ग्वालियर अब राजनीतिक शिखर पर, जागी उम्मीदें
- अधूरी पड़ी विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अब इनके सिर पर
- अब जरूरत है कि यह सभी मिल जुलकर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए सिर्फ विकास की बात करें
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। केंद्र और राज्य की राजनीति में ग्वालियर का मस्तक इस समय बेहद ऊंचाइयों पर है। केंद्र में पांच वरिष्ठ मंत्रियों में शामिल मुरैना से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर, खजुराहो सांसद वीडी शर्मा और हाल ही में राज्यसभा सदस्य बने ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर का नाम शिखर पर कर दिया है। इन चारों का सीधा नाता ग्वालियर से है। वहीं प्रदेश के कद्दावर मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ऐंदल सिंह कंसाना, अरविंद सिंह भदौरिया के साथ ही राज्य मंत्री भारत कुशवाह, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, गिर्राज दंडोतिया एवं बृजेंद्र सिंह यादव भी ग्वालियर चंबल अंचल से ही आते हैं।
इसके अलावा पूर्व राज्यपाल प्रो कप्तान सिंह सोलंकी, पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभात झा, पूर्व मंत्री एवं सांसद जयभान सिंह पवैया, माया सिंह, अनूप मिश्रा एवं नारायण सिंह कुशवाह भी ग्वालियर से ही हैं। इतने सारे नेता भाजपा के पास हैं, जिनके कारण ग्वालियर का नाम राजनीति के शिखर पर है, यह अब ग्वालियर चंबल अंचल के विकास में चार चांद लगा सकते हैं। अधूरी पड़ी विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अब इनके सिर पर है। जनता की इनसे बड़ी उम्मीदें जागी हैं, क्योंकि केंद्र और राज्य में भाजपा की ही सरकारें हैं, तो किसी तरह की राजनीति आड़े नहीं आएगी, जिससे पैसों की भी कोई कमी नहीं आने वाली। बस अब जरूरत है कि यह सभी मिल जुलकर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए सिर्फ विकास की बात करें। क्योंकि श्री तोमर, श्री सिंधिया और श्री शेजवलकर के पास पुराना अनुभव है और विकास का खाका भी इनके पास है। जनप्रतिनिधि यह भी जानते हैं कि विकास को लेकर कहां और क्यों कमी रही है, उसे कैसे दूर किया जा सकता है। क्योंकि यदि नौकरशाही की बात की जाए तो वह बिना टोका टाकी, निर्देशों और सतत निगरानी के बगैर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। ऐसे में केंद्र और राज्य से जुड़े मंत्री, सांसद एवं विधायकों द्वारा समय-समय पर बैठक कर और निरीक्षण के जरिए विकास कार्य पूर्ण कराए जा सकते हैं। क्योंकि इन सभी के लिए यह सुअवसर है, यदि यह आगे बढ़े तो विकास के कदम कहीं नहीं रुकने वाले। वैसे भी विकास के लिए इंदौर को अव्वल माना जाता है, उसके पीछे सीधा कारण यह है कि राजनीति से हटकर सभी दल के नेता एकजुट होकर विकास कराने तत्पर रहते हैं। ऐसे में ग्वालियर का विकास अब संभव है। दिल्ली से नजदीक होने और भोपाल से जुड़ाव का लाभ ग्वालियर को मिल सकता है। हम राजनीतिक क्षितिज पर होने के बाद विकास के क्षितिज पर सामूहिक प्रयासों से ही आ सकेंगे।
यह योजनाएं हैं अधूरी
- जयारोग्य में एक हजार बिस्तर का अस्पताल
- चंबल एक्सप्रेस वे
- रोप वे
- श्योपुर ब्रॉडगेज लाइन
- चंबल से पानी
- साडा में हवाई अड्डा
- रक्षा अनुसंधान केंद्र का वैकल्पिक स्थान
- राजस्व भवन का निर्माण
- चार ओवर ब्रिज का निर्माण
- बड़ी रेलगाड़ियों के स्टॉपेज
- सभी बड़े महानगरों में हवाई सेवा
- मालनपुर में सैनिक स्कूल
- सोनचिरैया अभ्यारण का डि नोटिफिकेशन
- कूनो पालपुर अभ्यारण में एशियाई शेर
- शिवपुरी में जलावर्धन और सीवर योजना
- 2300 करोड़ की रतनगढ़ परियोजना
- बामोर एवं मालनपुर में औद्योगिक इकाइयों का विस्तार
- बिरला नगर रेलवे स्टेशन आदर्श बनाना आदि।