India Heat Wave: गर्मी से तप रहा है भारत , साल दर साल क्यों बढ़ रही है गर्मी, जानिए भविष्य में क्या होगा

India Heat Wave: गर्मी से तप रहा है भारत , साल दर साल क्यों बढ़ रही है गर्मी, जानिए भविष्य में क्या होगा
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गर्मी का तापमान और बढ़ने से शहरों में बीमारियां बढ़ेंगी ।गर्मी बढ़ने का कारण जलवायु परिवर्तन, पेड़ -पौधे की कटाई होती है जिससे गर्मी बढ़ने लगती है।

India Heat Wave: गर्मी का मौसम जहां पर जारी है वहीं पर नौतपा के दौर में हीट वेव का असर लोगों को झुलसाने को मजबूर कर दिया है तो इसका खराब असर हो रहा है। गर्मी का तापमान साल दर साल बढ़ने लगा है जिससे भविष्य को लेकर अनुमान जताए जा रहे है कि, गर्मी का तापमान और बढ़ने से शहरों में बीमारियां बढ़ेंगी ।गर्मी बढ़ने का कारण जलवायु परिवर्तन, पेड़ -पौधे की कटाई होती है जिससे गर्मी बढ़ने लगती है

इन राज्यों में गर्मी मचाती है कहर

गर्मी का सबसे ज्यादा असर भारत के कई राज्यों में देखने के लिए मिलता है। जहां पर राजस्थान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सबसे ज्यादा गर्म राज्यों में से एक है यहां का मौसम शुष्क रहने के साथ ही भीषण गर्मी यहां पड़ती है। इसके अलावा हरियाणा के कुछ हिस्सों, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात जैसे अन्य राज्यों में भी “गंभीर” गर्मी की स्थिति रही। इस प्रकार राज्यों की ऐसी स्थिति को देखकर अनुमान लगाए जा रहे हैं कि भारत अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गर्म होते जा रहे हैं। इसे लेकर आंकड़े बताते हैं कि उदाहरण के लिए, 1988 की हीट वेव के कारण अनुमानित 1300 मौतें हुईं और इसी तरह, वर्ष 1998 और 2003 में क्रमशः लगभग 2042 लोगों और 3054 लोगों की मौत हुई थी ।

जानिए गर्मी के पैमाने

गर्मी के मौसम में जब ज्यादा तापमान बढ़ने लगता है तो हवाओं में भी गर्म लहर महसूस होने लगती है। इसे लेकर गर्मी की कई सारे पैमाने तय किए गए हैं चलिए जानते हैं..

हीटवेव - विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार जब किसी विशेष स्थान पर लगातार पाँच दिनों से अधिक समय तक दैनिक अधिकतम तापमान सामान्य अधिकतम तापमान से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है, तो उस स्थिति को हीट वेव कहा जाता है।जब किसी स्थान का सामान्य अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो: सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस से 5 डिग्री सेल्सियस का विचलन हीटवेव माना जाता है।

कब बढ़ी थी गर्मी

गर्मी के तापमान को लेकर बात करे तो, वर्ष 2020 में धरती पर सबसे गर्म जनवरी देखी गई, जब औसत वैश्विक सतही वायु तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.14 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह अल नीनो की अनुपस्थिति में हुआ है, जो सामान्य रूप से औसत तापमान को प्रभावित करता है। आंकड़े यह भी कहते है कि साल 1901 से लेकर अब तक देश में वार्षिक और मौसमी दोनों पैमानों पर देखे गए तापमान के रुझानों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत की जलवायु वैश्विक औसत की तुलना में बहुत अधिक तेजी से गर्म हो रही है।

2050 के लिए तैयारी

इस तरह से गर्मी का तापमान बढ़ने के कारण भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संभावित ताप लहर की तीव्रता और आवृत्ति का गहन विश्लेषण शुरू किया गया है। इसमें अत्याधुनिक वैश्विक जलवायु मॉडल द्वारा किए गए सिमुलेशन से प्राप्त डेटा और आईपीसीसी के 5 वें मूल्यांकन में इस्तेमाल किए गए इस विश्लेषण से पता चलता है कि आने वाले दशकों में जलवायु परिवर्तन के तीव्र होने के साथ ही भारत में ताप लहरों की घटनाएँ अधिक आम हो जाएँगी। इसे लेकर 2050 में गर्मी का असर कैसा होगा इसे लेकर कहा है।

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