तवांग झड़प पर पूर्व सेना प्रमुख नरवणे ने दिया बयान, बताया- क्या चाहता है ड्रैगन? क्यों कर रहा ऐसी हरकत ?
नईदिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा वर्तमान स्थिति में परिवर्तन की नाकाम कोशिश और सेना के साथ हुई झड़प पर पूर्व आर्मी चीफ जराल एमएम नरवणे ने इसे ड्रैगन की हुड़दंगी और गली की गुंडागर्दी बताया।।उन्होंने कहा की चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में हर साल करीब दो से तीन बार नदी पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश करते है। भारतीय सैनिक वहां जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहते है। इसलिए चीनी सैनिक हर साल भारतीय सीमा में आते है और मार खाकर वापिस चले जाते है।
पूर्व जनरल ने ये बातें एक न्यूज एजेंसी से चर्चा में कहीं। उन्होंने क्या 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीन द्वारा की गई हरकत 2020 में गलवान घाटी की हिंसक झड़प की तरह ही थी ? इस सवाल के जवाब में कहा की यह बात सिर्फ 2020 की बात नहीं है। चीनी सैनिक हर साल ऐसी कोशिश करते हैं। वे हर साल हमारे क्षेत्र में साल में 2 से 3 बार घुसने की कोशिश करते है लेकिन हार बार उन्हें सिर्फ मार पड़ती है
पडोसी की जमीन हड़पने की कोशिश -
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा की चीन पिछले दो दशकों से पड़ोसी देशों की भूमि हड़पने में लगा हुआ है। दक्षिण चीन सागर उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसी तर्ज पर वह एलएसी (भरतीय सीमा क्षेत्र ) में भी हालातों को बदलने की फिराक में जुटा हुआ है। वह इसे सलामी स्लाइसिंग यानी बहुत धीरे-धीरे कदमों से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि गलवन की घटना के जरिये भारत ने दुनिया को दिखा दिया था कि चीन की विस्तारवादी नीति को विफल करने में भारत सक्षम है। हाल के वर्षों में देश की उत्तरी सीमा पर स्थितियां चुनौतीपूर्ण हुई हैं। इसलिए वहां पर सतर्कता बेहद बरतना जरूरी हो गई है।
गली के गगुंडों जैसा बर्ताव -
उन्होंने कहा की चीनी सैनिक इस हद तक गिर गए है की अब वे हुड़दंगियों और गली के गुंडों जैसा बर्ताव कर रहे है। एक तरफ चीन पूरी दुनिया में अपनी तकनीक और ताकत का दिखावा करता है। दूसरी ओर उनके सैनिक हाथों में कील लगे डंडे लेकर लड़ने आते है। गलवन में उन्होंने ऐसा ही किया था। वे वहां पर कंटीले तार, कील लगी लाठियां और लोहे की छड़ें लेकर हमला करने आए थे। उन्होंने कहा भारत वह देश है जिसने दुनिया को दिखाया है कि पड़ोसी की धौंस का जवाब देना मुमकिन है। मैं पूरे विश्वास के साथ समूचे देश को कह सकता हूं कि हम हमेशा तैयार हैं, हम पर जो भी फेंका जाएगा उसका जवाब देने को हम तैयार हैं।'
झड़प का कारण
नरवणे ने सीमा पर हुई झड़प का कारण बताते हुए कहा कि हम हमेशा PP15 तक पेट्रोलिंग करते रहे हैं, लेकिन चीनी सैनिक हमें पेट्रोलिंग पॉइंट पर जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य था।हमें पेट्रोलिंग से रोकने के लिए उन्होंने छोटी चौकी स्थापित की थी, जिस पर हमने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बावजूद भी वह अड़े रहे कि हम वापस नहीं जाएंगे। इस पर हमारी सेना ने और मुखर होकर विरोध किया। जिसके बाद चीनी सैनिक और संख्या बल के साथ आएं। इसी बात पर PP15 पर झड़प हुई। हालांकि हमारी सेना उन्हें वापस भेजने के लिए काफी थी।
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