How to Quit Smoking: इस तरीके से हमेशा के लिए स्मोकिंग या तम्बाखू छोड़ सकते हैंं आप...
भारत में धूम्रपान का इतिहास बहुत पुराना है। विभिन्न जड़ी-बूटियों एवं घी आदि को जलाकर उसके धुएं द्वारा बीमारियों का इलाज करने का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथों में आज से 4000 वर्ष पहले किया गया है। अथर्ववेद में (जो ईसा के जन्म से 2000 साल पुराना माना जाता है) गाँजा के धुएं से इलाज एवं नशे का उल्लेख है। गाँजे का चिलम में उपयोग भारत में आज भी बहुतायत में प्रचलित है।
भारत में तम्बाखू पहली बार 17वीं सदी में आया। इसे भारत में लाने का श्रेय अंग्रेजों एवं यूरोप के अन्य देशों से आए हमलावरों को है जिन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों को अपना उपनिवेश बनाया।
धूम्रपान के अलावा तम्बाखू का सेवन करने के कई तरीके प्रचलन में आते गये। तम्बाखू को मुँह में रखकर चूसना इसमें खैनी, गुटखा, पान आदि इसके उदाहरण हैं। इस तरह तम्बाखू का सेवन करने से मुंह का कैंसर होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। भारत में तम्बाखू लेने का यह बहुत लोकप्रिय तरीका है। यही कारण है कि मुँह के कैंसर के मरीज सर्वाधिक भारत में देखे जाते हैं। यह तरीका भारत की महिलाओं में भी बहुत प्रचलित है।
तम्बाखू पावडर को नाक द्वारा सूंघना (नसवार) भी तम्बाखू लेने का एक प्रचलित तरीका है। कुछ प्रदेशों में तम्बाखू मिश्रित टूथपेस्ट की तरह बनाया गया पदार्थ जिसे उंगली द्वारा मसूड़ों पर मला जाता है। यह तरीका भी काफी लोकप्रिय है।
धूम्रपान के रूप में तम्बाखू के सेवन के भी कई तरीके हैं- सिगरेट, बीड़ी, हुक्का एवं पाईप, सिगार इसी श्रेणी में आते हैं। तम्बाकू में जो पदार्थ नशा एवं निर्भरता पैदा करता है, वह है निकोटिन। निकोटिन दिमाग में चैतन्यता (अलर्टनेस) बढ़ाने का, संतुष्टि का एहसास कराता है, थकान के एहसास को कम करता है एवं बार-बार लेने की इच्छा पैदा करता है। हृदय पर निकोटिन के प्रभाव से हृदय गति बढ़ती है एवं रक्तचाप भी बढ़ता है। खून ले जाने वाली नलियों को भी यह संकुचित करता है। लम्बे समय तक लेते रहने से खून ले जाने वाली नलियों में थक्का बनने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यही कारण है कि धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में हार्ट अटैक एवं पैरालिसिस का खतरा कई गुना ज्यादा होता है।
निकोटिन के अलावा तम्बाखू में ऐसे कई तत्व है जो कैंसर कारक होते हैं। धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है व मुँह से लिया जाने वाला तम्बाखू मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। कैंसर कारक तत्व शरीर के अन्य भागों में भी कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं। धूम्रपान अथवा तम्बाखू के सेवन की शुरुआत शौक-शौक में होती है, परंतु बहुत जल्दी ही मानसिक एवं शारीरिक निर्भरता पैदा हो जाती है एवं निकोटिन न मिलने से चिड़चिड़ापन, थकान एवं दिमाग में शिथिलता का आभास होने लगता है और इस प्रकार व्यक्ति इसे चाहते हुये भी छोड़ नहीं पाता। इस तरह की निर्भरता के अलावा धीरे-धीरे व्यक्ति इसे आदत में भी शामिल कर लेता है।
जैसे सुबह की चाय के साथ, शौच जाने पर, खाना खाने के बाद, बोर होने पर, टेंशन में, मानसिक तनाव में, शरीर में निकोटिन के होते हुये भी तंबाकू सेवन आदत के अनुसार कर लिया जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि तम्बाखू का सेवन अथवा धूम्रपान छोड़ना चाहने वाले लोगों को निकोटिन पर निर्भरता एवं निकोटिन की आदत से अलग-अलग लड़ना पड़ता है।
धूम्रपान एवं तंबाकू सेवन के दुष्प्रभाव :
1) हार्ट अटैक एवं हृदय रोग:- धूम्रपान करने वाले लोगों में हार्ट अटैक होने का खतरा 2 से 4 गुना बढ़ जाता है। यदि व्यक्ति को मधुमेह, हाई ब्लडप्रेशर या बढे हुये कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी है, तो यह तम्बाखू सेवन खतरा और भी ज्यादा हो जाता है।
2) हाई ब्लड प्रेशर:- जिन व्यक्तियों का ब्लड प्रेशर बढ़ा रहता है एवं वे धूम्रपान अथवा तम्बाखू का सेवन करते हैं, उनके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में कठिनाई आती है व उन्हें बी.पी. की अतिरिक्त दवाई लेनी पड़ती हैं।
3) खाँसी व दमा:- लम्बे समय तक धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों में टार जमा होता जाता है, जिसकी वजह से फेफड़ों खून में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँचा पाते। ऐसे व्यक्ति की सॉस जल्दी-जल्दी फूलने लगती है व उन्हें लगातार खाँसी भी आती रहती है एवं टी.बी.की सम्भावना बढ़ जाती है।
4) कैंसर: फेफड़े व मुँह के कैसर का जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं। इसके अलावा शरीर के कई अन्य भागों में भी कैंसर का संबंध, तम्बाखू व धूम्रपान से पाया गया है।
5) दाँत और मसूड़े खराब होना: तंबाकू खाने वालों एवं धूम्रपान करने वालों के दाँत बदरग होने लगते है। उन्हें मसूड़ों की बीमारियाँ भी अधिक होती है मसूड़े दांतों पर अपनी पकड़ छोड़ने लगते है, जिसके कारण दाँत जल्दी गिर जाते है अथवा निकलवाने पड़ते है।
6) धूम्रपान करने वाले या तम्बाखू का सेवन करने वाले लोगों में पक्षाघात (लकवा) होने का ख़तरा भी बहुत बढ़ जाता है।
7) पैरों में खून ले जाने वाली नलियों में संकुचन होने एवं खून का थक्का जमने से गैंगरीन हो सकता है। जिसके कारण पैर काटने की नौबत आ जाती है। ऐसा डायबिटीज के मरीजों में अक्सर देखा जाता है।
8) पुरुषों में डायबिटीज, नपुंसकता का प्रमुख कारण है। ऐसा देखा गया है कि धूम्रपान एवं तम्बाकू का सेवन करने वाले पुरुषों में यह समस्या जल्दी आ जाती है।
9) यदि महिलाएं तंबाकू का सेवन गर्भावस्था के दौरान करती हैं तो गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है एवं बच्चे में जन्मजात विकार होने का खतरा भी बढ़ जाता है। यह भी सत्य है कि जो गर्भवती महिलाओं के पति धूम्रपान करते हैं उन्हें व उनके गर्भस्थ शिशु में पति द्वारा उड़ाये गये धुएं का बुरा असर आता है।
10) अनेक शोधों में बताया गया है कि धूम्रपान करने वाले एवं तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों की औसत आयु 8 से 10 साल कम हो जाती है।
11) धूम्रपान व तम्बाकू के सेवन से भूख मर जाती है, जिसकी वजह से शरीर का वजन कम होता है।
12) धूम्रपान एवं तम्बाकू सेवन से मुँह में स्वाद एवं नाक में सूंघने की शक्ति कम हो जाती है।
कैसे छोड़ें धूम्रपान एवं तम्बाकू सेवन/How to Quit Smoking:
जैसा कि हमने पहले बताया तम्बाकू सेवन एवं धूम्रपान छोड़ने में दो बड़ी समस्याएँ आड़े आती हैं- शारीरिक एवं मानसिक निर्भरता तथा आदतें। इन्हें त्यागने के लिये व्यक्ति को इन दोनों से ही जूझना पड़ता है। धूम्रपान अथवा तम्बाकू छोड़ने की चाहत रखने वाले अधिकांश लोग "धीरे-धीरे बंद कर दूंगा" का रास्ता चुनते हैं। ये लोग कोशिश करते हैं कि तम्बाकू एवं धूम्रपान को क्रमश: कम बार लेते हुये कुछ दिनों में इसे छोड़ देंगे।
अनेक शोध में पाया गया है कि ऐसा करने वाले लोगों को सफलता कम ही मिलती है। इसके विपरीत कई लोग एक दम आगे से हाथ न लगाने की कसम खाते हुये इसे छोड़ देते है। ऐसे लोगों को दो-तीन हफ्ते काफी मुश्किल से काटने पड़ते है परतु उसके बाद वे जगजीत लेते है।
ऐसा पाया गया है कि एकदम से छोड़ना ज्यादा सफल तरीका है। हार्ट अटैक होने के बाद लोग इसी रास्ते को चुनते हुये धूम्रपान छोड़ते है।
यदि आप तम्बाकू या धूम्रपान छोड़ने का मन बना रहे है तो आईये हम आपको एक योजना बनाकर देते है-
एक दिन निर्धारित करें:
निर्णय ले कि आप इस दिन के बाद तंबाकू अथवा धूम्रपान को पूर्णत त्याग देगें। यह दिन नया साल, आपका जन्मदिन, आपके बच्चों का जन्मदिन या आपकी शादी की वर्षगांठ हो सकता है।
दिन निर्धारित करने के बाद इसे प्रचारित करे। अपने सभी परिवार वालों दोस्तों, सहकर्मियों को बताएं कि आपने यह निर्णय ले लिया है कि इस दिन से आप इस आदत को त्याग देगे चाहे जो भी हो। उस दिन के आने तक आप तम्बाखू के दुष्परिणामों के बारे में पढ़ें व यदि उस दिन में समय ज्यादा है तो धूम्रपान या तम्बाखू उपयोग धीरे-धीरे कम करना शुरू कर दें। दिन में अनेक बार यह सोचें कि यह आदत आपके सेहत को कैसे बर्बाद कर रही है एवं आप इस आदत पर कितना पैसा बर्बाद कर रहे हैं। अपने दोस्तों व सहकर्मियों को कड़ी हिदायत दे दें कि इस दिन के बाद वे आपसे धूम्रपान अथवा तम्बाखू लेने का आग्रह नहीं करेंगे और न ही आपके सामने इन चीजों का सेवन करेंगे। अनेक लोग मंदिर जाकर अपने बच्चों के नाम की शपथ लेकर अपने संकल्प को आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ कर लेते हैं।
बंद करने के बाद पहला सप्ताह :
तम्बाखू एवं धूम्रपान बंद करने के बाद सबसे कठिन समय पहला हफ्ता होता है। आपको तम्बाखू लेने की तीव्र इच्छा होती है एवं व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है। सिर दर्द एवं कब्ज का एहसास भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में आप गहरी-गहरी साँसे लें, किसी से मन को भाने वाली बातें करें, एक गिलास ठण्डा पानी पियें। मुँह में सौंफ अथवा लोंग चबाने से भी तलब को शांत किया जा सकता है। कब्ज के लिये ईसबगोल की भुसी पानी के साथ ले सकते हैं। खाने में फल एवं सब्जियाँ ज्यादा लें। सिर दर्द ज्यादा होने पर दर्द निवारक गोली भी ले सकते हैं।
यदि ये सब उपाय असफल हो जायें एवं आप अपना संकल्प तोड़ने की कगार पर पहुँच जायें तो एक और उपाय है। बाजार में निकोटिन च्विंगम अथवा चमड़ी पर लगाये जाने वाले पेच उपलब्ध हैं। आप डॉक्टर की सलाह से ये ले सकते हैं। इसके जरिये खून में निकोटिन पहुँचने लगता है एवं धूम्रपान अथवा तम्बाखू लेने की तलब खत्म हो जाती है। परंतु याद रखिये कि आप ये काम-से कम मात्रा में एवं कम-से-कम समय के लिये ही लेंगे। नहीं तो आप एक आदत से निकल कर दूसरी आदत अपनाने जा रहे हैं, जिसके दुष्परिणाम भी पहली आदत से कम नहीं।
दूसरा हफ्ता:
यदि आप बिना तम्बाकू के एक हफ्ता निकाल चुके हैं तो आपके लिए दूसरा हफ्ता निकालना कठिन नहीं होगा। ऐसे यार दोस्तों से दूर रहें जो धूम्रपान का सेवन करते हैं। धूम्रपान की गंध अथवा किसी को करता देखने से आपकी तम्बाखू की तलब तीव्रता से जागृत हो सकती है। शराब से दूर रहें। देखा गया है कि सगी-साथियों के साथ बैठकर शराब पीना किसी भी व्यक्ति के तम्बाखू छोड़ने के संकल्प को तोड़ने का सबसे बड़ा कारण है। यदि आपने पहले हफ्ते में निकोटिन चिंगम अथवा पेय को अपनाया था तो निश्चित रूप से दूसरे हफ्ते में आपको उसे छोड़ना है। आप निकोटिन की मात्रा कम करते जायें।
तीसरा हफ्ता:
बधाई हो आपने अपने संकल्प को प्राप्त करने में सफलता पाई। बिना निकोटिन के दो हफ्ते गुजर जाने पर शरीर बिना निकोटीन के सामान्य कार्य करना सीख लेता है। व अब आपको इस पर निर्भरता नहीं महसूस हाती। फिर भी आप ऐसी परिस्थितियों व उत्तेजनाओं से बचें जो आपको फिर से इसी तरफ ले जा सकती है। मानसिक तनाव से बचें। अपने साथियों एवं परिवार वालों को बतायें कि आप इस आदत से मुक्त हो चुके हैं।
अब आप एक स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की शुरुआत करें। वैज्ञानिकों ने पाया है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद लगभग 2 से 5 वर्षों के अंदर इनसे उत्पन्न विकारों की सम्भावनाओं से पूर्णतः छुटकारा पा लेते हैं। आज दुनिया में प्रतिदिन हजारों लोग धूम्रपान की वजह से उत्पन्न हुई बीमारियों द्वारा मर रहे है। अब आप उन लोगे में शामिल नहीं होगें।