History of Sawan Somwar Vrat: जानिए क्यों रखा जाता है सावन में सोमवार का व्रत, क्या है इसके पीछे की कहानी?
Sawan Somwar 2024: आज सावन के पहला सोमवार है और पूरा देश भगवान शिव की भक्ति और आराधना में डूब गया है। यह तो हम सबको पता है कि सावन सोमवार का व्रत हिंदू धर्म में कितना महत्व रखता है।
सावन (श्रावण) का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस महीने के सोमवार के दिन व्रत रखना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
लेकिन सावन में ही सोमवार का व्रत क्यों रखा जाता है, इसके पीछे की कहानी क्या है? इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत का इतिहास!
सावन सोमवार के व्रत का इतिहास/History of Sawan Somwar Vrat
सावन सोमवार के व्रत का इतिहास और महत्व हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में विस्तार से वर्णित है। इस व्रत का आरंभ पौराणिक काल से माना जाता है। यहाँ हम कुछ प्रमुख पौराणिक कथाएँ और ऐतिहासिक तथ्य के बारे में बात करते हैं जो सावन सोमवार के व्रत के महत्व को समझाने में मदद करते हैं:
समुद्र मंथन: एक पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत की प्राप्ति के साथ ही विष भी निकला था। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया ताकि सृष्टि का विनाश न हो। विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और इस प्रकार सावन सोमवार का व्रत प्रारंभ हुआ।
देवी पार्वती की कथा: सावन सोमवार व्रत का सबसे प्रमुख इतिहास देवी पार्वती और भगवान शिव की कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखा और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया और वे उनके पति बने।
व्रत की परंपरा: सावन सोमवार का व्रत भारत के विभिन्न हिस्सों में सदियों से मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है और इससे जुड़ी परंपराएँ विभिन्न क्षेत्रों में थोड़ी अलग हो सकती हैं, लेकिन मुख्य उद्देश्य और श्रद्धा समान रहती है।
महाभारत और रामायण: महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी भगवान शिव की उपासना और सावन महीने के महत्व का वर्णन मिलता है। इन ग्रंथों में शिव भक्ति और व्रत की महिमा का विस्तृत विवरण है।
सावन सोमवार के व्रत का इतिहास और महत्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी सहायक माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से भक्त भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।