Hema Committee report: 295 पन्नों की रिपोर्ट में सामने आया मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का काला सच, अभिनेत्रियों को लेकर हुए रोंगटे खड़े कर देने वाले खुलासे
5 सालों के लंबे इंतजार के बाद हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आई है।जिसमें मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को लेकर हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं । इस रिपोर्ट में जिस तरह मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों की स्थिति बताई गई है वह वाकई चिंता जनक है।
रिपोर्ट में कहा गया कि 'मलयालम फिल्म इंडस्ट्री कुछ मेकर्स, निर्देशकों, एक्टर्स के नियंत्रण में है, ये सभी पुरुष हैं। वे पूरे मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को नियंत्रित करते हैं और वे सिनेमा में काम करने वाले लोगों पर हावी होते हैं।'
दरअसल, साल 2017 में एक्ट्रेसेस के साथ हुए अभद्रता को लेकर केरल सरकार ने जस्टिस हेमा कमेटी की स्थापना की थी। इस कमेटी ने 31 दिसंबर 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद अब केरल सरकार ने रिपोर्ट की प्रति आरटीआई अधिनियम के तहत मीडिया को दी है। 295 पन्नों की रिपोर्ट से 63 पन्नों को हटाकर मीडिया के सामने लाया गया है।
रिपोर्ट की शुरुआत में कहा गया कि दूर से यह चकाचौंध भरी दुनिया अच्छी लगती है अंदर से उतनी ही घिनौनी है। दूर से तो नमक भी चीनी के जैसे लगता है। इस इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों को सबसे अधिक सेक्सुअल हैरेसमेंट की समस्या का सामना करना पड़ता है। और वो इन बातों को किसी के सामने जाहिर करने से भी डरती हैं। यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिला डर के मारे पुलिस में शिकायत भी नहीं कर पाती।
रिपोर्ट में पावरफुल निर्देशकों, निर्माताओं और एक्टर्स के एक ग्रुप बिग शॉट्स का भी जिक्र है। यही ग्रुप पूरी इंडस्ट्री को चलाता है। कोई भी एक्टर या एक्ट्रेस इस ग्रुप के सदस्यों के विरोध में नहीं बोल सकता है क्योंकि यह किसी को भी इंडस्ट्री से बाहर करने की क्षमता रखते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक्टर और प्रोड्यूसर महिलाओं को शोषणकारी स्थितियों के लिए दबाव डालते हैं। जो मैं लाइन की शर्तों को मान लेते हैं उन्हें कोड के नाम से बुलाया जाता है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़े प्रश्न खड़े हो रहे हैं। देश भर में इस रिपोर्ट का जिक्र किया जा रहा है।