भारत-चीन के सैन्य कमांडरों के बीच अन्य स्थानों से हटने पर वार्ता शुरू
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के दोनों किनारों पर सैन्य हथियारों और टुकड़ियों को पीछे हटाने के बाद भारत और चीन आज 10वें दौर की सैन्य वार्ता करने के लिए आमने-सामने बैठे हैं। शनिवार को यह कोर कमांडर स्तर की वार्ता मोल्डो-चुशुल सीमा मीटिंग प्वाइंट पर शुरू हो चुकी है। आज की बैठक का मुख्य मुद्दा एलएसी के अन्य विवादित क्षेत्रों हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेमचोक में गतिरोध खत्म करने का समाधान खोजना है।
भारत और चीन लगभग 10 माह तक चले गतिरोध के बाद पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर से हथियारों और सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं। इस समझौते के मुताबिक 10 फरवरी से शुरू हुई यह प्रक्रिया चार चरणों में शुक्रवार की देर शाम तक पूरी हो गई। यह पहले से ही तय था कि 'ऑपरेशन पैंगोंग' पूरा होने के बाद कोर कमांडर स्तर की 10वें दौर की वार्ता होगी। इसीलिए आज सुबह 10 बजे से चुशुल-मोल्डो बॉर्डर मीटिंग प्वाइंट पर दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता शुरू हुई है। भारत के पक्ष से 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन, आईटीबीपी के आईजी दीपम सेठ, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव वार्ता में शामिल हैं। चीन की ओर से दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के नेतृत्व में सैन्य वार्ता का दसवां दौर चल रहा है।
अब तक पैंगोंग के उत्तर में फिंगर एरिया और दक्षिण के कैलाश रेंज क्षेत्र में चार-चरणों में हुई विस्थापन प्रक्रिया का दोनों सेनाओं ने भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के माध्यम से सत्यापन भी कर लिया है। पैंगोंग के दोनों किनारों पर 10 माह से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने फायरिंग रेंज में थीं लेकिन गुरुवार शाम तक सेनाओं के पीछे हटने के चार चरण पूरे होने से टकराव की स्थिति खत्म होने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन भारतीय सेना विस्थापन प्रक्रिया पर पैनी नजर रखे हुए है। यह पूरी प्रक्रिया सेना की उत्तरी कमान के उन्हीं कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी की निगरानी में हुई है जिन्होंने 'ऑपरेशन स्नो लेपर्ड' में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सेना ने मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन), वीडियोग्राफी, डिजिटल मैपिंग और भौतिक सत्यापन की मदद से विस्थापन प्रक्रिया की निगरानी की है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार फिंगर-4 और 8 के बीच चीनी सेना ने अब तक 1,000 सैनिकों, 150 पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों, 100 टेंट और 120 अस्थायी बंकरों को हटा लिया है। इसके अलावा 362 और 363 सीमा रक्षक रेजिमेंट सैनिकों को चीनी सेना वापस ले गई है। पीएलए के 6 मोटराइज्ड डिवीजन ने अपने सभी लॉजिस्टिक्स को हटाने की मंजूरी दे दी है जिससे उम्मीद है कि अगले पांच दिनों में अप्रैल की स्थिति वापस आ जाएगी। इसी तरह दक्षिणी ओर रीचेन ला में पीएलए ने 600-700 सैनिकों, 150 पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों, 3 टैंक रेजिमेंटों को वापस ले लिया जिसमें 120 टैंक शामिल थे। इसके अलावा 2 एंटी-एयरक्राफ्ट रेजिमेंटों की टुकड़ियों ने अपने 10 रडार सेट, प्री-फैब्रिकेटेड टेंट और 10 लॉजिस्टिक स्टेशनों के साथ हथियारों और गोला-बारूद के भंडारण के ढेरों को भी चीनियों ने हटा दिया है। 4 हाईलैंड मोटराइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन, 11 और 12 मोटर चालित इन्फैंट्री रेजिमेंट से जुड़े 1,000 से अधिक चीनी सैनिकों को वापस ले जाया गया है।
रक्षा मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में चीन से हुए समझौते की जानकारी देते हुए बयान में कहा था कि पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारों पर पूरी तरह डिसइंगेजमेंट होने के 48 घंटे के भीतर बाकी विवादित इलाकों पर भी चीन से बातचीत की जाएगी। इसलिए 10 फरवरी से शुरू हुई यह प्रक्रिया चार चरणों में शुक्रवार की देर शाम तक पूरी होने के बाद आज फिर दोनों देश के सैन्य कमांडर बातचीत की टेबल पर बैठे हैं। 10वें दौर की इस सैन्य वार्ता में चीन के साथ हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेप्सांग सहित अन्य विवादित क्षेत्रों पर चर्चा होनी है।