कृषि कानून बनने से लेकर गणतंत्र पर उपद्रव तक का सफर...
नईदिल्ली। पिछले साल 14 सितंबर को केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों से जुड़ा अध्यादेश संसद में पेश किया था। 17 सितंबर को यह अध्यादेश लोकसभा और 20 सितंबर को यह राज्यसभा से पारित किया गया। उसके बाद कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से किसानों का आंदोलन शुरु हुआ। इन किसानों अध्यादेश आने पर ही रेल रोको आंदोलन शुरु कर दिया था। इसी बीच 27 सितंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कृषि कानून देशभर में लागू हुए।
किसान आंदोलन का घटना क्रम -
- 14 सितंबर 2020- कृषि कानूनों से जुड़ा अध्यादेश संसद में पेश,
- 17 सितंबर 2020- अध्यादेश लोकसभा में पारित,
- 20 सितंबर 2020- राज्यसभा में पास हुआ,
- 24 सितंबर 2020- पंजाब में किसानों का तीन दिवसीय रेल रोको आंदोलन,
- 27 सिंतबर 2020- राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बना कानून,
- 14 अक्टूबर 2020- किसान संगठनों-केंद्र के बीच बातचीत,
- 03 नवंबर 2020- देश भर में किसानों की नाकेबंदी,
- 13 नवंबर 2020- किसान संगठनों-केंद्र के बीच पहली बातचीत (विफल रही),
- 5 नवंबर 2020- किसानों का 'दिल्ली चलो' का ऐलान,
- 26 नवंबर 2020- दिल्ली में किसान इक्ट्ठा हुए,
- 28 नवंबर 2020- प्रशासन ने बुराड़ी में दी इकट्ठा होने की मंजूरी, किसान जंतर-मंतर जाने पर अड़े,
- 3 दिसंबर 2020- केंद्र और किसानों के बीच बातचीत (विफल रही),
- 05 दिसंबर 2020- दूसरे दौर में भी बेनतीजा रही बातचीत,
- 08 दिसंबर 2020- किसानों का भारत बंद,
- 11 दिसंबर 2020- भारतीय किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट पहुंची,
- 16 दिसंबर 2020-सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर कमेटी बनाने को कहा,
- 21 दिसंबर 2020- एक दिन की भूख हड़ताल पर किसान,
- 30 दिसंबर 2020- केंद्र-किसानों के बीच छठे दौर की बातचीत (यह भी विफल रही),
- 04जनवरी 2021- सातवें दौर की बातचीत,
- 11 जनवरी 2021- सुप्रीम कोर्ट का देश के पूर्व चीफ जस्टिस की अगुवाई में कमेटी बनाने का ऐलान,
- 12 जनवरी 2021- कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे, चार सदस्यीय कमेटी का गठन,
- 26 जनवरी 2021- दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली में पुलिस से भिड़े प्रदर्शनकारी,
- 28 जनवरी 2021- गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने की कोशिश,
- 2 फरवरी 2021- पॉप सिंगर रिहाना ने किसानों के समर्थन में किया ट्वीट,
- 05 फरवरी 2021- 'टूलिकट' की एंट्री, दिल्ली में एफआईआर,
- 6 फरवरी 2021- देशभर में किसानों का 3 घंटे का चक्काजाम,
- 6 मार्च 2021- किसान आंदोलन के 100 दिन,
- जुलाई 2021- संसद के पास किसानों ने 'किसान संसद' लगाई,
- 7 अगस्त 2021- विपक्षी दलों के 14 नेता किसान संसद पहुंचे,
- 28 अगस्त 2021- करनाल में किसानों पर लाठी चार्ज,
- 5 सितंबर 2021- मुजफ्फरनगर में किसानों की रैली,
- 3 अक्टूबर 2021- लखीमपुर खीरी हिंसा,
- 8 नवंबर 2021- किसान मोर्चा का संसद सत्र के दौरान ट्रैक्टर मार्च का एलान,
- 19 नवंबर 2021- प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानून वापस लेने का ऐलान।
ये है तीन कृषि कानून -
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020-
इसके तहत किसान कृषि उपज को सरकारी मंडियों के बाहर भी बेच सकते हैं। सरकार के मुताबिक किसान किसी निजी खरीददार को भी ऊंचे दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं। सरकार के मुताबिक इससे किसानों की उपज बेचने के विकल्प बढ़ेंगे।
कृषि (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020-
ये कानून अनुबंध खेती या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देता है। इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना है कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020-
इसके तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया। इनकी जमाखोरी और कालाबाजारी को सीमित करने और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने जैसे प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।
गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों का तांडव -
26 जनवरी 2021 को देश जब गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा था तो दिल्ली में गणतंत्र को ठेंगा दिखाया जा रहा था। किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली की अनुमति मांगी थी जिसे दिल्ली पुलिस ने मान भी लिया था। ट्रैक्टर रैली की आड़ में प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में जो तांडव मचाया गया। ट्रैक्टर सवार प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी और लाल किले की प्राचीर तक पहुंच गए। जहां प्रदर्शनकारियों ने एक धार्मिक झंडा फहरा दिया। इस उपद्रव के दौरान दिल्ली पुलिस के कई जवान भी घायल हुए।