पुलिस संवेदनशील नहीं: बदलापुर में बच्चियों के यौन शोषण पर हाई कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, स्कूल के खिलाफ एक्शन का भी आदेश

बदलापुर में बच्चियों के यौन शोषण पर हाई कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, स्कूल के खिलाफ एक्शन का भी आदेश

Badlapur Minor Rape Case : महाराष्ट्र। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को ठाणे के बदलापुर में एक स्कूल की दो - 4 वर्षीय लड़कियों के यौन शोषण के मामले की जांच में चूक के लिए महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई। अखबारों में छपी खबरों के आधार पर कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया था। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर भी चिंता जताई है।

अदालत ने कहा कि, "इन लड़कियों ने शिकायत की है, लेकिन कई मामले रिपोर्ट नहीं किए गए। यौन शोषण जैसे मामले के बारे में बोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है। यह साफ है कि, इस मामले में पुलिस ने अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभाई। अगर पुलिस सेंसिटिव होती, तो यह घटना नहीं होती।"

अदालत ने पीड़िता के बयान दर्ज करने में देरी के लिए बदलापुर पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि, "हम इस बात से स्तब्ध हैं कि बदलापुर पुलिस ने दूसरी नाबालिग लड़की का बयान दर्ज करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है।"

कोर्ट ने मामले के पंजीकरण में देरी पर भी सवाल उठाया और कहा कि इससे लोग पुलिस के पास आने से हतोत्साहित होते हैं। क्योंकि यह मामला नाबालिग से यौन उत्पीड़न का था इसलिए पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। परिजनों को घंटों तक इन्तजार करवाना सही नहीं।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि, 'चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।'

"लोगों को जनता पर भरोसा नहीं खोना चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि महाराष्ट्र पुलिस का आदर्श वाक्य क्या है सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय (सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय)। इसका मतलब है अच्छे लोगों की रक्षा करना और दुष्टों पर लगाम लगाना। कृपया इसे याद रखें... लोगों को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए इस तरह सड़कों पर नहीं आना चाहिए। पुलिस बल को इस बारे में संवेदनशील बनाया जाना चाहिए कि यौन अपराधों से जुड़े मामलों को कैसे संभाला जाए।"

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