कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीनगर में शुरू हुई G-20 समिट, चीन और तुर्किये ने बनाई दूरी
श्रीनगर/वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में आज (सोमवार) तीन दिवसीय 'जी-20 पर्यटन कार्य समूह' की बैठक का आगाज होगा। वर्ष 1986 में क्रिकेट मैच (भारत-ऑस्ट्रेलिया वनडे मैच) के बाद यह कश्मीर में पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन है। भारत की कोशिश है कि इस आयोजन के जरिए दुनिया को कश्मीर की सुंदरता से रूबरू कराया जाए। भारत इस साल जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता रहा है। अब तक आतंकवाद के कारण बदनाम रही कश्मीर घाटी में हो रहे इस आयोजन पर पूरी दुनिया की नजर है। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं।
इस बैठक में 60 विदेशी प्रतिनिधियों के अलावार देशभर से करीब पर्यटन से जुड़े विभिन्न संगठनों के करीब 65 प्रतिनिधि शामिल होंगे। श्रीनगर की डल झील किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में इसका आयोजन हो रहा है। आतंकवादियों की गीदड़ भभकी को देखते हुए अतिथियों की सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किए गए हैं। शांत, सुरक्षित एवं विश्वासपूर्ण वातावरण में बैठक संपन्न कराने के लिए नौसेना के मार्कोस कमांडो, एनएसजी कमांडो, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ व अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसियां जुटी हुई हैं। आयोजन स्थल के आसपास एक हजार सीसीटीवी सक्रिय हैं। समारोह स्थल के आठ किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया है।
चीन और तुर्की ने बनाई दूरी -
इस बैठक के अंतिम दिन बुधवार को सभी अतिथ श्रीनगर शहर में पोलो व्यू, झेलम रीवर फ्रंट और कुछ अन्य स्थानों की सैर भी कर कश्मीर में आए सकारात्मक बदलाव को स्वयं अनुभव करेंगे। जी-20 के बीस सदस्य देशों में से चीन, तुकिये और सऊदी अरब दूरी बनाए हुए हैं। चीन ने अरुणाचल प्रदेश में हुए जी-20 सम्मेलन से भी दूरी बनाए रखी थी।
जम्मू-कश्मीर में होने वाला सबसे महत्वपूर्ण आयोजन
जी20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन शृंगला ने कहा है कि यह जम्मू-कश्मीर में होने वाला सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है। पहले की दो बैठकों की तुलना में इस कार्य समूह की बैठक में हमारे पास विदेशी प्रतिनिधियों का उच्चतम प्रतिनिधित्व है। पहली बैठक फरवरी में गुजरात के कच्छ के रण में और दूसरी अप्रैल में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में हुई थी। शृंगला ने कहा कि भारत अपनी जी 20 अध्यक्षता के आधे रास्ते में है। अब तक हमने कच्छ के रण से कोहिमा तक और कन्याकुमारी से और अब कश्मीर तक 118 बैठकों की मेजबानी की है। पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने में फिल्मों की भूमिका का उपयोग करने के लिए 'फिल्म पर्यटन पर राष्ट्रीय रणनीति' का मसौदा भी पेश किया जाएगा।