Diwali 2024: दिवाली के दिन किस स्वरूप में होगी माता लक्ष्मी की पूजा, जानिए इसके बारे में और पूजा का विधान
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Diwali 2024 : दिवाली का त्योहार सबसे बड़े त्योहारों में से एक है जिसमें माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं। इसके पांच विशेष दिनों में से पहले दिन धनतेरस की आज 29 अक्टूबर से शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही दो दिन बाद बड़ी दिवाली मनाई जाएगी। इस बार माता लक्ष्मी के किस स्वरूप की पूजा की जाएगी और विधान क्या है इसकी जानकारी चलिए जानते हैं।
माता लक्ष्मी के है 8 स्वरूप
हिंदू धर्म के अनुसार, माता लक्ष्मी के 8 स्वरूपों का उल्लेख किया गया है। जिसमें आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, भाग्य लक्ष्मी , विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी बताए गए हैं। इस साल 2024 में माता लक्ष्मी के भाग्य लक्ष्मी स्वरुप की पूजा होगी।
कैसा है माता यह स्वरूप
माता लक्ष्मी के इस स्वरूप का बखान करें तो, इसका एक नाम नील पद्मजा भी है जो चतुर्भुजी माता नील कमल पर विराजमान होंगी।उनके एक हाथ में शंख होगा तो दूसरे में अमृत से भरा कलश होगा, इसी प्रकार तीसरा हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होगा। वहीं चौथे हाथ से माता अपने साधकों पर धन वर्षा करेंगी। यहां पर नीलकमल पर माता लक्ष्मी के विराजमान होने को लेकर भी बताया गया है। नील कमल पवित्रता, सुंदरता का परिचायक है और यह अपनी चमकदार पंखुड़ियां फैलाकर माता के लिए दिव्य आसन प्रदान करता है।
नील कमल और शंख का महत्व
दिवाली में नीलकमल और शंकर का महत्व बताया गया है माता लक्ष्मी के इस स्वरूप का इससे नाता है। इस स्वरूप में शंख से अभिषेक करने पर प्रसन्न होती है. इसके अलावा आसन में उन्हें नीलकमल ही पसंद है। कहा गया है कि, कमल को माता लक्ष्मी के मायके का साथी होता है। इसी प्रकार जल से ही निकले शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना गया है।