Gyanvapi Case : मामले में वादी राखी सिंह ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, इच्छामृत्यु की मांग की
वाराणसी/वेबडेस्क। ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की वादी दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है। राखी का पत्र सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।पत्र में राखी सिंह ने आरोप लगाया कि मेरी अन्य सहयोगी चार महिला साथियों- लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और अधिवक्ता एवं उनके पुत्र अधिवक्ता मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। राखी सिंह ने कहा कि मई 2021 से लेकर आज तक मेरे एवं मेरे माता-पिता तुल्य चाचा- चाची जितेन्द्र सिंह विसेन व किरन सिंह के खिलाफ दुष्प्रचार करके हमें और हमारे पूरे परिवार को बदनाम किया जा रहा है। हमारे परिवार को समाज की नजरों में गिराने का कार्य हो रहा है। इस कार्य में शासन एवं प्रशासन के लोग भी शामिल हैं।
राखी सिंह ने आरोप लगाया है कि मई 2022 में इन लोगों ने एक झूठा प्रचार पूरे देश में किया कि राखी सिंह मुकदमा वापस ले रही हैं। जबकि न तो मेरी तरफ से कोई ऐसा बयान या सूचना जारी की गयी न ही इस मुकदमे में मेरी तरफ से पैरोकार मेरे चाचा जितेन्द्र सिंह विसेन ने मेरे हवाले से कोई सूचना जारी की। इस मामले में पूरे देश में भ्रम फैलाकर मेरे एवं मेरे परिवार के खिलाफ सारे हिन्दू समाज को खड़ा कर दिया। इस कारण मैं और चाचा का पूरा परिवार मानसिक दबाव में आ गये हैं।
राखी सिंह ने कहा कि इन चार महिलाओं के जरिए ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुख्य मुकदमा भगवान आदि विशेश्वर विराजमान द्वारा किरन सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यदि मैंने शृंगार गौरी के नियमित पूजा का मुकदमा न डाला होता तो मेरी चार साथी महिलाएं वर्चस्व में न आतीं और न ही भगवान आदि विशेश्वर विराजमान का मुकदमा खराब कर पातीं।
राखी सिंह ने लिखा है कि मुझे लगता है कि मेरे ही कारण उपरोक्त चार महिलाएं वर्चस्व में आयीं और उन्हीं के कारण ज्ञानवापी का मूल मुकदमा बर्बाद हो गया। राखी सिंह का कहना है कि नौ जून की सुबह नौ बजे तक जवाब का इंतजार करेंगी, फिर आगे का फैसला लेंगी। गौरतलब हो कि इससे पहले ज्ञानवापी मामले के मुख्य पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन ने भी मुकदमों से हटने का ऐलान किया था। राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ भी मुकदमे से हट चुके हैं।