Ratan Tata: An Inspiration to Millions | कैसे बनते हैं रतन टाटा ?

An Inspiration to Millions | कैसे बनते हैं रतन टाटा ?
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अनुराग उपाध्याय, स्‍वदेश डेस्‍क: रतन टाटा की एक बात हमेशा दिमाग में चलती रहती है। उन्होंने कहा सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, सफलता सिर्फ मेहनत, मेहनत और सिर्फ मेहनत से हाथ लगती है। नए आडियाज आपकी मेहनत को निखार देते हैं।

बात कोई 23 साल पुरानी है। उस दिन दिल्ली ऑफिस से फोन आया रतन टाटा भोपाल में हैं एक इंटरव्यू कर लीजिए। इस पर मैंने अपने संपादक से सवाल कर लिया क्या रतन टाटा ऐसे इंटरव्यू देते हैं, आपने टाटा का कितनी बार इंटरव्यू किया है? संपादक झुंझला गए और कहा इसलिए तो तुमसे कह रहे हैं।

खैर आधा दिन टाटा साहब को खोजने में लग गया। टाटा शहर में हैं ये टाटा के मुलाजिम तक नहीं बता पाए। लेकिन हमें उनकी लोकेशन मिली। रतन टाटा हमारे वहां पहुँचने से पहले ही निकल चुके थे। बड़ी मशक्कत के बाद भोपाल के लालघाटी इलाके के एक शो रूम के बाहर एक इंडिका कार में रतन टाटा हमें बैठते नजर आए। वे एयरपोर्ट जा रहे थे। साथ में कोई लवाजमा नहीं। जैसे तैसे टाटा साहब के करीब पहुंचा और कार की खिड़की से ही उन्हें अपने आने के मंतव्य के बारे में बताया। कार से ही उन्‍होंने नमस्ते की और कहा मैं कहां इस काबिल हूं कि मीडिया से बात करूं। बहुत सलीके से रतन टाटा ने मुझे टालने की कोशिश की। लेकिन खबर को लेकर मेरा मिजाज भी जोंक जैसा है। कार के शीशे से मैंने सवाल किया मैं बस ये जानना चाहता था रतन टाटा कैसे बनते हैं?

मेरे सवाल पर रतन टाटा मुस्कुराए। तब तक कवरेज शॉट बना रहे मेरे कैमरामैन मेरा इशारा समझ गए थे और इस तरह महान शख्सियत रतन टाटा से एक छोटी बातचीत हुई। तमाम ना नुकुर के बाद मेरा पहला सवाल था कि कोई व्यक्ति रतन टाटा कैसे बन सकता है? जवाब मिला बहुत आसान है, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। नए आइडियाज पर काम कीजिए और खूब मेहनत कीजिए। मेहनत, मेहनत और मेहनत आपको सफलता के नजदीक ला कर खड़ा कर देती है।

मैंने दूसरा सवाल किया। जीवन में बिजनेस में लंबा चलना हो आपकी तरह तो क्या किया जाए? फिर एक सौम्य मुस्कराहट के साथ जवाब आया एयरपोर्ट पहुंचना है। फिर भी जान लें... लंबा चलना है तो अच्छी टीम बनायें, टीम पर भरोसा रखें और टीम को साथ लेकर जितना चाहें लंबा चले जाएँ। हर मुश्किल आसान हो जाएगी।

चलते चलते एक सवाल और कर दिया क्‍या सब किस्मत का खेल है? रतन टाटा ने दार्शानिक अंदाज में कहा सब के पास समान अवसर होते हैं, उन अवसरों का उपयोग कीजिये।

ये शायद वो दौर था जब रतन टाटा के दिमाग में नैनो कार की प्लानिंग चल रही हो। मैंने वैसे ही सवाल कर दिया आप इस कार में? उनका जवाब था इस में क्या खराबी है, अच्छी चलती है। लोग इसे पसंद करते हैं। मेरी इच्छा है देश का हर आदमी कार ले सके। सब कार का सफर कर सकें और रतन टाटा की कार एयरपोर्ट की तरफ रवाना हो गई। सम्पादक इंटरव्यू चाहते थे और यह टीवी की भाषा में वन टू वन हो गया। खबर भेजी लेकिन तत्‍काल चली नहीं तो थोडी निराशा हुई लेकिन उसी रात नौ बजे प्राइम टाइम की बड़ी खबर थी ''ऐसे बनते हैं रतन टाटा।''

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