विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया भाजपा को क्यों चुना? कहा - इंदिरा गांधी ने मेरे पिता को हटा दिया था

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया भाजपा को क्यों चुना? कहा - इंदिरा गांधी ने मेरे पिता को हटा दिया था
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BBC डॉक्यूमेंट्री, LAC विवाद और पाकिस्तान पर जयशंकरने दिए जवाब

नईदिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, पूर्वी लद्दाख समेत चीन सीमा विवाद पर खुलकर चर्चा की। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने बताया की आखिर राजनीति में आने के लिए भाजपा को ही क्यों चुना ? मोदी सरकार की नीतियो पर भी अपनी राय बताई।

न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में जयशंकर ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर कहा कि आजकल विदेशी मीडिया और विदेशी ताकतें पीएम मोदी को टारगेट कर रही हैं। एक कहावत है- वॉर बाय अदर मीन्स, यानी युद्ध छेड़ने के दूसरे उपाय। ऐसे ही यहां पॉलिटिक्स बाय अदर मीन्स यानी दूसरे उपायों से पॉलिटिक्स की जा रही है। आपको क्या लगता है कि BBC डॉक्यूमेंट्री अचानक आई है। मैं ये बताना चाहता हूं कि चुनाव का समय भारत और दिल्ली में शुरू हुआ हो या नहीं, लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में जरूर शुरू हो गया है। उन्होंने ये बस केवल एक राजनीति है, जो उन लोगों के द्वारा की जा रही है जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक NGO, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं।

1984 पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं -

उन्होंने कहा कि अगर आपको डॉक्यूमेंट्री बनाने का शौक है तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ। हमें उस घटना पर डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली।किसी दूसरे माध्यम का इस्तेमाल कर राजनीति की जा रही है। आप किसी के मान सम्मान को धक्का पहुँचाने का काम कर रहे हैं और कहते हैं कि ये सत्य के लिए केवल एक खोज है जिसे हमने 20 साल बाद इस समय पर लाने का फैसला किया है।

राहुल गांधी से सीखने के लिए तैयार -

उन्होंने चीन के मुद्दे पर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। अगर हम उदार हैं तो LAC पर आर्मी को किसने भेजा? राहुल गांधी ने आर्मी को नहीं भेजा, नरेंद्र मोदी ने भेजा। ये समझना मुश्किल क्यों है कि जो विचारधारा और राजनीतिक पार्टियां भारत के बाहर हैं, उससे मिलती जुलती विचारधारा और पार्टियां भारत के अंदर भी हैं और दोनों एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे सबसे अधिक ज्ञान है मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे इस(चीन) विषय पर काफी कुछ पता है। अगर राहुल गांधी को चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।

चीन को लेकर कांग्रेस पर तंज -


विदेश मंत्री ने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि चीन ने 1962 में हमारी जमीन के एक टुकड़े पर कब्जा कर लिया था और अब आप (विपक्ष) 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन उस जमीन पर ब्रिज बना रहा है, जिस पर चीन ने 1962 में कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा कि सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए तो आपने (कांग्रेस) ऐसा क्यों नहीं किया? मैंने सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट देखा। मोदी सरकार में बजट पांच गुना बढ़ा है। 2014 तक यह 3-4 हजार करोड़ था और आज यह 14 हजार करोड़ है। हमारी सरकार इसको लेकर गंभीर है।

पाकिस्तान पर दिया बयान -

पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक उसकी कार्रवाई से तय होता है। मेरा मतलब है कि कोई भी अचानक ऐसी एक कठिन स्थिति में नहीं पहुंचता है। अब उन्हें इसके लिए रास्ता खुद खोजना है। आज हमारा संबंध वैसा नहीं है जहां हम सीधे उसपर प्रासंगिक हो सकते हैं।

भाजपा को चुनने का बताया कारण -

विदेश मंत्री ने कहा कि ये कैबिनेट या सरकार (भाजपा) एक टीम कैबिनेट है इसमें हम अपने निर्णय नहीं ले सकते बल्कि पूरी टीम लेती है।जब मुझे मंत्री के रूप में चुना गया था तब मैं सांसद नहीं था और न ही कोई राजनीतिक पार्टी का सदस्य था मेरे पास विकल्प था कि मैं राजनीतिक पार्टी चुनूं या नहीं। मैंने इस पार्टी को इसलिए चुना क्योंकि ये पार्टी देश की भावनाओं को अच्छे से समझती है। आप जब कैबिनेट का हिस्सा होते हैं तो आपको बहुत कुछ जानने को मिलता है।

मंत्रिमंडल में कैसे मिली जगह -

विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे कैबिनेट में शामिल होने के लिए कहा था। 2011 में मैंने उनसे बीजिंग में मुलाकात की थी, उससे पहले मैं उनसे कभी नहीं मिला था। जब वे CM (गुजरात) थे और वे उस समय वहां (चीन) दौरे पर गए थे। सच कहूं तो उन्होंने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला था।

इंदिरा गांधी को बताया तानाशाह -

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और वो 1979 में जनता सरकार में सचिव बने थे, लेकिन उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था। 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे। जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं थीं, तब उन्होंने उनको पद से हटा दिया था। वे काफी ज्ञानी थे, शायद यही दिक्कत थी।

खाड़ी देशों को बताया दोस्त -

विदेश मंत्री ने कहा कि गल्फ राष्ट्र के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हुए हैं। ऐसा पहले क्यों नहीं हुआ? मुझे लगता है कि जब आपकी मानसिकता वोट बैंक की हो, तो आप विदेश नीति और इसे क्रियान्वित करने के बारे में गंभीर नहीं होते। आपके लिए यह एक नारा है कि वे हमारे साथ हैं। गल्फ राष्ट्र का कहना है कि आज का भारत 10 साल पहले के भारत से कहीं अधिक विश्वसनीय है। आप वहां के लोगों से पूछेंगे तो मैं शर्त लगाता हूं कि सभी लोग कहेंगे कि हम प्रधानमंत्री मोदी को प्राथमिकता देंगे।

'ऑपरेशन दोस्त' का किया जिक्र

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि जब तुर्किये में भूकंप आया तब प्रधानमंत्री मोदी हमारे विचार जानना चाहते थे। कुछ ही मिनटों में हमें जाने के लिए कहा गया। 48 घंटे से भी कम समय में टीमों को तुर्किये भेजा गया। 'ऑपरेशन दोस्त' चलाया गया। हमारी टीमों ने वहां पूरी शिद्दत के साथ किया और कई जानें बचाईं।

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