क्या भारत-चीन सीमा विवाद का निकलेगा हल? रविवार को होगी 13वें दौर की वार्ता
बीजिंग। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चल रहे तनाव को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता रविवार को चीनी पक्ष के मोल्दो में होगी। कोर कमांडर स्तर की वार्ता के इस दौर में हॉट स्प्रिंग्स और कुछ अन्य विवादित क्षेत्रों से दोनों सेनाओं के विस्थापन पर चर्चा होने की संभावना है। एक हफ्ते पहले सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता का अगला दौर जल्द ही होने के संकेत दिए थे।
पूर्वी लद्दाख में सीमा तनाव को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी। पिछली वार्ताओं में सहमति बनने के बाद अब तक पैन्गोंग झील, गोगरा पोस्ट और गलवान घाटी में विस्थापन प्रक्रिया हो चुकी है। इन विवादित जगहों पर अब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने नहीं हैं लेकिन हॉट स्प्रिंग्स में अभी भी यह प्रक्रिया रुकी पड़ी है। वार्ता से एक दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि सीमावर्ती इलाके में चीन लगातार अपने सैनिकों के रहने के लिए बुनियादी ढांचे मजबूत कर रहा है। अगर वे यहां रहने के लिए हैं तो हम भी यहां रहने के लिए तैयार हैं। रविवार को होने वाली वार्ता का फोकस हॉट स्प्रिंग्स में एक बफर जोन बनाने पर होगा ताकि इस इलाके में भी विस्थापन प्रक्रिया शुरू हो सके।
पूर्वी लद्दाख सीमा पर दोनों देशों के तैनात सैनिकों की कोई कमी नहीं हुई है और दोनों पक्षों का निर्माण जारी है। चीन ने सिर्फ लद्दाख ही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी सैन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड से सटे क्षेत्र भी शामिल हैं। हाल ही में चीनी सैनिकों ने उत्तराखंड के बाराहोती में और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में अतिक्रमण के दो प्रयास किए हैं। इसी साल फरवरी में पैन्गोंग झील के दोनों किनारों पर विस्थापन होने के बाद से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ अन्य विवादित क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की संख्या में कमी नहीं आई है। भारत डेप्सांग और डेमचोक जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी सैन्य वार्ता में चर्चा करना चाह रहा है, ताकि चल रहे सैन्य गतिरोध में इन विवादित क्षेत्रों को भी देखा जाए। इसके विपरीत चीन ने अन्य क्षेत्रों पर चर्चा करने से बच रहा है।
भारत औऱ चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा है कि चीनी सैनिकों की हर गतिविधियों पर भारतीय सेना की पैनी नजर है। चीन को उसकी सैन्य कार्रवाई के आधार पर ही जवाब दिया जाएगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आधारभूत ढांचे के निर्माण को लेकर चिंता जताते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि यदि वे एलएसी पर टिकेंगे तो हम भी वहां डटे रहने के लिए तैयार हैं। उनके मुताबिक चीन के साथ टकराव की प्रमुख वजह चीन की तरफ से बड़े पैमाने पर किया जा रहा निर्माण कार्य और पूर्व में निर्धारित प्रोटोकाल का पालन न करना रहा है। एलएसी के साथ कई क्षेत्रों में भारत और चीनी सेनाओं के बीच लगभग 17 महीनों से गतिरोध चल रहा है। इस साल दोनों देशों के बीच कई बार कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएं हो चुकी हैं।