घरों में यूँ सयानी लड़कियाँ बेचैन रहती हैं, 250 बेटियों को हाथ पीले होने का इंतजार, तारीख दे कर पलट गई सरकार...
रदोई: घरों में यूँ सयानी लड़कियाँ बेचैन रहती हैं, कि जैसे साहिलों पर कश्तियाँ बेचैन रहती हैं...। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने बहुत जरूरतमंद परिवारों की बेटियों के घर बसा दिए। उनके मां बाप ने बिना चिंता बेटियों को विदा किया। फरवरी में हुए आयोजन में ही 885 बेटियों के हाथ पीले हुए थे। लेकिन, कम लक्ष्य ने तमाम बेटियों की ससुराल जाने की राह रोक ली। तब आवेदन सूची में शामिल रहीं करीब ढाई सौ बेटियों को अभी भी लगन की प्रतीक्षा है।
फरवरी के आयोजन में जो जोड़े रह गए थे, उनके विवाह के लिए जल्दी ही सामूहिक विवाह आयोजन का आश्वासन मिला था। अब छह माह बीत चुके हैं। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में आवेदन करने वाले परिवारों की संख्या भी अब बढ़ कर 14 सौ से अधिक हो चुकी है। बेटियों का रिश्ता पक्का कर चुके ’जनकों’ की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह आयोजन की प्रतीक्षा है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही। जबकि, शासन ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह आयोजन के लिए 1928 का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया है और विवाह आयोजन के लिए 09, 11, 12, 13, 14 एवं 15 जुलाई की तिथियां भी घोषित की थीं। तिथियां निकल चुकी हैं, ऐसे में बेटियों के हाथ पीले करने की उम्मीद पाले परिवार निराश हैं।
जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाकांत पटेल बताते हैं, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह आयोजन को लेकर तैयारी पूरी है, उपहार खरीद की टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा रही है। आवेदनों का सत्यापन भी हो रहा है। प्रयास है, 30 जुलाई तक सामूहिक विवाह आयोजन हो सके। इधर आयोजन संभव नहीं हुआ तो नवम्बर में सामूहिक विवाह का आयोजन होगा।
1,400 से ज्यादा आवेदन, हर तीसरी बेटी हो चुकी विदा: समाज कल्याण विभाग के सहायक विकास अधिकारी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह के आवेदकों का सत्यापन कर रहे हैं। बेटियों की वैवाहिक स्थिति का पता लगाने को सहायक विकास अधिकारी आवेदकों के घर पहुंच रहे हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो हर तीसरी बेटी का विवाह हो चुका है। चातुर्मास शुरू होने से पहले अधिकांश अभिभावक बेटियों के हाथ पीले कर विदा कर चुके हैं।
29 बिटिया के हाथ पीले कर चुकी कन्या दान योजना समिति
लॉकडाउन में एक अनाथ बिटिया के हाथ पीले करने से पड़ी सर्व धर्म कन्या विवाह फाउंडेशन की नींव, करा चुकी 3 निकाह भी
हरदोई: अप्रैल 2020 लॉकडाउन में शहर में सभी अपनी दम भर भूखों का पेट भरने का जतन करते थे। उन्हीं में एक शहर के बाबा मंदिर इलाके के गोपेश दीक्षित भी थे। खाने के पैकेट पहुंचाने के क्रम में उनकी नज़र एक बिटिया पर पड़ी, जिसके ने मां बाप ब्याह और तारीख (25 अप्रैल) तो तय कर दी थी, पर बिटिया के हाथ पीले करने की हसरत का बोझ लेकर गुजर गए थे।
गोपेश दीक्षित ने बिटिया का कन्यादान करने का बीड़ा उठाया और पूरी जिम्मेदारी से उसके हाथ पीले किए। इसके बाद गोपेश ने फोटो सोशल साइट्स पर अपलोड कर दी। आगे किस्सा वह खुद बताते हैं। कहते हैं, हरदोई की ही, पर ब्याही लखनऊ में निहारिका देव सिंह, जबलपुर से राज कौर, गाजियाबाद से गरिमा तिवारी और फतेहपुर से सोना शिवहरे की सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आई और सहयोग की इच्छा जताई। पर हमारे मन में तब संस्था जैसा कोई विचार दूर दूर तक नहीं था। कोई महीने भर बाद एक गांव से कॉल आई और दूसरी तरफ से किसी अम्मा ने पूछा वही गोपेश भैया हो जउन बिटियन के हाथ पीले कराउत। तो हमने सर्वे की बात कह टाल दिया।
गोपेश बताते हैं, फिर एक दिन ऐसे ही मिल कॉलोनी में उसके घर पहुंच गए। पिता विकलांग, कमाऊ जवान भाई की मौत हो चुकी और शादी की तारीख तय। दयनीय दशा थी। फिर, निहारिका, राज, गरिमा और सोना से सम्पर्क किया। इस तरह दूसरी बिटिया के हाथ पीले हुए। फिर एनजीओ बन गया। धीरे धीरे कारवां जुड़ा और कन्यादान योजना समिति अब तक कुल 29 बिटिया के हाथ पीले कर चुकी है। इस संस्था के लिए ही किसी ने लिखा होगा... 'कब नींद का मौसम मेरी आँखों को मिलेगा...किस दिन कोई रिश्ता मेरी बहनों को मिलेगा'।