नई ड्रोन पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार, सरकार ने 5 अगस्त तक मांगे सुझाव

नई ड्रोन पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार, सरकार ने 5 अगस्त तक मांगे सुझाव
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सरकार ने तैयार किया नया ड्रोन नीति ड्राफ्ट

नईदिल्ली। जम्मू में पिछले दिनों एयर फ़ोर्स स्टेशन पर ड्रोन से हुए हमलों के बाद केंद्र सरकार सक्रिय हो गई। इसी कड़ी में आज नागरिक विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नीति का ड्राफ्ट जारी किया है। सरकार ने इस ड्राफ्ट पर लोगों की प्रतिक्रिया मांगी है। जिसके लिए अंतिम तारीख 5 अगस्त रखी गई है।

यह ड्राफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मानव रहित विमान प्रणाली (यूएएस) या ड्रोन यातायात प्रबंधन के लिए नीति बनाने पर चर्चा करने के लिए शीर्ष मंत्रियों के एक सम्मेलन के बुलाए जाने के कुछ दिनों बाद आया है।जम्मू में भारतीय वायु सेना की सुविधा पर ड्रोन हमले के बाद बैठक बुलाई गई थी। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) भारत में ड्रोन गतिविधि के प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की मेजबानी करता है।

ये है ड्राफ्ट -

  • अद्वितीय प्राधिकरण संख्या, अद्वितीय प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकरण, छात्र दूरस्थ पायलट लाइसेंस, दूरस्थ पायलट प्रशिक्षक प्राधिकरण, ड्रोन पोर्ट प्राधिकरण आदि स्वीकृतियां समाप्त।
  • फॉर्म की संख्या 25 से घटाकर 6 कर दी गई है।
  • शुल्क नाममात्र के स्तर तक घटाया गया। ड्रोन के आकार के साथ कोई संबंध नहीं है।
  • 'नो परमिशन - नो टेक-ऑफ' (एनपीएनटी), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा। अनुपालन के लिए छह महीने का समय दिया जाएगा।
  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को बिजनेस फ्रेंडली सिंगल-विंडो ऑनलाइन सिस्टम के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमतियां स्वयं उत्पन्न होंगी।
  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा।
  • एयरपोर्ट की परिधि से येलो जोन 45 किमी से घटाकर 12 किमी किया गया।
  • हवाई अड्डे की परिधि से 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन में 400 फीट तक और 200 फीट तक की उड़ान की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
  • माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए), नैनो ड्रोन और अनुसंधान एवं विकास संगठनों के लिए किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।
  • भारत में पंजीकृत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा ड्रोन संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं।
  • डीजीएफटी द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले ड्रोन और ड्रोन घटकों का आयात।
  • किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
  • अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं के लिए उड़ान योग्यता प्रमाण पत्र, विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति और दूरस्थ पायलट लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • ड्रोन नियम, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम किया गया। इसमें ड्रोन टैक्सियां ​​भी शामिल होंगी।
  • सभी ड्रोन प्रशिक्षण और परीक्षण एक अधिकृत ड्रोन स्कूल द्वारा किए जाने हैं। डीजीसीए प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करेगा।
  • भारतीय गुणवत्ता परिषद और उड़ान योग्यता प्रमाणपत्र जारी करेगा।
  • निर्माता डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या उत्पन्न कर सकते हैं।
  • ड्रोन के ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन के लिए निर्धारित आसान प्रक्रिया।
  • मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और प्रशिक्षण प्रक्रिया नियमावली (टीपीएम) उपयोगकर्ताओं द्वारा स्व-निगरानी के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर डीजीसीए द्वारा निर्धारित की जाएगी। जब तक निर्धारित प्रक्रियाओं से महत्वपूर्ण विचलन न हो, तब तक किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
  • ड्रोन नियम, 2021 के तहत अधिकतम जुर्माना घटाकर INR 1 लाख कर दिया गया। हालांकि, यह अन्य कानूनों के उल्लंघन के संबंध में दंड पर लागू नहीं होगा।
  • कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।
  • व्यापार के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए ड्रोन प्रमोशन काउंसिल की स्थापना की जाएगी।


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