History of Bhojpur Temple: भीम ने माता कुंती की पूजा के लिए तैयार किया था शिव मंदिर, क्‍या भोजपुर मंदिर के बारे मेंं ये बाते जानते हैं आप...

History of Bhojpur Temple: भीम ने माता कुंती की पूजा के लिए तैयार किया था शिव मंदिर, क्‍या भोजपुर मंदिर के बारे मेंं ये बाते जानते हैं आप...
प्रकृति की गोद में बसा यह शिव मंदिर एक भक्ति और आस्‍था का एक अलग उदाहरण प्रस्‍तुत करता है।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूर रायसेन जिले में स्थित भोजपुर मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। पहाड़ पर बना हुआ यह अधूरा शिव मंदिर भोजपुर शिव मंदिर व भोजेश्वर मंदिर के नाम से जातना जाता है

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने कराया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई 18 फीट है जो कि देश के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।

आइए जानते हैं भोजपुर मंदिर से जुड़े इतिहास के बारे में...

5.5 मीटर है शिवलिंग की लंबाई

भोजपुर मंदिर के संबंध में इतिहासकारों का कहना है कि भोजपुर और इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई. - 1055 ई.) ने करवाया था।

भोजपुर शिव मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोज प्रथम ने करवाया था। कंक्रीट के जंगलों को पीछे छोड़कर प्रकृति की हरी-भरी गोद में बेतवा नदी के किनारे बना प्राचीन वास्तुकला का यह अनूठा उदाहरण राजा भोज के वास्तुकारों की मदद से तैयार किया गया था।

इस मंदिर की खासियत इसका विशाल शिवलिंग है, जो एक ही पत्थर से बना दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। संपूर्ण शिवलिंग की लंबाई 5.5 मीटर (18 फीट), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट) है।

महाभारत काल से जुड़ी है मंदिर की कहानी

इस मंदिर को पांडवकालीन भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान वे भोपाल के नजदीक भीमबेटका में भी कुछ समय के लिए ठहरे हुए थे। उसी समय में जब माता कुंती को भगवान शिव की पूजा करनी थी, तब इस मंदिर का निर्माण भीम ने किया था। मंदिर बेतवा नदी के पास बनाया गया था ताकि नदी में स्‍नान कर भगवान शिव की पूजा की जा सके।

कहा जाता है कि बाद में यह विशाल शिवलिंग मंदिर राजा भोज के समय बनाया गया और तबसे इसे भोजेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। भोजेश्वर मंदिर के पीछे के भाग में बना ढलान यह दर्शाता है कि मंदिर बड़ी ही तकनीक को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है। निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था।

साल में दो बार लगता है मेला

इस प्रसिद्ध स्थान पर साल में दो बार मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के त्योहार के दौरान वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। इस धार्मिक उत्सव में भाग लेने के लिए दूर-दूर से शिव भक्त आते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय भोजपुर महोत्सव का भी आयोजन होता है।

वहीं पर्यटन की दृष्टि से भी यह मंदिर बहुत ही आकर्षक है, प्रकृति की गोद में बसा यह शिव मंदिर एक भक्ति और आस्‍था का एक अलग उदाहरण प्रस्‍तुत करता है।

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