ही मायावती का कांग्रेस का यहां कोई वजूद ही नहीं दिखता । लोग भाजपा और जयंत चौधरी में मुकाबला मानते हैं ।

मज़े की बात ये है कि राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत बालियान जाटों की 84 गांवों की खाप के प्रधान हैं । और मुजफ्फरनगर के लोकसभा सांसद और केंद्र में राज्यमंत्री संजीव बालियान भी इसी खाप के सदस्य हैं । उधर भरातीय किसान युनियन और किसान संयुक्त मोर्चा ने भाजपा को सबक सिखाओ अभियान शुरू किया है लेकिन किसी और दल के लिए वोट नहीं मांग रहे हैं । सिसौली गांव में जयंत चौधरी जब नरेश टिकैत से आशीर्वाद लेने गए तो इसके सियासी मायने बहुत निकाले गए । लेकिन बालियान खाप भी खुल कर साथ नहीं आ रही है । खाप प्रधानों का कहना है खाप का काम सामाजिक मसलों को सुलझाना है किसी राजनीतिक दल के हक में या विरोध में फैसला सुनाना नहीं है । यानी जाट खापें भी सावधानी बरत रही है भाजपा विरोधी स्वर नहीं हैं । भारतीय किसान युनियन के लगभग 16 साल राष्ट्रीय महासचिव रहे मांगे राम बालियान कहते हैं सात साल से और सात से पहले किसी भी सरकार ने किसानों के मसलों के प्रति गभीरता से नहीं सोचा किसान के उत्त्थान की बात कोई नहीं करता सब उसका इस्तेमाल करते हैं । उसकी आमदनी नहीं बढ़ती उस पर कर्ज का बोझ बढ़ता है । मांगे राम बालियान किसान आंदोलन के लिए सरकार और किसान संगठनों दोनों को हठधर्मिता का दोषी मानते हैं । यहां तक कि अपनी बालियान खाप के राकेश टिकैट और नरेश टिकैट की फालतू की बयानबाजी को वे सही नहीं मानते । उनका कहना है दिल्ली के एसी कमरों में बैठ कर किसानों के लिए आईएएस नीतियां नहीं बना सकते । जब एक अफसर ये नहीं बता सकता कि एक बीघे में कितने बीज बोए जाते हैं वो किसानों की नीतियां क्या बनाएगा । किसान तीन डिग्री तापमान में गेहूं बोता है 45 डिग्री में काटता है । हमारी नीतियां हम से पूछ कर बननी चाहिएं । केंद्रीय मंत्री संजीव बालियन भले ही उनकी खाप के हैं लेकिन उनका कहना है किसान आंदोलन में संजीव बालियान की भूमिका जीरो रही वे ठीक से बात करवाते तो मामला लंबा न खीचता और न ही किसानों की फजीहत होती न सरकार की । मांगे राम बालियान मीडिया विशेष रूप से न्यूज़ चैनलों पर ज़मीनी सच्चाई न दिखाने का आरोप लगाते हैं ।

बागपत, बडौत, कांधला , रमाला , शामली ,कैराना ,थाना भवन , ऊन इन सब गांवों और शहरों के लोगों से मिल कर नहीं लगा कि सभी किसान और सभी जाट भाजपा से नाराज़ हैं । जाटों में रिटायर फौजियों की संख्या भी बहुत है । ऐसा लगता है अपनी अपनी खापों के कारण भले ही वे बाहरी रूप से कुछ भी कह रहे हैं लेकिन मतदान के दिन जाट अच्छी खासी संख्या में भाजपा की तरफ झुकेंगें ।

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