IMA अध्यक्ष ने कहा- अस्पतालों का उपयोग ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए हो
नईदिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा एलोपथो को लेकर उठाए गए सवालों को लेकर विवाद चल रहा है। आईएमए उत्तराखण्ड ने आज बाबा के खिलाफ 1 हजार करोड़ का मानहानि का दावा किया है। आईएमए और रामदेव के बीच चल रहे विवाद के बीच आईएमए अध्यक्ष डॉ. जे.ए जयलाल (जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल) के ईसाईयत को बढ़ावा देने वाले बयान को संज्ञान में लाकर आचार्य बालकृष्ण ने कटाक्ष किया है।
पूरे देश को #Christianity में convert करने के षड्यंत्र के तहत, @yogrishiramdev जी को target करके #योग एवं #आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है। देशवासियों, अब तो गहरी नींद से जागो🙏 नहीं तो आने वाली पीढ़ियां तुम्हें माफ नहीं करेंगी। pic.twitter.com/XADqXiGJIT
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) May 24, 2021
आचार्य बालकृष्ण ने कहा की योग और आयुर्वेद को इसलिए बदनाम किया जा रहा है ताकि पूरे देश को ईसाई धर्म में बदला जा सकें। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा की - " पूरे देश को #Christianity में convert करने के षड्यंत्र के तहत बाबा रामदेव को निशाना बनाकर करके योग एवं आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है। देशवासियों, अब तो गहरी नींद से जागो नहीं तो आने वाली पीढ़ियां तुम्हें माफ नहीं करेंगी। "
ये है कारण -
T-1 वाह रे, #IMA के विद्वान #डॉक्टर और #वैज्ञानिकों !
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) May 24, 2021
आपको प्रमाण एवं अनुसंधान आधारित आयुर्वेदिक औषधियां एवं प्राचीन #योग #विज्ञान pseudo-science दिखता है। pic.twitter.com/IFuUJWhAI0
दरअसल, आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल ने हाल ही में एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में कहा की पिछले 3-4 सालों से आधुनिक मेडिसिन की जगह आयुर्वेद को लाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं, जो कि हिंदुत्व की भाषा है। वही इससे पहले Haggai इंटरनेशनल' पर एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रवादी सरकार आधुनिक दवाओं को पश्चिमी बता कर उन्हें नष्ट करना चाहती है। वे अपने पद का इस्तेमाल ईसाई मिशनरी गतिविधियों के लिए भी करना चाहते हैं।वे चाहते हैं कि अस्पतालों का इस्तेमाल भी ईसाई धर्मांतरण के लिए हो।
अस्पतालों में ईसाईयत को बढ़ावा -
आचार्य बालकृष्ण ने आईएमए अध्यक्ष के इसी बयान को ट्विटर पर पोस्ट किया है। जिसमें जयलाल अस्पतालों और स्कूलों में क्रिश्चियानिटी को बढ़ावा देने की बात करते हैं। आचार्य ने जयलाल के इस बयान पर ट्वीट करते हुए कहा - कोरोना जैसी महामारी को ठीक करने के लिए आपको अपनी पैथी पर भरोसा नहीं, बल्कि सांप्रदायिक आग्रह से युक्त दकियानूसी मानसिकता पर आपको भरोसा है? तरस आता है ऐसे लोगों पर, प्रभु सद् बुद्धि प्रदान करें। "
सांप्रदायिक याचना -
T-3 Bravo, #IMA doctors and scientists!
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) May 24, 2021
Evidence based ayurvedic medicines and ancient yoga science appears pseudo science for you. pic.twitter.com/PKtIKmFDyr
आचार्य ने अगले ट्वीट में कहा - " साक्ष्य आधारित आयुर्वेदिक औषधियां और प्राचीन योग विज्ञान आपके लिए छद्म विज्ञान प्रतीत होता है।हालांकि कोरोना महामारी को ठीक करने के लिए आप अपने स्वयं के प्रगतिशील पथ पर भरोसा नहीं करते हैं, लेकिन सांप्रदायिक याचना से जुड़े सुपर-फोगी मानसिकता पर अधिक विश्वास दिखाते हैं!ऐसे लोगों पर दया करो, ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे!"
ऐसी मानसिकता का अर्थ -
आइएमए अध्यक्ष द्वारा मेडिकल संस्था और पद का उपयोग एक धर्म विशेष और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए करना अथवा इसकी मंशा रखना कहाँ तक उचित है ? सोचने वाली बात ये है की आखिर ऐसी मानसिकता वाले डॉक्टर किस तरह अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों का उपयोग क्रिश्चिनियटी को बढ़ावा देने के लिए करना चाहते है। भारतीय सनातन परंपरा और हिन्दू धर्म को नष्ट - भ्रष्ट करने की साजिश आखिर कब तक चलेगी?