भाषा की शुद्धता आज की सबसे बड़ी चुनौती : अतुल तारे

भाषा की शुद्धता आज की सबसे बड़ी चुनौती : अतुल तारे
भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता के पाठ्यक्रम होंगे शुरू : प्रो. केजी सुरेश
कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्थापित होगा 'भाषायी पत्रकारिता विभाग'

भोपाल/वेब डेस्क। भाषा की शुद्धता एवं पवित्रता आज हिंदी पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ी चुनोती है। भारतीय पत्रकारिता ने असाधारण उपलब्धि हासिल की है यह सच है पर पत्रकारिता का गुरुत्व भारतीयता में देखने से ही वह राष्ट्र एवम समाज के समक्ष उपस्थित गंभीर प्रश्नों का उत्तर दे सकती है।

यह बात स्वदेश ग्वालियर समूह के समूह संपादक अतुल तारे ने कही। श्री तारे आज माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के आभासी संगोष्ठी को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कुमार के.जी. सुरेश ने की।

श्री तारे में ऋग्वेद से भारत की संवाद प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत में वेदव्यास पहले श्लोक में सामूहिक वंदना कर लोक कल्याण की कामना करते हैं और यही तुलसी मानस में करते हैं।आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की पत्रकारिता भी समाज कल्याण के लिए ही समर्पित है।यही ध्येय वाक्य उदंत मार्तण्ड का था हिंदुस्तान के हित हेतु।पर स्वाधीनता के पश्चात हम राजनीतिक रूप से तो स्वतंत्र हुए पर मान सिक रूप से गुलाम ही रहे।इसका नकारात्मक असर पत्रकारिता पर भी पढ़ा और हमने भारत को भारतीय दृष्टि से नही देखा पश्चिम की नजर से देखा।परिणाम यह हुआ देश के वास्तविक चित्रण में पत्रकारिता अपेक्षित सफल नही रही। यह दृष्टि अब विकसित हो रही है उसमें गति की आवश्यकता अवश्य है।

श्री तारे ने कहा पत्रकार भी संमाज के अंग है और समाज को भी चाहिए कि स्वस्थ पत्रकारिता के लिए वह भी अपना भी योगदान दें।


कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हम नये परिसर में पंडित जुगल किशोर शुक्ल की स्मृति में एक भवन का नामकरण कर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें नयी भाषाएं सीखनी चाहिए लेकिन हमें कभी भी अपनी भाषा के प्रति हीनभावना नहीं रखनी चाहिए। किसी भी विदेशी भाषा के प्रति लगाव रखने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हमारी अपनी भाषा सर्वोपरि रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया गया है। उसे बढ़ावा दिया गया है। हम अपने विश्वविद्यालय में भाषायी पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए नवाचार करेंगे। इस कड़ी में विश्वविद्यालय में भाषायी पत्रकारिता विभाग की स्थापना भी की जाएगी। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बांग्लादेश के आंदोलन का उदाहरण देकर मातृभाषा की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि 1971 में जब बांग्लादेश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, तब मात्र एक नये देश के सृजन नहीं हुआ था बल्कि यह घटना मातृभाषा के महत्व को बताती है।


इस अवसर पर विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका 'मीडिया मीमांसा' के नये अंक का विमोचन किया गया। यह शोध पत्रिका त्रैमासिक है, जो संचार एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में हो रहे शोधकार्यों को समाज तक ले जाने का माध्यम है। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि मीडिया मीमांसा के माध्यम से शोध संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने किया और आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया।

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