कश्मीर में टारगेट किलिंग पर बड़े एक्शन की तैयारी, गृहमंत्री ने बनाया आतंकियों से निपटने का प्लान
नईदिल्ली। जम्मू-कश्मीर में जारी हिंदुओं की टारगेट किलिंग पर केंद्र सरकार बड़ा एक्शन लेने के मूड में नजर आ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई है। जिसमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, एनएसए अजीत डोवाल, रॉ प्रमुख, थल सेना प्रमुख, DGP दिलबाग सिंह, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, CRPF के महानिदेशक कुलदीप सिंह और SSB के प्रमुख भी शामिल हैं।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्री शाह ने दो दिन की इस बैठक में जम्मू कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। इसके साथ ही बैठक में अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और सुरक्षा का मुद्दे पर भी चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने घाटी में हिन्दुओं की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा की है और ऐसे उपाय करने को कहा है जिससे अलगाववादी हिन्दुओं को टारगेट कर हिंसा न कर सकें। इसी क्रम में यह निर्णय पहले ही ले लिया गया है कि सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हिन्दुओं की केवल जिला मुख्यालयों में ही तैनाती की जाए।
मई 10 लोगों की हत्या -
गृह मंत्री ने यह बैठक ऐसे समय में की है जब आतंकवादियों ने घाटी में गैरमुस्लिम कर्मचारियों की एक के बाद एक लोगों की हत्या कर रहे हैं। पिछले गुरुवार को एक बैंक कर्मी और एक ईंट भट्ठा मजदूर की हत्या कर दी गई। बैंककर्मी राजस्थान का मूल निवासी था। इसके पहले दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की एक अध्यापिका (कश्मीरी पंडित) को गोली मार कर हत्या कर दी। एक मई के बाद से कश्मीर में बैंक कर्मी और मजदूर की हत्या 10वीं टारगेट किलिंग की घटना थी।
वहीं, गत 18 मई को बारामूला में आतंकियों ने एक शराब की दुकान में गोला फेंककर जम्मू क्षेत्र के एक व्यक्ति की हत्या कर दी। इस घटना में कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद 24 मई को श्रीनगर में जम्मू कश्मीर के सिपाही सैफुल्लाह को उनके घर में ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी उसके दो दिन बाद ही बडगाम में अमरीन भट्ट को मौत के घाट उतार दिया गया था।
कश्मीरी पंडितों में भय का माहौल
कश्मीर में एक बार फिर 90 के दशक में हुई हिंदुओं की हत्याओं के दौर की याद दिला दी है। इन घटनाओं के बाद से कश्मीरी पंडितों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत वर्ष 2012 में नियुक्त किए गए कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद से प्रदर्शन हो रहा है। इससे घाटी में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों के पलायन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उल्लेखनीय है कि बडगाम जिले के चडूरा में गत 12 मई को भट की हत्या कर दी गई थी।