Hardoi News: कृष्‍ण भक्‍त रसखान की धरती हरदोई में गाय के हाल बेहाल, घोटालों के बीच घुटते मरते मवेशियों का जवाबदार कौन?

Hardoi News: कृष्‍ण भक्‍त रसखान की धरती हरदोई में गाय के हाल बेहाल, घोटालों के बीच घुटते मरते मवेशियों का जवाबदार कौन?
हरदोई मेंं हरियावां की भदेउरा गोशाला से सामने आयी तस्‍वीरें ना सिर्फ आत्‍मा को झकझोरने वाली हैं बल्कि यह भी दिखाती हैं कि, हर चुनाव में गौ रक्षा का दावा करने वाली सरकार ग्राउंड पर गाय के लिए कितनी समर्पित है।

बड़े-बुजुगों से हम सुनते आ रहे हैं कि 'गावो विश्वस्य मातरः' अर्थात गाय ही विश्व की माता है और तिस पर भारत की तो यह आत्मा ही है। और कुछ नहीं तो रसखान की यह सवैया तो हाईस्कूल में पद्य संकलन में ही पढ़ी हैं... मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन। लेकिन हर गौ प्रेमी की आत्‍मा दुखती है जब गाय को बुरी हालत में घुटते देखा जाता है।

कुछ ही दिन पहले उत्‍तरप्रदेश के हरदोई मेंं हरियावां की भदेउरा गोशाला से सामने आयी तस्‍वीरें ना सिर्फ आत्‍मा को झकझोरने वाली हैं बल्कि यह भी दिखाती हैं कि, हर चुनाव में गौ रक्षा का दावा करने वाली सरकार ग्राउंड पर गाय के लिए कितनी समर्पित है।

सरकार के दावें हैं कि प्रति गौपालक 30 रूपये प्रतिदिन दिए जाने के, लेकिन गौशाला में गोवंश चारा, पानी, छाया और चिकित्सा की कमी के बीच बस दिन गिन रहे हैं। हालांकि, बजट जाता कहां है, यह बस एक सवाल बनकर रह गया है।

पहले ये जान लें कि एक याचिका की सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट, केन्द्र से गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने और संसद में कानून बनाने की बात कह चुका है।

व्यवस्था थी कि ग्राम पंचायतों में नई अस्थाई गोशालाओं का निर्माण मनरेगा और राज्य वित्त से किया जाएगा। प्रधान की देखरेख में गौशाला का निर्माण होगा। गाय और सांड के लिए अलग बाड़े बनेंगे और सर्दी से बचाव के इंतजाम होंगे। लेकिन गोशालाओं का निर्माण में भ्रष्‍टाचार इतना चरम पर पहुंच गया कि इंसानों ने गाय के चारों में भी अपना फायदा देख लिया।

बारिश की शुरूआत में ही गौशालाओं में बंद गोवंश की दुर्गति सामने आयी..

बारिश का मौसम में जैसे सड़को के विकास की पोल खोलकर रख देता है वैसे ही पहली बारिश ने गौशालाओं में हुए काम का उजागर कर दिया है। बारिश के मौसम में जिले के ब्लॉक हरियावां क्षेत्र के ग्राम भदेउरा के गौशालाओं में बंद गोवंश की दुर्गति सामने आयी। मरे हुए गोवंशों को खुलेआम ट्रैक्टर से बड़ी ही बेरहमी से खीच कर डाला जा है। गौवंशों की दुर्दशा देख किसी का भी दिल दहल जाये।

गोशलाओं में चारो तरफ पानी और कीचड़ भरा पड़ा हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे मवेशियों को तालाब में छोड़ दिया हो तो वहीं चारे की भी व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है।

व्यवस्था थी कि ग्राम पंचायतों में नई अस्थाई गोशालाओं का निर्माण मनरेगा और राज्य वित्त से किया जाएगा। प्रधान की देखरेख में गौशाला का निर्माण होगा। गाय और सांड के लिए अलग बाड़े बनेंगे और सर्दी से बचाव के इंतजाम होंगे। पर, ये गोशालाएं हाकिमों के लिए चारागाह बना गई। भूसा खरीद के नाम पर 1 करोड़ 62 लाख रुपये से अधिक का गोलमाल हो गया। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग ने तब मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को भेजी रिपोर्ट में गोलमाल के लिए तत्कालीन बीडीओ और पशु चिकित्सा अधिकारियों को जिम्मेदार माना था। मामला 2020-21 में भूसा खरीद के भुगतान से जुड़ा था।

अस्थायी गौशालाओं और स्थायी गौशालाओं के गौवंश के लिए भूसा खरीदा जाता है। भुगतान से पहले संबंधित बीडीओ और पशु चिकित्सा अधिकारी संयुक्त रूप से पशुओं की संख्या और अन्य बिंदुओं का सत्यापन करते हैं। खरीद पर खर्च बजट का ऑडिट उपनिदेशक स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग ने जब किया और गोपनीय रिपोर्ट जारी हुई, तब पता चला 40 गोशालाओं में खरीद के नाम पर 41 भुगतानों में भारी अनियमितता है। 701 करोड़ 62 लाख 36 हजार 672 के अनियमित भुगतान की पुष्टि हुई। जुलाई 22 की बात है। बावन की गोशाला की शिकायतों पर तत्कालीन एडीएम वंदना त्रिवेदी ने मुआयना किया था। कुछ गोवंश के शव पंजीकृत गोवंश की तुलना में कम मिले थे।

उन्होंने कुछ कर्मियों पर कार्रवाई कर रिपोर्ट तत्कालीन दीएम अविनाश कुमार को दी थी। डीएम ने तत्कालोन सीडीओ आकांक्षा राना की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति (एक्स्ट्रा मजिस्ट्रेट स्वाति शुक्ला और डीपीआरओ) गठित की थी। दरअसल निरीक्षण में पंजीकृत 216 में 123 गोवंश ही मौके पर मिले थे। फिर आय व्यय, पंजीकरण रजिस्टर, गोवंश की देखभाल रजिस्टर और अन्य दस्तावेज एडीएम साथ ले आई थीं।

लापरवाही पर सचिव कौशलेंद्र भारती, पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बीपी सिंह को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि के साथ केयर टेकर से सेवा से हटा दिया था। प्रधान को नोटिस, सीडीओ की संस्तुति पर बीडीओ रचना गुप्ता को प्रतिकूल प्रविष्टि मिली थी।

क्‍या शासन और प्रशासन करता है पूरी सतर्कता से मॉनिटरिंग?

जिलाधीश मंगला प्रसाद सिंह ने स्वदेश' को बताया, भवेउरा गोशाला में पिछले दिनों 500 ट्रॉली मिट्टी का भराव डाला गया था, पर बारिश हो जाने से अव्यवस्था हो गई, इसलिए रात में ही टीम लगा कर गोवंश को दूसरी सुरक्षित और सुविधाजनक गोशाला में स्थानांतरित कराया गया।

कहा कि प्रशासन इस ओर पूरी सतर्कता मॉनिटरिंग करता है कि कहीं कोई अप्रिय स्थिति नहीं बने, पर कुछ तत्व है जो भ्रामक वातावरण बनाते रहते हैं। हालाकि, ग्राउंड रिलायटी से ही कार्य का अंदाजा हो जाता है।

देश भर के सांसदों को पत्र भेजने का क्या हुआ?

उच्च न्यायालय के राज्य गौ सेवा आयोग ने स्वागत किया था और सदस्य कृष्ण कुमार सिंह उर्फ भोले ने इसे लेकर जस्टिस शेखर कुमार यादव और इलाहाबाद हाईकोर्ट का शुक्रिया अदा किया था। कहा था, योगी सरकार के माध्‍यम से सिफारिश मोदी सरकार से की जाएगी। इतना ही नहीं भोले सिंह ने आयोग से देश भर के सांसदो को पत्र भेजने की बात कही थी।

चिट्टी लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों के सदस्यों को भेजने की बात थी। अब ये आगे क्या हुआ... राम जाने।


- BY ब्रजेश कबीर

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